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AKTU वीसी पर धांधली का आरोप, शासनादेश ताक पर रखकर किया रेगुलराईजेशन 

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Published on: 20 Sept 2016 11:41 AM IST
AKTU वीसी पर धांधली का आरोप, शासनादेश ताक पर रखकर किया रेगुलराईजेशन 
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लखनऊ: यूपी के डॉ एपीजे अब्दुल कलाम टेक्निकल युनिवर्सिटी(AKTU) के वाईस चांसलर प्रोफेसर विनय पाठक पर हाल ही में कर्मचारियों के रेगुलराइजेशन में धांधली करने के आरोप लगे हैं। इसमें साफ तौर पर कहा गया है कि वीसी विनय पाठक ने फ़रवरी में संविदाकर्मियोंं को नियमित करने के मामले में बड़े पैमाने पर खेल किया है। ये पहला मामला नहीं है जब वीसी के किसी काम पर सवालिया निशान लगे हैं। इससे पहले भी वाईस चांसलर पर लगे आरोपों की जांच सीएम कार्यालय से चल रही है।

जानिए क्या है पूरा मामला

2002 में सेवा में लिए व्यक्ति को बैकडेट में दिखाकर किया नियमित

-प्रोफेसर विनय पाठक पर शिकायत कर्ता सुमित पाल ने गंभीर आरोप लगाए हैं।

-इन आरोपों की जांच सीएम कार्यालय से चल रही है।

-इसी बीच हाल ही में उन पर संविदा कर्मचारियों के रेगुलराइजेशन में धांधली का आरोप भी लगा है।

- 24 फ़रवरी 2016 को यूपी के टेक्निकल एजुकेशन डिपार्टमेंट ने एक शासनादेश निकाला था।

- इसके अनुसार 31 दिसम्बर 2001 तक यूनिवर्सिटी में संविदा और दैनिक वर्कचार्ज पर तैनात कर्मियों को रेगुलर करना शामिल था।

-इसके बाद वाईस चांसलर विनय पाठक ने 72 संविदाकर्मियों को रेगुलर किया।

-इन 72 कर्मचारियों की लिस्ट में वर्तमान में युनिवर्सिटी में इंजिनियर के पद पर तैनात आशीष मिश्रा को भी रेगुलर किया गया।

-जबकि आशीष मिश्र को वर्ष 2002 में वाईस चांसलर दुर्ग सिंह चौहान ने 3 माह के लिए नियुक्त किया था।

-ऐसे में सवाल ये है कि जब आशीष मिश्र की नियुक्ति 29 जनवरी 2002 में हुई थी तो उनको इस शासनादेश का किन परिस्थितियों में लाभ दिया गया।

वीसी बोले- हमने कुछ नहीं किया, पूर्व वीसी के आदेश को बनाया आधार

- इस पूरे मामले में वाईस चांसलर विनय पाठक जान कर भी अनजान बने हुए हैं।

- वाईस चांसलर प्रोफेसर विनय पाठक ने पूर्व वाईस चांसलर दुर्ग सिंह चौहान के 2 मार्च 2004 के एक पत्र को आधार बनाकर रेगुलराइजेशन की बात कही है।

-इसमें एक पत्र सचिव प्राविधिक शिक्षा को भेजा गया है और संविदा कर्मियों को रेगुलर करने का आग्रह किया गया है।

- इसके साथ संलग्न सूची में आशीष मिश्र का नाम शामिल है पर उस पर किसी भी सक्षम अधिकारी के हस्ताक्षर नहीं है।

-इस सूची में आशीष मिश्र को जुलाई 2001 से सेवा में होना दिखाया गया है.पर तिथि निश्चित नहीं है।

-इतना ही नहीं रेगुलराइजेशन के लिए तैयार फाइल में वाईस चांसलर विनय पाठक ने ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं दिखाया जिससे आशीष मिश्रा की 31 दिसम्बर 2001 से पहले नियुक्त होने के प्रमाण हो।

-इसके अलावा जो दस्तावेज न्यूज़ ट्रैक के पास उपलब्ध हैं उसमे दुर्ग सिंह चौहान ने एक प्रस्ताव करके 29 जनवरी 2002 को आशीष मिश्र की सेवाए 3 माह के लिए लेने का अनुमोदन किया है।

-ऐसे में आशीष मिश्रा के रेगुलराइजेशन पर सवालिया निशान खड़े होते हैं।

-इस मामले को कुरेदने पर वाईस चांसलर का कहना है कि उन्होंने कुछ नहीं किया है, सब कुछ पूर्व वाईस चांसलर का किया हुआ है।

- हमने तो बस उनके एक पत्र को आधार बनाकर कर्मचारियों को नियमित कर दिया।

वीसी पर मुख्यमंत्री कार्यालय से भी चल रही जांच

- मुख्यमंत्री कार्यालय से वीसी विनय पाठक पर जांच चल रही है।

-इसमें नौ पेज का एक शिकायती पत्र मुख्यमंत्री कार्यालय में भेजा गया है।

-इसकी जांच गोरखपुर यूनिवर्सिटी के वाईस चांसलर ओंकार सिंह कर रहे हैं।

- शिकायती पत्र भेजने वाले सुमित पाल नामक व्यक्ति ने इसमें भी आईईटी में डीन की नियुक्ति से लेकर कई वित्तीय अनियमित्ताओ पर साक्ष्य सहित सवाल उठाये हैं।

प्रमुख सचिव ने कहा- करवाएंगे जांच

- प्रमुख सचिव प्राविधिक शिक्षा मोनिका गर्ग को newstrack ने इस धांधली से अवगत कराया।

-इस पर प्रमुख सचिव ने इस पूरे प्रकरण पर जांच करवाने की बात कही है।

-उनका कहना है कि वाह इस पूरे प्रकरण की जांच करवाएंगी और किसी भी तरह की धांधली साबित होने पर कार्यवाही करेंगी।



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