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नोट बंदी पर मोदी सरकार के समर्थन में उतरा अखाड़ा परिषद
परिषद् की बैठक में नोट बंदी के दौरान लोगों को होने वाली मुश्किल पर भी चिंता जाहिर की गयी। बैठक में शामिल संतों ने सरकार के समर्थन के साथ सरकार से लोगों की मुश्किल का हल ढूंढने को भी कहा। अखाडा परिषद् के प्रतिनिधियों ने कहा की ये सरकार की ज़िम्मेदारी है की वो आम, गरीब, किसान और मजदूर तबके को नोटबंदी के चलते हो रही मुश्किल से निजात दिलाने के लिए युद्ध स्तर पर प्रयास करे।
इलाहाबाद : नोट बंदी के मुद्दे पर विपक्ष के भारत बंद और विरोध दिवस के मौके पर सरकार के लिए बड़ी राहत की खबर आई है इलाहाबाद से। जहाँ अखाड़ा परिषद् ने एक बैठक के दौरान नोटबंदी के मुद्दे पर सरकार के समर्थन में प्रस्ताव पारित किया है।
देश भर के करोड़ों हिन्दुओं की आस्था का प्रतिनिधित्त्व करने वाली संस्था अखिल भारतीय अखाडा परिषद् इस मुद्दे पर सरकार के साथ खडी हो गयी है। बाघम्बरी मठ में देश के सभी तेरहों अखाड़ो की एक बैठक के दौरान नोटबंदी पर विस्तृत चर्चा के बाद ये निर्णय सभी ने सर्वसम्मति से लिया गया जिसमें कहा गया की राष्ट्रहित के मुद्दे पर वो सरकार के साथ खड़े हैं। नोटबंदी के जरिये यदि आतंकवाद, भ्रष्टाचार और कालाधन पर अंकुश लगता है तो इसका समर्थन किया जाना चाहिए। वहीँ अखाडा परिषद् के अध्यक्ष महंत नरेन्द्र गिरी ने विपक्ष के भारत बंद और विरोध दिवस पर कुछ बोलने से इंकार करते हुए कहा कि विपक्ष का तो काम ही है विरोध करना।
परिषद् की बैठक में नोट बंदी के दौरान लोगों को होने वाली मुश्किल पर भी चिंता जाहिर की गयी। बैठक में शामिल संतों ने सरकार के समर्थन के साथ सरकार से लोगों की मुश्किल का हल ढूंढने को भी कहा। अखाडा परिषद् के प्रतिनिधियों ने कहा की ये सरकार की ज़िम्मेदारी है की वो आम, गरीब, किसान और मजदूर तबके को नोटबंदी के चलते हो रही मुश्किल से निजात दिलाने के लिए युद्ध स्तर पर प्रयास करे।
अखाडा परिषद् की ये बैठक इलाहाबाद में साल 2019 में होने वाले अर्धकुम्भ के लिए बुलाई गयी थी जिसमें सरकार से मांग की गयी की वो महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश की तरह मेला क्षेत्र में अखाड़ों के लिए स्थायी निर्माण कराये।
संतों ने मांग करते हुए कहा कि इलाहाबाद में हर 12 साल पर लगने वाले कुंभ और 6 साल के अर्धकुंभ मेले के लिहाज़ से जिले को लखनऊ, वाराणसी जैसे जिलो से 6 लेन और 4 लेन हाईवे से जोड़ा जाये, इसके अलावा अर्ध कुंभ मेले के लिहाज से सभी विभागों की मुख्य सचिव की मीटिंग बुलाई जायें जहाँ अखाडा परिषद् अपनी बात रख सकें।