Digital Attendance: अखिलेश यादव ने कहा, हम इस मुद्दे पर शिक्षकों के साथ, जानें सपा सुप्रीमो ने और क्या-क्या कहा

Digital Attendance: सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने डिजिटल अटेंडेंस के मामले में शिक्षकों का समर्थन किया है। उन्होंने अपने सोशल मीडिया एक्स पर पोस्ट कर इस बारे में जानकारी दी।

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Newstrack Network
Published on: 9 July 2024 9:57 AM GMT
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अखिलेश यादव। (Pic: Social Media)

Akhilesh Yadav on X: उत्तर प्रदेश में टीचर्स ने डिजिटल अटेंडेंस का विरोध किया है। इस मामले में अब सियासत तेज हो गई है। मामले में अब समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। अपने सोशल मीडिाय एक्स पर उन्होंने पोस्ट करते हुए शिक्षकों के विरोध को समर्थन किया है। कन्नौज सांसद अखिलेश यादव ने योगी सरकार के फैसले का विरोध किया है। अखिलेश यादव के सोशल मीडिया पोस्ट के बाद उत्तर प्रदेश का सियासी पारा चढ़ने लगा है। अपने पोस्ट में उन्होंने लिखा कि शिक्षकों पर विश्वास करने से ही अच्छी पीढ़ी जन्म लेती है।

"शिक्षकों पर हो सकता है अनावश्यक तनाव"

शिक्षकों का समर्थन करते हुए उन्होंने लिखा कि, "कोई शिक्षक देर से स्कूल नहीं पहुँचना चाहता है लेकिन कहीं सार्वजनिक परिवहन देर से चलना इसका कारण बनता है, कहीं रेल का बंद फाटक और कहीं घर से स्कूल के बीच की पचासों किमी की दूरी क्योंकि शिक्षकों के पास स्कूल के पास रहने के लिए न तो सरकारी आवास होते हैं, न दूरस्थ इलाकों में किराये पर घर उपलब्ध होते हैं। इससे अनावश्यक तनाव जन्म लेता है और मानसिक रूप से उलझा अध्यापक कभी जल्दबाज़ी में दुर्घटनाग्रस्त भी हो सकता है, जिसके अनेक उदाहरण मिलते हैं"।

"डिजिटल अटेंडेंस व्यावहारिक समस्याओं का समाधान नहीं"

अपने पोस्ट में उन्होंने आगे लिखा, "यदि किसी आकस्मिक कारणवश शिक्षकों को व्यक्तिगत स्वास्थ्य या फिर घर, परिवार और समाजिक कारणों से दिन के बीच में स्कूल छोड़ना पड़े तो पूरे दिन के अनुपस्थित होने की रिपोर्ट भेज दी जाएगी। देर से स्कूल पहुँचने या जल्दी स्कूल से वापस जाने के अनेक कारण हो सकते हैं। यहाँ तक कि विद्युत आपूर्ति के बाधित होने या तकनीकी रूप से भी कभी इंटरनेट जैसी सेवाओं के सुचारू संचालन में समस्या आती है। इसीलिए ‘डिजिटल अटेंडेंस’ का विकल्प बिना व्यावहारिक समस्याओं के पुख़्ता समाधान के संभव नहीं है"।

"हम इस मुद्दे पर शिक्षकों के साथ"

सपा अध्यक्ष ने अपने पोस्ट में लिखा कि, "सबसे पहले ये अन्य सभी विभागों के प्रशासनिक मुख्यालयों में लागू किया जाए जिससे उच्चस्थ अधिकारियों को इसके व्यावहारिक पक्ष और परेशानियों का अनुभव हो सके, फिर समस्या-समाधान के बाद ही इसे लागू करने के बारे में कालांतर में सोचा जाए। सबसे बड़ी बात ये है कि इससे शिक्षकों को भावनात्मक ठेस पहुँचती है, जिससे उनके शिक्षण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। बोधपरक शिक्षण के लिए शिक्षकों का भावात्मक रूप से जुड़ना आवश्यक होता है। स्कूल में केवल निश्चित घंटे बिताना ही शिक्षण नहीं हो सकता। हम इस मुद्दे पर शिक्षकों के साथ हैं"।

Sidheshwar Nath Pandey

Sidheshwar Nath Pandey

Content Writer

मेरा नाम सिद्धेश्वर नाथ पांडे है। मैंने इलाहाबाद विश्विद्यालय से मीडिया स्टडीज से स्नातक की पढ़ाई की है। फ्रीलांस राइटिंग में करीब एक साल के अनुभव के साथ अभी मैं NewsTrack में हिंदी कंटेंट राइटर के रूप में काम करता हूं। पत्रकारिता के अलावा किताबें पढ़ना और घूमना मेरी हॉबी हैं।

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