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Akhilesh Yadav Birthday: अखिलेश यादव का 49वां जन्मदिन, पार्टी कार्यालय पर यूपी बोर्ड के टॉपर्स को वितरित करेंगे लैपटॉप

Akhilesh Yadav Birthday: समाजवादी पार्टी के मुखिया और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का आज जन्मदिन है। अपने 49वें जन्मदिन पर अखिलेश यादव पार्टी कार्यालय पर यूपी बोर्ड हाईस्कूल व इंटरमीडिएट के टॉपर्स को लैपटॉप वितरित करेंगे.

Rahul Singh Rajpoot
Published on: 1 July 2022 5:36 AM GMT
अखिलेश यादव अपनी सरकार के दौरान लैपटॉप वितरित करते हुए
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अखिलेश यादव अपनी सरकार के दौरान लैपटॉप वितरित करते हुए (फोटों साभार सोशल मीडिया)

Akhilesh Yadav Birthday: समाजवादी पार्टी के मुखिया और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का आज जन्मदिन है। अपने 49वें जन्मदिन पर अखिलेश यादव पार्टी कार्यालय पर यूपी बोर्ड हाईस्कूल और इंटरमीडिएट के टॉपर्स को लैपटॉप वितरित करेंगे. 10वीं के पांच और 12वीं के टॉप फाइव रैंकर्स को अखिलेश यादव सम्मानित कर उनका हौसला बढ़ाएंगे. इस मौके पर समाजवादी पार्टी की ओर से उनके जन्मदिन का जश्न मनाने की भी विशेष तैयारी की गई है। अखिलेश यादव तीन बार सांसद और 2012 से 2017 तक यूपी के मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाल चुके हैं. इस वक्त समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष के साथ ही करहल से विधायक और यूपी विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष की भूमिका भी निभा रहे हैं।

1 जुलाई 1973 को हुआ था जन्म

समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव अपने जीवन के 48 वर्ष पूरे कर चुके हैं. उनका आज 49वां जन्मदिन है. इस मौके पर समाजवादी पार्टी के हजारों कार्यकर्ता और नेता जन्मदिन को जश्न के रूप में मना रहे हैं. समाजवादी पार्टी के कार्यालय पर भी इसके लिए विशेष आयोजन किया गया है. अखिलेश अपने जन्मदिन पर नेताओं और कार्यकर्ताओं से मुलाकात कर अपना जन्मदिन मनाएंगे। 1 जुलाई 1973 को यूपी के इटावा जिले के सैफई गांव में जन्मे अखिलेश यादव के पिता यूपी के बड़े राजनीतिज्ञ मुलायम सिंह यादव हैं। अखिलेश को राजनीति विरासत में मिली है। मुलायम सिंह यादव ने 2012 में बेटे को यूपी का मुख्यमंत्री बनाया. उसके बाद अखिलेश अब समाजवादी पार्टी के सर्वोच्च नेता हो गए हैं। उनकी पत्नी पूर्व सांसद डिंपल यादव हैं, अखिलेश के दो बेटियां और एक बेटा है. बेटी अदिति और टीना और बेटे का नाम अर्जुन है।

2009 में पहली बार लड़े थे चुनाव

अखिलेश यादव ने राजनीति में 2009 में कदम रखा। पिता मुलायम सिंह यादव ने उन्हें फिरोजाबाद लोकसभा सीट पर हो रहे उपचुनाव में बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी एसपी सिंह बघेल के खिलाफ मैदान में उतारा और उन्होंने 67 हजार से ज्यादा मतों से विजय हासिल की. इसके बाद वह कन्नौज से सांसद बने फिर 2012 में सपा को मिले बहुमत के बाद मुख्यमंत्री बने और कन्नौज लोकसभा सीट से इस्तीफा दे दिया. उनकी पत्नी यहां से सांसद चुनी गई. 2019 के लोकसभा चुनाव में वह आजमगढ़ सीट से चुनाव लड़े और जीते. 2022 के विधानसभा चुनाव में वह करहल विधानसभा से अपनी दावेदारी पेश कर पहली बार विधानसभा के सदस्य बने और अब नेता प्रतिपक्ष की भूमिका में नजर आ रहे हैं।

अखिलेश यादव के नाम उपलब्धियां

2012 में पिता मुलायम सिंह यादव से उत्तर प्रदेश की सबसे बड़ी कुर्सी विरासत में मिलने के बाद अखिलेश ने यूपी की बागडोर को बखूबी संभाला. उनके नाम कई उपलब्धियां हैं. अपने 5 साल के कार्यकाल में उन्होंने उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में मेट्रो चलाई तो आगरा एक्सप्रेसवे बनाकर एक और उपलब्धि हासिल की. राजधानी में इकाना क्रिकेट स्टेडियम बनाया तो महिलाओं की सुरक्षा के लिए 1090 की स्थापना की. अपराध कंट्रोल करने के लिए डायल 100 को शुरू किया. स्वास्थ्य सेवाओं को पटरी पर लाने के लिए आपात सेवा एंबुलेंस की शुरुआत की. इसके साथ ही अन्य तमाम योजनाएं उनके नाम पर हैं जिसका जमीन पर काफी असर दिखाई दिया. गरीबों के लिए शुरू की गई लोहिया आवास योजना भी उनकी सबसे बड़ी योजनाओं में शामिल है।

अखिलेश यादव के नेतृत्व पर सवाल?

सपा प्रमुख के नाम कई बड़ी उपलब्धियां है तो उनके नेतृत्व पर सवाल भी उठे हैं। वर्ष 2012 में मुलायम सिंह यादव द्वारा उन्हें मुख्यमंत्री की कुर्सी सौंपे जाने के बाद से अखिलेश अब तक कई चुनाव हार चुके हैं. पहले उनके शासनकाल में हुए 2014 के लोकसभा चुनाव में जहां परिवार के लोग ही जीत सके तो वहीं 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस से गठबंधन कर भी उन्हें भारी खामियाजा उठाना पड़ा. 2019 में सारे विरोध को भुलाकर मायावती से तालमेल किया लेकिन इसका भी असर नहीं दिखाई दिया. वह सिर्फ 5 सीटों तक सिमट गए. 2022 के चुनाव में अखिलेश के लिए करो या मरो की स्थिति थी.

उन्होंने कई बड़े बदलाव किए. छोटे दलों से तालमेल किया, चाचा शिवपाल यादव से सारे मतभेद भुला उन्हें भी अपने साथ लिया, उनके प्रचार के दौरान यूपी में परिवर्तन की बयार भी दिखाई दी. लेकिन बीजेपी की नीतियों और संगठन नेतृत्व के कड़े पैमाने के आगे अखिलेश एक बार फिर से धराशाई हो गए. उन्हें फिर से हार का सामना करना पड़ा. इस तरह से 2014, 2017, 2019, 2022 लगातार दो बार लोकसभा और दो बार विधानसभा के चुनाव उनके नेतृत्व में पार्टी हार चुकी है।

Prashant Dixit

Prashant Dixit

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