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घोटाले की आशंका, फिर भी गोमती रिवर फ्रंट के लिए दिए और 1513 करोड़
लखनऊः राजधानी के बीच से बहने वाली गोमती नदी के दोनों तटों का सुंदरीकरण करके रिवर फ्रंट बनाने की योजना के लिए अखिलेश यादव की सरकार ने सोमवार को और 1513 करोड़ लगाने का ऐलान कर दिया। इसके साथ ही वे सवाल फिर सामने आ खड़े हुए हैं कि पहले दिए गए 656 करोड़ रुपयों के खर्च का हिसाब देने को ही जब कोई अफसर तैयार नहीं है और घोटाले की आशंका है, तो अब जो पैसा दिया जा रहा है, उसका क्या हश्र होगा।
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अफसर ने दिया था गोल-मोल जवाब
बता दें कि newztrack.com ने बीती 2 जुलाई को इस प्रोजेक्ट को लेकर खबर दी थी। खबर ये थी कि गोमती रिवर फ्रंट प्रोजेक्ट में मिट्टी डलवाने और दूसरे काम कितनी मात्रा में हो रहे हैं और इनके मद में कितना भुगतान किया गया है, इस बारे में कोई जिम्मेदार सामने नहीं आ रहा है। शारदा कैनाल लखनऊ डिवीजन के एक्जीक्यूटिव इंजीनियर रूप सिंह यादव से इस बारे में सवाल भी पूछा गया था। इस पर उन्होंने कहा था कि किसी एक रेट से मिट्टी डलवाने का काम नहीं हो रहा है और प्रोजेक्ट पूरा होने पर ही कितनी मिट्टी डलवाई गई, उसका पता चल सकेगा।
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काम करा रही कंपनी भी ब्लैकलिस्टेड
गोमती रिवर फ्रंट के प्रोजेक्ट का काम कराने वाली कंपनी दूसरे प्रदेशों में ब्लैकलिस्टडे है। सूत्रों के अनुसार मेट्रो के सलाहकार ई. श्रीधरन भी कंपनी पर सवाल उठा चुके हैं। अब काम के बारे में जानकारी न मिलने से इस प्रोजेक्ट में भी घोटाले की आशंका है।
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एनओसी तक का पता नहीं
बता दें कि यूपी सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता की योजनाओं की नियमित मॉनीटरिंग के तहत गठित प्रोजेक्ट मॉनीटरिंग ग्रुप (पीएमजी) 24 परियोजनाओं पर नजर रखता है, लेकिन इसमें गोमती रिवर फ्रंट शामिल नहीं है। वहीं, विश्वसनीय सूत्रों के मुताबिक सीएम अखिलेश यादव ने पत्र लिखकर गोमती रिवर फ्रंट के पर्यावरण से संबंधित एनओसी के बारे में जानकारी मांगी थी। जानकारों के मुताबिक अभी तक इस परियोजना के लिए संबंधित विभागों से जरूरी एनओसी मिली है या नहीं। इसका साफ तौर पर पता नहीं चल पाया है।
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रिवर फ्रंट डेवलपमेंट में क्या होगा?
लखनऊ में गोमती नदी के दोनों तटों पर हनुमान सेतु से लामार्टिनियर स्कूल तक सौंदर्यीकरण का काम कराया जा रहा है। यहां 300 कारों की पार्किंग, प्लाजा, मनोरंजन का स्थान, रंगीन फव्वारे लगाए जा रहे हैं। एम्फीथियेटर, ओपन मार्केट, बच्चों के खेलने की जगह भी बनाई जा रही है। इसके लिए गोमती तट के दोनों तरफ मिट्टी डालकर काम कराया जा रहा है।