Akhilesh Yadav: विलायती बाबू नहीं 'यूपी के भैयाजी' हैं अखिलेश, विदेश में पढ़ाई के बाद ऐसे रखा राजनीति में कदम

सूबे के पूर्व सीएम व सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव अपनी पार्टी में संस्कारवान व जिद्दी स्वभाव के नेता के रूप में जाने जाते हैं। 2012 के चुनाव में अपनी पार्टी को पूर्ण बहुमत दिलाकर मुख्यमंत्री बने।

Sandeep Mishra
Published on: 1 July 2021 2:05 AM GMT (Updated on: 1 July 2021 2:08 AM GMT)
Akhilesh Yadav touching the feet of his father Mulayam Singh Yadav
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अखिलेश यादव, पिता मुलायम सिंह यादव का चरण स्पर्श करते हुए: फोटो- सोशल मीडिया

Akhilesh Yadav B'day Special: सूबे के पूर्व सीएम व सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव अपनी पार्टी में संस्कारवान व जिद्दी स्वभाव के नेता के रूप में जाने जाते हैं। अखिलेश यादव के बचपन का नाम टीपू है। उनके सखा यह बताते हैं कि अखिलेश यादव जब ऑस्ट्रेलिया से अपनी शिक्षा पूरी करके भारत की धरती पर विमान स उतरे थे। तो विशुद्ध भारतीय युवा के रूप में लोगों को नजर आए। उनसे बचपन से जुड़े लोग बताते हैं कि आज का युवा अगर इंग्लिश स्कूल में पढ़ रहा है तो वो माता जी व पिताजी से सम्बोधन को भूल जाता है और मॉम डैड के सम्बोधन में उतर आता है।

विदेश से पढ़ कर आने वाले ज्यादातर युवा तो माता के चरण स्पर्श करने में भी अपनी तौहीन समझते हैं लेकिन अखिलेश यादव आस्ट्रेलिया से शिक्षित होकर वापस आये तो अपने बड़ो का सम्मान करना न तब भूले थे और न आज भी भूले हैं। अपनी स्वर्गीय माता मालती देवी व पिता मुलायम सिंह यादव समेत घर के हर बड़े सदस्य को चरण स्पर्श कर उन्हें सम्मान वे आज भी देते हैं।

चाचा शिवपाल से मतभेद के बावजूद करते हैं चरणस्पर्श

उनकी पार्टी से जुड़े लोग बताते हैं कि अपनी पार्टी के अपने पिता के साथ के नेताओं को अखिलेश यादव आज भी पूरा सम्मान देते हैं। उनकी जन्म स्थली सैफ़ई के लोग बताते हैं कि चाचा शिवपाल सिंह यादव से इतने मतभेद होने के बाद भी अखिलेश यादव आज भी चाचा शिवपाल के सामने आने पर तत्काल आज भी चरण स्पर्श कर उन्हें अपने चाचा होने का पूरा सम्मान देते हैं।

चाचा शिवपाल से मतभेद के बावजूद करते हैं चरणस्पर्श: फोटो- सोशल मीडिया

2012 के चुनाव में पार्टी को दिलाया पूर्ण बहुमत

दिग्गज समाजवादी नेता मुलायम सिंह यादव के बड़े पुत्र अखिलेश यादव गत 2012 के चुनाव में अपनी पार्टी को पूर्ण बहुमत ऐसे ही नही दिला दिया था बल्कि उसके पीछे उस चुनाव में उनके दिए जाने वाले भाषणों का मायावी खेल था। जानकार लोग बताते हैं कि इस चुनाव में तकनीकी तौर पर मजबूत व जानकार टीम का कमाल था। उस चुनाव में उनकी यह तकनीकी टीम उनके नेतृत्व में लखनऊ में उनके आवास में तैनात रहती थी। उनकी इस टीम के सबसे जिम्मेदार सदस्य पूर्व मंत्री व उनके मित्र अभिषेक मिश्र थे।

अखिलेश यादव, परिवार के साथ भोजन करते हुए: फोटो- सोशल मीडिया

चुनाव प्रचार में जिले आधारित समस्याओं के आधार पर भाषण

जानकार लोग बताते हैं कि उस चुनाव में अखिलेश यादव के भाषण जिले के हिसाब से बदलते रहते हैं। वरना ज्यादातर आज भी देश के नामी नेता चुनावो में एक ही रटे रटाये भाषण से पूरा चुनाव निपटा रहे है। जबकि उस चुनाव में अखिलेश यादव हर जिले के हिसाब से अपना भाषण बदलते थे। जैसे ही फलां जिले में उन्होंने अपनी चुनाव सभा को सम्पन्न कर अपने हेलीकॉप्टर में बैठ कर उड़ जाते थे वैसे ही वे अपने अगले चुनावी सभा का मैसेज लखनऊ बैठी टीम को भेजते थे वैसे ही अखिलेश यादव के लैपटॉप पर उस जनपद की मुख्य समस्याओं की पूरी जानकारी होती थी।

अखिलेश यादव, अपने बेटे के साथ फुटबाल खेलते हुए: फोटो- सोशल मीडिया

कुल मिलाकर अखिलेश यादव ने देश व सूबे के नेताओं को उस चुनाव में यह अहसास करवा दिया था कि वास्तव में डिजिटल पद्धति से कैसे चुनाव लड़ कर आम जनता के मध्य अपनी छवि स्थापित की जाती है।

सूबे के पूर्व सीएम अखिलेश यादव की खेलों के प्रति बेहद रुचि

सूबे के पूर्व सीएम अखिलेश यादव की खेलों के प्रति बेहद रुचि आज भी है। वे जितने अच्छे खिलाड़ी फुटबॉल के हैं उससे कही अच्छे खिलाड़ी क्रिकेट के भी हैं। क्रिकेट खेल के वे आलराउंडर खिलाड़ी हैं। क्रिकेट में जितनी अच्छी वे बल्लेबाजी व गेंदबाजी करते हैं उतनी ही अच्छी वे मैदान में फील्डिंग भी करते है। क्रिकेट के प्रति अपनी इसी दिलचस्पी के चलते उन्होने ने सैफ़ई में एक अंतररष्ट्रीय स्तर का शानदार अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडिम तैयार करवा दिया। अपनी सरकार में उन्होंने ग्रामीण इलाकों के क्रिकेट खिलाड़ियों को एक मंच देने के लिये ग्रामीण क्रिकेट लीग की भी शुरुआत की थी।

अखिलेश यादव, दोस्तों के साथ क्रिकेट खेलते हुए: फोटो- सोशल मीडिया

आज सूबे के नेताओ में सबसे ज्यादा पढ़े लिखे नेताओ में वो अपनी गिनती रखते हैं। साथ ही सबसे ज्यादा शिक्षित सबसे कम उम्र के मुख्यमंत्री बनने का भी रिकार्ड उनके ही नाम है। आज देश व सूबे के युवाओं के लिये एक आइकॉन के रूप में अपनी छवि बना रहे है।

Shashi kant gautam

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