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अमिताभ का सस्पेंशन बरकरार, केंद्र सरकार का हस्तक्षेप भी रहा बेअसर

Admin
Published on: 7 April 2016 9:57 AM GMT
अमिताभ का सस्पेंशन बरकरार, केंद्र सरकार का हस्तक्षेप भी रहा बेअसर
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लखनऊ: आईपीएस अमिताभ ठाकुर के निलंबन मामले में केंद्र सरकार के हस्तक्षेप के बाद भी उनको राहत नहीं मिली है। यूपी सरकार ने ठाकुर का निलंबन 95 दिन और बढ़ाने का फैसला किया है। सरकार ने इस बारे में केंद्र को लेटर​ लिखकर वह कारण गिनाए हैं, जिसकी वजह से ठाकुर का निलंबन जरूरी है और इस पर फिर विचार करने के लिए कहा है।

ठाकुर का नहीं खत्म हुआ सस्पेंशन

प्रमुख सचिव गृह देवाशीष पंडा का साफ कहना है कि आईपीएस अमिताभ ठाकुर का निलंबन अभी समाप्त नहीं हुआ है। इनके निलंबन को लेकर रिव्यू कमेटी की बैठक हुई थी। उसकी भी यही राय थी। इस संबंध में लेटर केंद्र सरकार को भेज दिया गया है।

केंद्र ने कहा-11 अक्टूबर 2015 को समाप्त हो गया निलंबन

अमिताभ ने निलंबन के 90 दिन बीत जाने के हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। इसी सिलसिले में केंद्रीय गृह मंत्रालय के अपर सचिव मुकेश साहनी ने अदालत में हलफनामा दाखिल कर नियमों का हवाला देते हुए कहा कि अमिताभ का निलंबन 90 दिन के पहले नहीं बढ़ाया गया है। इस वजह से उनका निलंबन 11 अक्टूबर 2015 से ही समाप्त हो गया है।

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अमिताभ ने की थी बहाली की मांग

अमिताभ ने अदालत में केंद्रीय गृह मंत्रालय के दिए गए इसी जवाब का हवाला देते हुए राज्य सरकार से बहाली की मांग की थी। केंद्र का कहना था कि इस बारे में राज्य सरकार को 31 मार्च को लेटर के जरिए आदेश दिए जा चुके हैं।

राज्य सरकार का आदेश अवैध: अमिताभ

अमिताभ ठाकुर ने केंद्रीय गृह मंत्रालय के निलंबन निरस्त करने के आदेश बाद भी सरकार द्वारा उसी तारीख को निलंबन को 95 दिन बढ़ाने के आदेश को पूरी तरह अवैध बताया है। ठाकुर ने प्रमुख सचिव गृह को भेजे अपने लेटर में कहा है कि केंद्र सरकार ने अपना आदेश अखिल भारतीय अनुशासन और अपील नियमावली के नियम 19(2) में जारी किया और इस नियमावली के नियम 20 में इसका पालन करना राज्य सरकार की कानूनी बाध्यता है।

अदालत में देंगे चुनौती

अमिताभ ने कहा है कि राज्य सरकार ने उन्हें अपनी बात कहने का अवसर देने के बाद केंद्र सरकार द्वारा पारित आदेश का नियमानुसार पालन नहीं किया और एक विचित्र आदेश के जरिए यह कहा है कि जितने दिन विभिन्न कोर्ट के आदेश के अनुपालन में उनके विरुद्ध विभागीय कार्यवाही स्थगित रहेगी, उतने दिन उनकी निलंबन अवधि खुद ही बढ़ जाएगी। उनका कहना है कि वह इस अवैध आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती देंगे।

जुलाई 2015 में हुए थे सस्पेंड

-यूपी सरकार ने 13 जुलाई 2015 को अमिताभ ठाकुर को निलंबित कर दिया था। उन पर हाईकोर्ट के आदेश का पालन नहीं करने, अनुशासनहीनता, सरकार के खिलाफ काम करने, लापरवाही और सेवा नियमावली के उल्लंघन के आरोप लगाए गए थे।

-सरकार का ये भी आरोप था कि अमिताभ ने सरकारी साधनों का गलत इस्तेमाल किया और संपत्ति के सालाना खुलासे में कम संपत्ति दिखाई।

-अमिताभ इससे पहले 2005 और 2006 में भी निलंबित किए जा चुके हैं।

मुलायम के खिलाफ कराई एफआईआर

अमिताभ ठाकुर ने पिछले साल 11 जुलाई को सपा अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई और कहा कि उन्हें बुरा परिणाम भुगतने की धमकी दी गई है।

-उन्होंने मुलायम से फोन पर हुई बातचीत का आडियो भी जारी कर दिया, जिसमें मुलायम सिंह ये कहते हुए सुने गए कि समय है अभी भी सुधर जाओ। वो मैं था जिसने तुम्हें जसराणा में बचाया था। इसके लिए तुम्हारे परिवार वालों ने आग्रह किया था।

रेप का भी लगा आरोप

-उनकी पत्नी नूतन ठाकुर ने खनन मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति ओर अवैध खनन कराए जाने की शिकायत लोकायुक्त से की थी।

इसके बाद जनवरी 2015 में एक महिला ने अमिताभ के खिलाफ रेप की शिकायत दर्ज कराई थी।

-आरोप में कहा गया था कि अमिताभ की पत्नी नूतन ने उन्हें सरकारी नोकरी दिलाने का आश्वासन देकर अपने गोमतीनगर आवास पर बुलाया था जहां अमिताभ ने उसके साथ रेप किया।

-नूतन ने आरोप को सिरे से गलत बताया और कहा कि महिला समाजवादी पार्टी से जुड़ी हैं। उनका कहना था चूकि मंत्री के खिलाफ लोकायुक्त से शिकायत की गई है इसीलिए इस मामले में फंसाया जा रहा है।

अधिक संपत्ति का आरोप

-मई 2015 में आरटीआई कार्यकर्ता संजय शर्मा ने आरोप लगाया कि अमिताभ और उनकी पत्नी के नाम यूपी और बिहार में बड़ी संख्या में संपत्ति है, जिसकी जांच की जानी चाहिए।

-संजय शर्मा ने गवर्नर राम नाईक से इसकी शिकायत की थी। उनका कहना था कि गोमतीनगर के विरामखंड में मकान के अलावा खरगापुर,उजरिआंव में प्लॉट, मुजप्फरपुर, पटना और सीतामढ़ी में मकान के अलावा खेती की जमीन है।

-इस संपत्ति से अमिताभ को 2 लाख 88 हजार सालाना की आय होती है। अमिताभ ने कहा कि उनकी दस नहीं आठ संपत्ति है जिसमें कई पारिवारिक है।

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