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एकेटीयू से संबद्ध कॉलेजों में सैलरी स्कैम, शिक्षकों को नहीं मिलता तय वेतन
राजधानी स्थित डॉ एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय से संबद्ध एक निजी इंजीनियरिंग कॉलेज सैलरी घोटाले को लेकर फिर चर्चा में है। यह आलम तब है जब इसी 20 जून को
लखनऊ: राजधानी स्थित डॉ एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय से संबद्ध एक निजी इंजीनियरिंग कॉलेज सैलरी घोटाले को लेकर फिर चर्चा में है। यह आलम तब है जब इसी 20 जून को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद इस विश्वविद्यालय के नवीन परिसर के प्रशासनिक भवन, कलाम स्मारक और दस भारतीय वैज्ञानिकों की मूॢतयों का लोकार्पण छात्रों में तकनीकी शिक्षा के प्रति लगाव बढ़ाने के उद्देश्य से किया है।
- इस विश्वविद्यालय से संबद्ध निजी इंजीनियरिंग कॉलेजों में पढ़ाने वाले शिक्षक सैलरी घोटाले का शिकार हो रहे हैं।
- इसकी शिकायत कई बार विश्वविद्यालय के कुलपति से भी की जा चुकी है, लेकिन अभी तक इस मामले में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।
- newstrack.com /अपना भारत ने इस पूरे मामले की पड़ताल की तो चौंकाने वाले तथ्य सामने आए।
शिक्षकों को नहीं मिलती तय सैलरी
- राजधानी के आर.आर.इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट एंड टेक्नॉलॉजी में शिक्षकों के सैलरी घोटाले को बड़े पैमाने पर अंजाम दिया जा रहा है।
- इस घोटाले से जुड़े दस्तावेज ‘अपना भारत/newstrack.com’ के पास मौजूद हैं।
- दस्तावेजों में साफ दिख रहा है कि इस कालेज के शिक्षक विपिन कुमार शुक्ला की सैलरी नियमों के मुताबिक 49 हजार 8 सौ 32 रुपये है, लेकिन उनके खाते में हर माह बमुश्किल 28 हजार रुपये ही ट्रांसफर किए जा रहे हैं।
- विपिन शुक्ला जैसा ही हाल शिक्षक मानवेंद्र प्रताप सिंह का भी है। उन्हें भी नियमों के मुताबिक 49 हजार 8 सौ 32 रुपये सैलरी मिलनी चाहिए, लेकिन कॉलेज ने इनकी सैलरी 26 हजार तय की।
आगे की स्लाइड में पढ़ें क्या कहते हैं शिक्षक ...
शिक्षकों के मुताबिक
- आर.आर.कॉलेज के शिक्षकों के मुताबिक लंबे समय से यह खेल चल रहा है। कॉलेज में काम कर रहे कुछ शिक्षकों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि मैनेजमेंट ने इस कॉलेज में काम करने वाले शिक्षकों व अन्य कर्मचारियों से साल के हिसाब से 12 चेक ले रखे हैं।
- जिन कर्मचारियों या शिक्षकों के खाते में नाम्र्स के मुताबिक या तय रकम के मुताबिक सैलरी अकाउंट में भेजी जाती है, उनके अकाउंट से चेक लगाकर हर महीने एक निश्चित रकम वापस कॉलेज वाले निकाल लेते हैं।
- इसकी शिकायत करने पर शिक्षकों व अन्य कर्मचारियों को नौकरी से निकाल देने की धमकी भी दी जाती है।
- बेरोजगार हो जाने के डर से कोई इस पर खुलकर विरोध नहीं कर पा रहा है।
छात्रों की कमी से कई कालेज बंदी की कगार पर
एकेटीयू के पूर्व कुलपति प्रोफेसर आर.के.खांडल के मुताबिक इंजीनियरिंग कॉलेजों की कई सीटें खाली जा रही हैं। उत्तर प्रदेश राज्य इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा को अन्य राज्यों में मेरे कार्यकाल में इसी उद्देश्य के साथ शुरू किया गया था कि अन्य प्रदेशों से भी छात्रों को आकॢषत किया जाए, लेकिन प्रदेश के निजी इंजीनियभरग कालेज छात्रों को आकॢषत करने में सफल नहीं हो पा रहे हैं।
इसके चलते गिने चुने कॉलेजों को छोडक़र लगभग सारे निजी इंजीनियरिंग कॉलेजों की 60 से 70 प्रतिशत तक सीटें खाली जा रही हैं। कॉलेजों की आय नहीं हो पा रही है। इनमें से कई कॉलेज तो बंदी के कगार पर हैं। इसके चलते कई कॉलेजों ने पूर्व में समाज कल्याण से आने वाली छात्रवृत्ति को हड़पने के लिए डमी छात्रों का इस्तेमाल किया था पर इसके खुलासे के बाद अब यह रास्ता भी बंद हो गया।
शायद इसीलिए कालेज सैलरी में घोटाला पर उतारू हो गए हैं।बीते सत्र में सबसे खराब रही स्थितियूपीएसईई 2016 की काउंसिलिंग में सबसे खराब स्थिति रही।
इसमें कुल 1 लाख 7 हजार सीटों पर एडमिशन होना था जिसमें 214 कॉलेजों की 90 प्रतिशत सीटें खाली रह गईं। इसमें से 89 प्रतिशत सीटें मैकेनिकल और सिविल इंजीनियरिंग में खाली रहीं। कंप्यूटर साइंस में भी कुल सीटों के सापेक्ष सिर्फ 23 प्रतिशत सीटों पर ही एडमिशन हो पाए।
वर्तमान में यूपीएसईई 2017 की काउंसिलिंग प्रक्रिया चल रही है, जिसमें शुरुआती रुझान कम है। इसमें गौर करने वाली बात यह है कि इस प्रवेश परीक्षा के टॉपर ही यहंा के कालेजों में प्रवेश लेने नहीं आते हैं। इनमें से कई टॉपर्स का मानना है कि यहां की एजूकेशन महंगी होने के साथ ही रोजगार की गारंटी नहीं दे पाती है जबकि अन्य कुछ प्रदेशों के कालेजों से अच्छे प्लेसमेंट होते रहे हैं। एकेटीयू के वीसी प्रोफेसर विनय कुमार पाठक का कहना है कि हम छात्रों को आकॢषत करने के लिए नए-नए प्रयोग कर रहे हैं। उम्मीद है कि इस बार परिणाम सकारात्मक होंगे।
वर्ष कुल एडमिशन खाली सीटें
2014-15 48 हजार 365 1 लाख 1 हजार 635
2015-16 36 हजार 245 1 लाख 7 हजार 755
2016-17 20 हजार 673 86 हजार 327
कुलपति प्रोफेसर के मुताबिक
शिकायत मिली तो कार्रवाई होगीडॉ.एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर विनय कुमार पाठक ने कहा कि हमने कॉलेजों को एक नोटिस जारी किया है। इसमें स्पष्ट लिखा है कि कोई भी निजी इंजीनियरिंग कॉलेज अपने किसी भी शिक्षक को सत्र के बीच में नहीं निकाल सकता है। इसके अलावा यदि उसे विशेष परिस्थितियों में हटाना हो तो कम से कम तीन महीने की अग्रिम नोटिस देनी होगी।
जहां तक सैलरी में इस तरह के घोटाले की बात है तो इस मामले में कोई लिखित शिकायत प्राप्त नहीं हुई है। लिखित शिकायत पर तत्काल कार्रवाई की जाएगी। आर.आर.कॅालेज के दो शिक्षक कुछ समय पूर्व मुझसे आकर मिले थे। उन्हें बीच सत्र में हटाया जा रहा था, जिस पर मैंने खुद वहां के मैनेजमेंट से बात करके उन्हें बहाल करवाया था। इस बारे में जब आर.आर.कॉलेज का पक्ष जानने के लिए फोन किया गया तो उनका फोन ही नहीं उठा।