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किसानों पर आई आपदा को लेकर सूबे की सरकार पर बरसे अखिलेश
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि वस्तुस्थिति यह है कि किसान कर्जों से मुक्त नहीं हो पा रहा है। उसे न तो न्यूनतम समर्थन मूल्य मिल पाता है, न ही उसको फसल की लागत का ड्योढ़ा मूल्य मिल पाया है। किसान की आय दुगनी करने का दावा दम तोड़ चुका है।
लखनऊ : पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा है कि उत्तर प्रदेश में असमय हुई वर्षा और ओलावृष्टि से किसानों का अच्छी उपज का सपना चूर-चूर हो गया है। प्रदेश के विभिन्न जनपदों में जो प्राकृतिक आपदा आई है, उससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था चौपट हो गई है। इस आपदा के चलते पूरब से पश्चिम तक आम, चना, मटर, सरसों, गेहूं की हजारों हेक्टेयर फसल पर ओला पड़ गया है। कई जाने भी गई हैं।
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि यह दुःखद है कि सत्ता में बैठी भाजपा सरकार का रवैया संकट की इस घड़ी में भी संवेदनहीन है। कहीं भी न तो नुकसान का आंकलन हुआ है और नहीं किसानों को अंतरिम आर्थिक मदद मिली है। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि किसानों के नुकसान की भरपाई करना भाजपा सरकार के बस की बात नहीं है, किसानों का सरकार पर से भरोसा उठ गया है।
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि वस्तुस्थिति यह है कि किसान कर्जों से मुक्त नहीं हो पा रहा है। उसे न तो न्यूनतम समर्थन मूल्य मिल पाता है, न ही उसको फसल की लागत का ड्योढ़ा मूल्य मिल पाया है। किसान की आय दुगनी करने का दावा दम तोड़ चुका है।
उन्होंने कहा कि किसान को अपनी खेती के लिए जो बीज, खाद, कृषि उपकरण, कीटनाशक आदि चाहिए उसके लिए उसे मजबूरी में साहूकारों के पास जाना पड़ता है। सूदखोरों के चंगुल में फंसे किसान को नकद आर्थिक मदद मिलनी चाहिए।
गिनाए अपनी सरकार के काम
अखिलेश यादव ने कहा कि किसानों को समाजवादी सरकार में पेंशन और फसल बीमा का लाभ दिया गया था। उसे सिंचाई के लिए मुफ्त पानी और बैंकों से सस्ते कर्ज की सुविधा दी गई थी। आसानी से उसके टयूबवेल को ऊर्जीकरण हो जाता था। किसानों की कर्जमाफी भी हुई थी। बजट का 75 प्रतिशत भाग गांव किसान को आवंटित किया था। लेकिन भाजपा सरकार आते ही किसानों की सुविधाओं में कटौती कर बड़े पूंजीघरानों को रियायतें दे रही है। जनता अब उसकी तुकबंदी या जुमलेबाजी से बहकने वाली नहीं है।
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि भाजपा सरकार को विपदा में फंसे किसानों को सब्सिडी से खेती-किसानी में काम आने वाले सामान की खरीद की सुविधा देनी चाहिए। इसके साथ ही तमाम सरकारी देय, सरकारी और गैरसरकारी पूरा का पूरा ऋण माफ करना चाहिए। तब जाकर किसानों को कुछ राहत मिल सकेगी।