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हैलो.. मैं U S तोमर बोल रहा हूं, जानें यह सुन क्यों सकते में आ जाते थे अधिकारी?
लखनऊ: उत्तर प्रदेश की ब्यूरोक्रेसी को ताक पर रखने वाले एक अधिकारी यू एस तोमर का अब कई वरिष्ठ अधिकारी फोन तक नहीं उठा रहे हैं। यह वहीं यू एस तोमर हैं, जो पूर्व में डॉ एपीजे अब्दुल कलाम टेक्निकल यूनिवर्सिटी के पूर्व कुलसचिव पद पर आसीन रहे और हाल ही में राज्यपाल रामनाईक ने पद से बर्खास्त कर दिया है।
एकेटीयू सूत्रों की मानें तो एक समय यह अफसर पद पर रहने के दौरान अपने वाइस चांसलर से लेकर वरिष्ठ अधिकारियों तक का फोन नहीं उठाते थे।
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11 सालों तक यूएस तोमर ने किया टेक्निकल एजूकेशन को हाईजैक, गवर्नर ने लिया एक्शन
एकेटीयू सूत्रों की मानें तो यू एस तोमर ने करीब 11 सालों तक एकेटीयू के कुलसचिव पद पर रहते हुए पूरे टेक्निकल एजूकेशन सिस्टम को हाईजैक कर रखा था। यह बसपा शासनकाल में मायावती के करीबी अधिकारियों में शुमार शशांक शेखर सिंह के करीबी थे। इसके चलते वह अपने विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों तक का फोन रिसीव नहीं करते थे।
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सूत्र बताते हैं कि टेक्निकल एजूकेशन में उस समय सब कुछ तोमर के हिसाब से ही होता था। इस दौरान उन पर कई आरोप लगे, लेकिन कभी इनकी गर्दन नहीं फंसी। लेकिन जब इन पर 44 इंजीनियरिंग कालेजों की मान्यता संबंधी फाइल वसूली के चलते रोकने और उसमें जमकर अनियमितता करने के आरोप लगे। तो इस पर गवर्नर रामनाईक ने वर्ष 2015 में तीन सदस्यीय जांच कमेटी का गठन किया।
इसकी जांच रिपोर्ट के आधार पर उन्होंने 23 नवंबर 2015 को कुलसचिव पद से निलंबित कर दिया। इसके अलावा कोर्ट ने भी शासन को यूएस तोमर पर एक्शन लेने के लिए निर्देशित किया। इसके चलते यू एस तोमर को अपने पद से हाथ धोना पड़ा। इसके बाद गवर्नर ने उन्हें पद से ही बर्खास्त कर दिया।
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बिना योग्यता के हासिल किया कुलसचिव का पद
एकेटीयू के सूत्र बताते हैं कि यू एस तोमर को बिना योग्यता के केवल सत्ता का करीबी रहने के चलते एकेटीयू (तत्कालीन यूपीटीयू) कुलसचिव पद पर आसीन कर दिया था। हालांकि यूएस तोमर के पास पद संबंधी जरूरी योग्यता का अभाव था। वह मात्र स्नातक थे और बिना किसी योग्यता के उन्हें उनके सत्ताधारी आकाओं के इशारे पर नियुक्ति मिली थी। हालांकि अब टेक्निकल एजूकेशन में यूएस तोमर युग का अंत हो चुका है और अब उनके खास अधिकारी ही उनका फोन नहीं उठा रहे हैं।
विधानसभा में फर्जी पास के साथ भी धरे गए थे तोमर
यू एस तोमर पर हाल ही में विधानसभा की सुरक्षा से खिलावाड करने का आरोप भी लगा। वह एक फर्जी विधानसभा पास के साथ विधानसभा गेट पर सुरक्षार्मियों दवारा पकड़े जा चुके हैं। इसके बाद ही गवर्नर ने उनकी बर्खास्तगी के आदेश जारी किए थे।