×

Akhilesh Yadav: अखिलेश के सामने अब चुनौतियों का पहाड़, क्या कर पाएंगे जलवा कायम?

Akhilesh Yadav: समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव अब दुनिया में नहीं हैं, ऐसे में उनके बेटे अखिलेश यादव के कंधों पर बड़ा दारोमदार है।

Rahul Singh Rajpoot
Published on: 14 Oct 2022 2:18 PM GMT
eci send notice to akhilesh yadav give proof of allegations of mass removing of yadav and muslim voters list
X

सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव (Pic: Social Media)

Akhilesh Yadav: समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव अब दुनिया में नहीं हैं, ऐसे में उनके बेटे अखिलेश यादव के कंधों पर बड़ा दारोमदार है, उन्हें पार्टी के साथ परिवार को एकजुट रखकर आगे बढ़ना होगा। सपा प्रमुख के आगे अपने परंपरागत वोट बैंक को बनाए रखते हुए पार्टी को राष्ट्रीय राजनीति तक ले जाना होगा। जिससे नेताजी ने पार्टी को जो रुतबा दिलाया है वह कामय रहे और राष्ट्रीय स्तर पर भी सपा का दखल बढ़े।

समाजवादी पार्टी की स्थापना के 30 साल पूरे हो चुके हैं। उत्तर प्रदेश में उतार चढ़ाव के बीच सपा के विधायक और वोट प्रतिशत दोनों बढ़ा है। लेकिन पार्टी की राष्ट्रीय राजनीति में ताकत कम हुई है। अभी तक इस कमी को नेताजी दूर करते थे। अब नेताजी के नहीं रहने पर उनकी विरासत को आगे बढ़ाना आसान नहीं होगा। सियासी पंडितों का मानना है कि पार्टी को राष्ट्रीय राजनीति में आगे बढ़ाने के लिए अपनी रणनीति बदलनी होगी।

सपा प्रमुख ने विधानसभा चुनाव 2022 में अपनी रणनीति में बदलाव करते हुए एम-वाई से हटकर दलितों को रिझाने के लिए काफी प्रयास भी किए थे। आने वाले में समय में अखिलेश इसमें कामयाब भी हो सकते हैं, लेकिन जो सबसे बड़ी चुनौती उनके समाने ये है कि उनके वोट बैंक (यादव, मुस्लिम) पर दूसरे दलों की नजर भी टिकी है। भाजपा जहां यादवों को अपने पाले में लाने के लिए उनके समाज के बड़े नेताओं के साथ मुलायम सिंह यादव की छोटी बहू अर्पणा यादव को पार्टी में शामिल किया। दूसरे नेताओं को भी सरकार और संगठन में जगह देकर उनके समाज में अपनी पैठ मजबूत करने में लगी है।

सपा के सामने बड़ी चुनौती ये है कि समाजवादी आंदोलन से निकले तमाम नेता या तो स्वर्गवाशी हो गए या फिर दूसरे दलों का दामन थाम चुके हैं। ऐसे में मुलायम सिंह की सियासी रणनीति से सबक लेकर अखिलेश यादव को भी सभी जातियों को गुलदस्ते में सजाने की कोशिश करनी पड़ेगी। सपा प्रमुख को अपने परिवार को भी एकजुट करना होगा। जिस तरह से उनके चाचा शिवपाल 2016 से अलग राह अपनाए हुए हैं, 2022 के चुनाव में मिलन हुआ लेकिन रिजल्ट के बाद फिर तकरार दिखाई दी। अब नेताजी के निधन के बाद यादव परिवार अभी एक जुट नजर आ रहा है। ऐसे में अखिलेश को बड़ा दिल दिखाते हुए पुरानी बातों को पीछे छोड़कर आगे बढ़ना होगा। इसके साथ ही उन्हें अपने नए और पुराने वफादारों की पहचान करनी होगी।

Jugul Kishor

Jugul Kishor

Content Writer

मीडिया में पांच साल से ज्यादा काम करने का अनुभव। डाइनामाइट न्यूज पोर्टल से शुरुवात, पंजाब केसरी ग्रुप (नवोदय टाइम्स) अखबार में उप संपादक की ज़िम्मेदारी निभाने के बाद, लखनऊ में Newstrack.Com में कंटेंट राइटर के पद पर कार्यरत हूं। भारतीय विद्या भवन दिल्ली से मास कम्युनिकेशन (हिंदी) डिप्लोमा और एमजेएमसी किया है। B.A, Mass communication (Hindi), MJMC.

Next Story