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Aligarh News: एक घंटे के लिए रोका धड़कन, फिर किया बच्चे की वाल्व सर्जरी, दिया नया जीवन

Aligarh News: जेएनएमसी के कार्डियोथोरेसिक सर्जन की एक टीम ने आरबीएसके के तहत नवनीत के वाल्व की सफलतापूर्वक सर्जरी की है.

Garima Singh
Report Garima SinghPublished By Chitra Singh
Published on: 29 Jun 2021 10:41 PM IST
Aligarh News: एक घंटे के लिए रोका धड़कन, फिर किया बच्चे की वाल्व सर्जरी, दिया नया जीवन
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Aligarh News: अलीगढ़ जिले के गभाना निवासी नौ वर्षीय नवनीत के हृदय के वाल्व में रिसाव हुआ, जिससे उसके रक्त प्रवाह में सुधार नहीं हुआ. एएमयू के जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज (Jawaharlal Nehru Medical College) के डॉक्टरों ने नवनीत को नया जीवन दिया देकर उनके परिवार में खुशियां भर दी. बच्चे का सफल इलाज किया गया. वह मेडिकल कॉलेज की गहन चिकित्सा इकाई से बाहर है और हालत में सुधार हो रहा है.

जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के कार्डियोथोरेसिक सर्जन (Cardiothoracic surgeon) की एक टीम ने भारत सरकार के राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) के तहत नवनीत के वाल्व की सफलतापूर्वक सर्जरी (Valve Surgery) की है. डॉ. मयंक यादव और डॉ. सैयद शमायल रब्बानी के साथ सर्जिकल टीम का नेतृत्व करने वाले प्रो. मुहम्मद आजम हसीन (अध्यक्ष, कार्डियोथोरेसिक सर्जरी विभाग) ने कहा कि सर्जरी के दौरान मरीज के दिल और फेफड़ों को 60 मिनट के लिए रोक दिया गया था. क्लीनिकल परफ्यूजनिस्ट डॉ. साबिर अली खान ने हृदय और फेफड़े के फंक्शन पर कार्य किया।

डॉ. साबिर अली खान ने बताया कि हमने वाल्व की सर्जरी करने का फैसला किया, क्योंकि नौ साल के बच्चे के वाल्व को बदलना संभव नहीं था. डॉ काजी एहसान अली (अध्यक्ष, एनेस्थिसियोलॉजी और क्रिटिकल केयर विभाग) ने कहा कि डॉ. दीप्ति चाना, डॉ. नदीम रजा और डॉ. मनजिर अतहर ने एनेस्थीसिया दिया. आपरेशन के बाद बोलते हुए सर्जनों ने बताया कि वाल्व की सर्जरी करना जोखिम के साथ एक कठिन आपरेशन था. जो बहुत कम सरकारी अस्पतालों में किया जाता है. जेएनएमसी सर्जनों द्वारा इस जटिल सर्जरी को शुरू करने से पहले, अलीगढ़ के आसपास के लोगों को एम्स, नई दिल्ली और एसजीपीजीआई, लखनऊ के अलावा कोई विकल्प नहीं था. डॉ. शाद अबकरी (पीडियाट्रिक कार्डिएक इवोल्यूशन एंड कार्डिएक सर्जरी यूनिट (पीसीई-सीएसयू)) ने इको के माध्यम से वाल्व लीकेज का निदान किया और सर्जरी के लिए रेफर किया।

जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज

उन्होंने बताया कि बच्चे को सांस लेने में तकलीफ होने पर उसके माता-पिता उसे जेएनएमसी लाए. नवनीत के माता-पिता ने कई डॉक्टरों से सलाह ली, क्योंकि उसकी हालत बिगड़ती जा रही थी. भारत सरकार की आरबीएस योजना के तहत सैकड़ों बच्चों का निःशुल्क ऑपरेशन किया जा रहा है.

सर्जिकल टीम को बधाई देते हुए एएमयू के कुलपति प्रो. तारिक मंसूर ने कहा कि महामारी के दौरान भी जेएनएमसी सर्जन और डॉक्टर देश के विभिन्न हिस्सों में हर मरीज की मदद करने के अपने वादे पर कायम हैं. उन्होंने कहा कि जेएनएमसी में नियमित रूप से जीवन रक्षक सर्जरी की जा रही है और अप्रैल लॉकडाउन के बाद से कार्डियोथोरैसिक सर्जरी विभाग में 50 से अधिक जीवन रक्षक हृदय की सर्जरी की जा चुकी है.



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Chitra Singh

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