UP News: सीएम योगी के लाल टोपी वाले बयान पर अखिलेश का पलटवार, कही ये बात

UP News: कहा-लाल रंग मिलन का प्रतीक होता है। लाल रंग से दुर्भावना रखने वालों के जीवन में प्रेम अभाव। जिनके जीवन में प्रेम का अभाव वो इस रंग से दुर्भावना रखते हैं।

Ashish Kumar Pandey
Published on: 30 Aug 2024 5:57 AM GMT (Updated on: 30 Aug 2024 6:52 AM GMT)
Akhilesh Yadav and CM Yogi
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Akhilesh Yadav and CM Yogi  (photo: social media ) 

UP News: सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सीएम योगी के लाल टोपी वाले बयान पर पटलवार करते हुए उस पर जवाब दिया है। सीएम योगी ने कहा था सपा की टोपी लाल, कारनामे काले। अब अखिलेश ने सीएम योगी के इस बयान पर करारा जवाब दिया है। उन्होंने एक्स पर लिखा है, लाल-काला रंग देखकर भड़कने के क्या कारण हो सकते हैं। रंगों का मनोविज्ञान से गहरा नाता होता है। लाल रंग मिलन का प्रतीक होता है। लाल रंग से दुर्भावना रखने वालों के जीवन में प्रेम अभाव। जिनके जीवन में प्रेम का अभाव वो इस रंग से दुर्भावना रखते हैं।

लाल रंग का पूजनीय शक्तियों से सकारात्मक संबंध है। जिन्हें अपनी शक्ति सबसे बड़ी लगती है वे इसे चुनौती मानते हैं। काला रंग विशेष रूप से सकारात्मक है। बुरी नज़र से बचाने के लिए काला रंग। मंगलसूत्र में भी काले मोतियों का प्रयोग होता है। जिनके जीवन में ममत्व, सौभाग्य तत्व का अभाव। वे काले रंग के प्रति दुर्भावना पाल लेते हैं।

अखिलेश ने इस तरह से दिया सीएम योगी के बयान का जवाब-

जनता की संसद का प्रश्नकाल

प्रश्न-लाल और काले रंग को देखकर भड़कने के क्या-क्या कारण हो सकते हैं? दो-दो बिंदुओं में अंकित करें।

उत्तर-रंगों का मन-मानस और मनोविज्ञान से गहरा नाता होता है। यदि कोई रंग किसी को विशेष रूप से प्रिय लगता है तो इसके विशेष मनोवैज्ञानिक कारण होते हैं और यदि किसी रंग को देखकर कोई भड़कता है तो उसके भी कुछ नकारात्मक मनोवैज्ञानिक कारण होते हैं।

प्रश्नगत लाल और काले रंग के संदर्भ में क्रमवार, इसके कारण निम्नवत हो सकते हैंः

- लाल रंग मिलन का प्रतीक होता है। जिनके जीवन में प्रेम-मिलन, मेल-मिलाप का अभाव होता है वो अक्सर इस रंग के प्रति दुर्भावना रखते हैं।

-लाल रंग शक्ति का धारणीय रंग है, इसीलिए कई पूजनीय शक्तियों से इस रंग का सकारात्मक संबंध है लेकिन जिन्हें अपनी शक्ति ही सबसे बड़ी लगती है वो लाल रंग को चुनौती मानते हैं। इसी संदर्भ में ये मनोवैज्ञानिक-मिथक भी प्रचलित हो चला कि इसी कारण शक्तिशाली सांड भी लाल रंग देखकर भड़कता है।

निराशा का रंग भी काला ही माना गया है

-’काला रंग’ भारतीय संदर्भों में विशेष रूप से सकारात्मक है जैसे बुरी नज़र से बचाने के लिए घर-परिवार के बच्चों को लगाया जानेवाला ‘काला’ टीका और सुहाग के प्रतीक मंगलसूत्र में काले मोतियों का प्रयोग। जिनके जीवन में ममत्व या सौभाग्य तत्व का अभाव होता है, मनोवैज्ञानिक रूप से वो काले रंग के प्रति दुर्भावना पाल लेते हैं।

- पश्चिम में काला रंग ‘नकारात्मक शक्तियों और राजनीति का प्रतीक रहा जैसे तानाशाही फासीवादियों की काली टोपी। मानवता और सहृदयता विरोधी फासीवादी विचारधारा जब अन्य देशों में पहुँची तो उसके सिर पर भी काली टोपी ही रही। नकारात्मकता और निराशा का रंग भी काला ही माना गया है अतः जिनकी राजनीतिक सोच ‘डर’ और ‘अविश्वास’ जैसे काले-विचारों से फलती-फूलती है, वो इसे सिर पर लिए घूमते हैं।

सकारात्मक लोग किसी भी रंग को नकारात्मक नहीं मानते हैं

सच तो ये है कि हर रंग प्रकृति से ही प्राप्त होता है और सकारात्मक लोग किसी भी रंग को नकारात्मक नहीं मानते हैं। रंगों के प्रति सकारात्मक विविधता की जगह जो लोग नकारात्मक विघटन-विभाजन की दृष्टि रखते हैं, उनके प्रति भी बहुंरगी सद्भाव रखना चाहिए क्योंकि ये उनका नहीं, उनकी प्रभुत्ववादी एकरंगी संकीर्ण सोच का कुपरिणाम है। ऐसे लोगों के मन-हृदय को परिवर्तित करने के लिए बस इतना समझाना होगा कि काले रंग की अंधेरी रात के बाद ही लालिमा ली हुई सुबह का महत्व होता है, ये पारस्परिक रंग-संबंध ही जीवन में आशा और उत्साह का संचार करता है। अच्छा-बुरा कोई रंग नहीं; नज़रिया होता है।

Monika

Monika

Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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