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UP News: यूपी में 'सर्दी के सितम' से जनता पस्त, जिम्मेदार मस्त..बोले अखिलेश यादव
UP News: उन्होने कहा कि प्रदेश में शीतलहर का प्रकोप जारी है। इस कंपकपाती शीत लहर में सरकार ने गरीबों बेसहारा लोगों को उनके हाल पर छोड़ रखा है।
UP News: समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा, कि मौसम का मिजाज बिगड़ने से जनजीवन अस्तव्यस्त हो गया है। ठंड का असर दिखने लगा है। शीत लहर ने गरीबों के लिए और ज्यादा मुसीबतें खड़ी कर दी है। अस्पतालों और रेल-बस स्टेशनों पर तमाम लोग बिना किसी आश्रय के ठंड में रात भर ठिठुरते रहते है। दिन प्रतिदिन बिगड़ते हालात के बावजूद प्रशासकों की संवेदनाएं नहीं जाग रही हैं। धुंध और कोहरे के सितम से लोगों का जीना मुश्किल हो गया है।
ट्रेनों और बसों के कैंसल हो जाने से जनता परेशान
उन्होने कहा कि तमाम ट्रेनो और बसों का चलना रूक गया है। यात्रियों का गंतव्य तक पहुंचना आसान नहीं रहा है। शून्य दृश्यता के कारण सड़कों पर हादसे हो रहे हैं। रविवार की रात्रि में ही सड़क दुर्घटनाओं में दर्जन भर से अधिक मौतें हो गई। स्कूली बच्चों के आवागमन में भी दिक्कतें हो रही है। आज मंगलवार को अयोध्या में आरटीओ बस का पीछा करने से बस दुर्घटनाग्रस्त हो गई जिसमें दर्जनों लोग घायल हो गए। बस भी चकनाचूर हो गई। जो दुर्घटनाएं हो रही है। उसके लिए भाजपा सरकार और प्रशासन की लापरवाही भी बहुत हद तक जिम्मेदार है। भाजपा सरकार गरीबों को ठंड से बचाने के लिए कोई काम नहीं कर रही है। भाजपा की सरकार तो संवेदनशून्य बनी हुई है।
शीतलहर से बचाव का नहीं है कोई व्यवस्था
उन्होने कहा कि प्रदेश में शीतलहर का प्रकोप जारी है। इस कंपकपाती शीत लहर में सरकार ने गरीबों बेसहारा लोगों को उनके हाल पर छोड़ रखा है। अभी तक प्रशासन की ओर से अलाव जलाने की कोई व्यवस्था नहीं नज़र आ रही है। गरीबों को समय से कम्बल बांटने का काम भी नहीं शुरू हो पाया है। जब लोग ठंड से ठिठुरने लगे तब कम्बल खरीद का आदेश जारी हो रहा है। यह खरीद कब होगी और इसमें कम्बलों की गुणवत्ता का क्या हाल होगा, कहा नहीं जा सकता है।
राजधानी लखनऊ में नगर निगम और कुछ स्वयंसेवी संस्थाओं ने चंद रैनबसेरा खोल दिए हैं। लेकिन इनमें गिनी चुनी संख्या में ही लोग आश्रय के लिए आ सकते हैं। अस्पतालों में बड़ी संख्या में तीमारदार खुले में पेड़ों के नीचे रात बिताने को मजबूर हैं। कई रैन बसेरों में तो ठंड से बचाव के लिए रजाई-गद्दे भी नहीं मिल पा रहे हैं। लोग खुद अपने कम्बल ला रहे हैं।