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रिक्शा पर पिता का शव और आँखों में आंसू, एंबुलेंस के लिए भटकता रहा बेटा
एक भयावह तस्वीर सामने आई, जिसमें सराय हकीम में रहने वाले चेतन गुप्ता को अपने पिता के शव के लिए एंबुलेंस नहीं मिली।
अलीगढ़: कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर से आई आपदा में अब प्राइवेट एंबुलेंस संचालकों ने कमाई के नए अवसर तलाश लिए हैं। यदि आपके पास कोविड की रिपोर्ट है तो मरीज से चार हजार रुपये वसूली और अगर रिपोर्ट नहीं है तो एंबुलेंस का किराया आठ हजार रुपये तक मांगा जा रहा है। इस बीच एक भयावह तस्वीर सामने आई, जिसमें सराय हकीम में रहने वाले चेतन गुप्ता को अपने पिता के शव के लिए एंबुलेंस नहीं मिली।
सोमवार को चेतन गुप्ता अपने पिता के लिए एंबुलेंस का इंतजाम नहीं कर पाए। पुलिसकर्मियों द्वारा भी कई फोन लगाए गए लेकिन एंबुलेंस नहीं आई। फिर मजबूरन चेतन अपने पिता का शव ई-रिक्शा में लेकर श्मशान घाट पहुंचे।
नहीं मिल रही एंबुलेंस
इधर दाउद खां के हाजीपुर गांव निवासी वेद प्रताप सिंह 10 अप्रैल को सड़क हादसे में घायल हो गए थे। जिसके बाद से वे रामघाट रोड स्थित मैक्सफोर्ट अस्पताल में भर्ती थे। फिर सोमवार को उन्हें छुट्टी मिली, तो बेटा तनिष्क प्रताप सिंह एंबुलेंस संचालकों के पास पहुंचा। लेकिन यहां एंबुलेंस संचालकों ने बताया कि 24 घंटे की कोविड रिपोर्ट चाहिए। यदि है तो चार हजार रुपये किराया लगेगा। नहीं तो फिर आठ हजार रुपये लगेंगे।
वहीं शहर के विभिन्न लोगों से शव को श्मशान घाट पहुंचाने के लिए तीन से पांच हजार रुपये मांगे जा रहे हैं। ऐसे में दर्दनाक तस्वीर देखने तो तब मिली, जब सराय हकीम निवासी रामेंद्र प्रताप गुप्ता के शव को श्मशान पहुंचाने के लिए कोई एंबुलेंस नहीं मिली।
इस बारे में बेटा चेतन गुप्ता ने बताया कि सात दिन पहले आरटीपीसीआर का टेस्ट घर से कराया था। जिसकी रिपोर्ट नहीं आई। इसके बाद रविवार को दीनदयाल जाकर फिर से टेस्ट कराया।
लेकिन सोमवार सुबह आठ बजे के लगभग घर पर ही पिता की मौत हो गई। फिर जानकारी पर पुलिसकर्मी आए थे। एंबुलेंस नहीं मिली तो ई-रिक्शा तय किया गया।
इस पर पुलिसवालों ने मानवीयता के आधार पर शव को ई-रिक्शा में रखवाया। आगे चेतन ने बताया कि वह और उनकी पत्नी क्वारंटीन हो गए हैं। लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं सोचा था कि पिता का शव ई-रिक्शा में पहुंचाना पड़ेगा।