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Khair Bypoll: जातीय समीकरण साधने की जंग, लगातार तीसरी जीत की तलाश में जुटी BJP को सपा की कड़ी चुनौती
Khair Bypoll: खैर विधानसभा क्षेत्र में समाजवादी पार्टी का खाता आज तक नहीं खुल सका है। ऐसे में पार्टी इस बार जीत हासिल करके नई शुरुआत करने की कोशिश में जुटी हुई है।
Khair Bypoll: अलीगढ़ की खैर विधानसभा सीट पर हो रहे हो उपचुनाव सभी दलों की ओर से समीकरण साधने की कोशिश की जा रही है। इस सीट पर भाजपा और सपा के बीच कड़ा मुकाबला हो रहा है जबकि बसपा प्रत्याशी की ओर से मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने की कोशिश की जा रही है। खैर विधानसभा सीट पर पिछले दो चुनावों के दौरान भाजपा बड़े मार्जिन से जीत हासिल करती रही है और इस बार भी पार्टी की ओर से अपनी ताकत दिखाने की पूरी कोशिश की जा रही है।
दूसरी ओर खैर विधानसभा क्षेत्र में समाजवादी पार्टी का खाता आज तक नहीं खुल सका है। ऐसे में पार्टी इस बार जीत हासिल करके नई शुरुआत करने की कोशिश में जुटी हुई है। बसपा को इस सीट पर सिर्फ एक बार जीत हासिल हुई है। भाजपा और सपा दोनों दलों ने आखिरी समय में प्रत्याशियों के नामों का ऐलान किया है। खैर विधानसभा सीट पर हो रहे उपचुनाव में 6 प्रत्याशी मैदान में है और फिलहाल इस विधानसभा सीट पर भाजपा का पलड़ा भारी दिख रहा है।
खैर में सपा का आज तक नहीं खुला खाता
खैर विधानसभा सीट 1962 में बनी थी और उसके बाद अभी तक यहां 16 विधानसभा चुनाव हो चुके हैं। कांग्रेस यह सीट महज तीन बार ही जीत सकी है जबकि सपा का आज तक इस विधानसभा क्षेत्र में खाता तक नहीं खुल सका है। 2012 में प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार बनी थी मगर उस चुनाव में पार्टी यहां अपनी जमानत तक नहीं बचा पाई थी। यदि पिछले पांच विधानसभा चुनाव को देखा जाए तो 2002 में इस सीट पर बसपा को जीत मिली थी। 2007 और 2012 के विधानसभा चुनाव में रालोद प्रत्याशी ने जीत हासिल की थी।
2017 और 2022 के विधानसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी को जीत मिली थी। 2017 में कांग्रेस-सपा गठबंधन होने के बावजूद सपा को इस सीट पर करारी हार का सामना करना पड़ा था। 2022 में सपा-रालोद गठबंधन होने के कारण सपा ने इस सीट पर चुनाव नहीं लड़ा था मगर कांग्रेस प्रत्याशी की इस सीट पर काफी बुरी हालत हुई थी। 2022 में कांग्रेस प्रत्याशी को सिर्फ 1514 वोट मिले थे।
भाजपा को इस कारण माना जा रहा मजबूत
खैर विधानसभा उपचुनाव में भाजपा ने पूर्व सांसद स्व.राजवीर सिंह दिलेर के बेटे सुरेंद्र दिलेर को टिकट दिया है। उनके साथ लोगों की सहानुभूति लहर भी जुड़ी हुई है और इसके साथ ही भाजपा को रालोद गठबंधन का भी फायदा मिलता हुआ दिख रहा है। रालोद से गठबंधन के जरिए भाजपा जाट समाज का समर्थन हासिल करने की कोशिश में भी जुटी हुई है।
भाजपा ने पिछले दो विधानसभा चुनावों के दौरान इस सीट पर बड़ी जीत हासिल की है और पार्टी इस बार भी इस जीत के सिलसिले को बनाए रखना चाहती है। इस इलाके में करीब 29 फीसदी जनरल वोटर हैं और बीजेपी इन मतदाताओं के साथ ओबीसी और दलित बिरादरी में सेंधमारी में कामयाब रही तो पार्टी की जीत का सिलसिला बना रहेगा।
दलित महिला उतार कर अखिलेश ने किया खेल
समाजवादी पार्टी ने सीट पर बसपा और कांग्रेस में रह चुकी डॉक्टर चारू कैन को अपना प्रत्याशी बनाया है। दलित बिरादरी से ताल्लुक रखने वाली चारू को चुनावी अखाड़े में उतार कर सपा मुखिया अखिलेश यादव ने बड़ी सियासी चाल चली है। 2022 के विधानसभा चुनाव के दौरान चारू कैन बसपा के टिकट पर चुनावी अखाड़े में उतरी थीं और वे दूसरे नंबर पर रही थीं।
इस क्षेत्र के मुस्लिम मतदाताओं का समर्थन सपा को मिल रहा है। हालांकि इस इलाके में मुस्लिम मतदाताओं की संख्या सिर्फ 7 फ़ीसदी है। अगर समाजवादी पार्टी यहां पर किसानों के मुद्दे गरमाने के साथ ही पीडीए फॉर्मूले को धार देने में कामयाब रही तो कड़े मुकाबले की उम्मीद जताई जा रही है। बसपा ने इस सीट पर पहल सिंह को टिकट दिया है जबकि आजाद समाज पार्टी की ओर से नितिन कुमार चोटेल अन्य प्रत्याशियों को चुनौती देने के लिए डटे हुए हैं।
जातीय समीकरण साधने की जंग
यदि खैर विधानसभा क्षेत्र के जातीय समीकरण के बाद की जाए तो इस इलाके में सबसे ज्यादा 36 फ़ीसदी ओबीसी मतदाता हैं और इसी कारण ओबीसी मतदाताओं को अपनी ओर आकर्षित करने की जंग छिड़ी हुई है। जनरल मतदाताओं की संख्या 29 फ़ीसदी और एससी मतदाताओं की संख्या करीब 27 फ़ीसदी है। मुस्लिम मतदाता करीब 7 फ़ीसदी हैं। ऐसे में भाजपा ने जनरल और ओबीसी मतदाताओं के दम पर बड़ी उम्मीद पाल रखी है।
दूसरी ओर समाजवादी पार्टी की ओर से पीडीए फॉर्मूले के आधार पर पिछड़ों, दलितों और अल्पसंख्यक मतों के समीकरण को साधने का प्रयास किया जा रहा है। महिला प्रत्याशी उतार कर सपा ने महिला मतदाताओं पर भी डोरे डालने का प्रयास किया है।
भाजपा की ओर से दलित और ओबीसी समीकरण साधने का प्रयास सपा के लिए बड़ी चुनौती माना जा रहा है। बसपा की ओर से भी दलितों के अलावा ओबीसी और अल्पसंख्यक मतदाताओं का समर्थन पाने की कोशिश की जा रही है।
लोकसभा चुनाव में मिली थी सपा को लीड
अलीगढ़ मुख्यालय से 40 किलोमीटर दूर खैर ग्रामीण इलाका है। विधानसभा उपचुनाव के दौरान विपक्षी दलों की ओर से महंगाई, बेरोजगारी और विकास के मुद्दे पर भाजपा को घेरने की कोशिश की जा रही है। भाजपा ने क्षेत्र में पूरी ताकत लगा रखी है और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ के नारे के साथ हिंदू समुदाय को एकजुट बनाने का प्रयास किया है।
दूसरी ओर लोकसभा चुनाव के नतीजे से उत्साहित समाजवादी पार्टी भी भाजपा की मजबूत घेरेबंदी में जुटी हुई है। लोकसभा चुनाव के दौरान सपा को इस विधानसभा क्षेत्र में 1491 मतों की लीड हासिल हुई थी। ऐसे में सपा नेताओं का मानना है कि इस बार के उपचुनाव में सपा इस सीट पर जीत हासिल करके नया इतिहास रच सकती है।