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Samajwadi Party: अखिलेश यादव ने बुलाई बैठक, शिवपाल, राजभर के बाद अब क्रॉस वोटिंग करने वाले विधायकों का नंबर
Samajwadi Party: समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने 26 जुलाई को अपनी पार्टी के विधायकों और पदाधिकारियों की एक बड़ी बैठक बुलाई है.
Samajwadi Party: समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने 26 जुलाई को अपनी पार्टी के विधायकों और पदा धिकारियों की एक बड़ी बैठक बुलाई है. अखिलेश यादव चाचा शिवपाल और ओम प्रकाश राजभर को स्वतंत्र करने के बाद अब जिन विधायकों ने राष्ट्रपति चुनाव में क्रॉस वोटिंग की है उनका भी पता लगाएंगे. वह अपने विधायकों से जानकारी लेंगे की अखिर पार्टी लाइन से हटकर किस विधायक ने क्रॉस वोटिंग किया है. जिसके बाद उन विधायकों पर भी गाज गिर सकती है. राष्ट्रपति चुनाव का रिजल्ट आने के बाद यूपी में 7 से 10 विधायकों के क्रॉस वोटिंग करने की बात कही जा रही है. इसके साथ ही अखिलेश यादव की अगली रणनीति क्या होगी इस पर भी मंथन होगा.
सपा प्रमुख इस बैठक में अपनी पार्टी और संगठन को मजबूत करने के लिए विधायकों को दिशा निर्देश जारी करेंगे. क्योंकि जब उन्होंने सदस्यता अभियान की शुरुआत की थी तो नेताओं को घर घर जाकर लोगों को जोड़ने के लिये कहा था. कल होने वाली बैठक में अखिलेश सदस्यता अभियान की भी समीक्षा कर अपने विधायकों और पदाधिकारियों को आगे के कार्यक्रमों के बारे में जानकारी देकर उन्हें अपने-अपने क्षेत्र में भेजेंगे.
दरअसल अखिलेश यादव के लिए अब अपने आप को साबित करना बड़ी चुनौती हो गई है, एक के बाद एक लगातार चार चुनाव हारने के साथ अब 2024 की लड़ाई भी करीब आ रही है. 2022 में राजभर को साथ लेकर अखिलेश ने पूर्वांचल में बड़ी जीत हासिल की थी. अब वह उनसे अलग हो गए हैं. चाचा शिवपाल को भी उन्होंने स्वतंत्र कर दिया है.
ऐसे में अखिलेश के सामने भाजपा से अकेले लड़ने की एक और कठिन परीक्षा है. अब उन्हें खुद को साबित करना होगा क्योंकि अगर वह 2024 की ही लड़ाई हारते हैं तो लगातार पांचवीं दफा वह भाजपा से शिकस्त खाएंगे. यह सियासी करियर के उनके लिए अच्छा नहीं कहा जा सकता.
सैफई परिवार में जिस तरह से वर्ष 2015 से दरार पड़नी शुरू हुई. उसका असर सियासत में भी दिखाई दे रहा है. जहां मुलायम सिंह यादव पूरे परिवार को एक साथ लेकर चलते थे, वहीं अखिलेश के नेतृत्व में वह परिवार बिखर गया है. शिवपाल अलग पार्टी बना चके हैं, उनकी छोटी बहू अपर्णा यादव बीजेपी के साथ आ गई है. तमाम बड़े समाजवादी नेता अलग रहा पकड़ चुके हैं. अब उनके सामने यह बड़ी चुनौती है कि कैसे वह समाजवादी पार्टी को मजबूत कर जीत की दहलीज तक पहुंचाएं.
अखिलेश का गठबंधन दांव भी रहा फेल
अखिलेश यादव हर चुनाव में एक बड़ा एक्सपेरिमेंट करते हैं. मसलन 2017 में उन्होंने कांग्रेस से हाथ मिलाया तो महज 47 सीटें जीत सके. 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने मायावती को गले लगाया लेकिन उसका भी कोई फायदा नहीं हुआ. मायावती जहां 0 से 10 सीट तक पहुंच गईं, वहीं अखिलेश की पार्टी 5 पर ही सिमटी रही. 2022 के चुनाव में उन्होंने बड़ी पार्टियों के गठबंधन से तौबा किया था।
इस बार छोटे-छोटे दलों को साथ लेकर मैदान में उतरे. हालांकि इसका कुछ फायदा उन्हें मिला लेकिन सत्ता तक पहुंचने में एक बार फिर चूक गए. अब ओपी राजभर जैसे पूर्वांचल के बड़े नेता भी उनका साथ छोड़ चुके हैं. ऐसे में 2024 की लड़ाई अखिलेश के लिए आसान नहीं होने वाली है. इसी को ध्यान में रखते हुए वह मंगलवार को अपनी पार्टी के विधायकों, पदाधिकारियों के साथ एक बड़ी बैठक करने जा रहे हैं.