Aligarh News: जलवायु डेटा मापन के लिए जीपीएस-युक्त रेडियोसॉन्ड मौसम गुब्बारा लॉन्च किया

Aligarh News: शोधकर्ताओं को जीपीएस-सहायता प्राप्त रेडियोसॉन्ड का उपयोग करके तापमान, सापेक्ष आर्द्रता और हवा की रफ्तार को मापने की सुविधा प्रदान करेगा।

Lakshman Singh Raghav
Published on: 12 July 2024 2:42 AM GMT
radiosonde weather balloon launched
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radiosonde weather balloon launched  (photo: social media ) 

Aligarh News: मुस्लिम विश्वविद्यालय के भूगोल विभाग द्वारा आज भारत सरकार के अंतरिक्ष विभाग के एनआरएससी-इसरो के सहयोग से आज जीपीएस-युक्त रेडियोसॉन्ड मौसम गुब्बारे को सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया। यह लॉन्च विभाग के शताब्दी समारोह के उपलक्ष में एक बड़ा कदम है। और इसके इतिहास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।

कार्यक्रम का उद्घाटन एएमयू की कुलपति प्रो. नईमा खातून ने किया, जिन्होंने मौसम गुब्बारे को लॉन्च किया। अपने अध्यक्षीय भाषण में प्रो. नईमा खातून ने शताब्दी वर्ष के दौरान भूगोल विभाग के लिए। इस उपलब्धि के ऐतिहासिक महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि यह एक ऐतिहासिक क्षण है और विभाग के लिए एक दुर्लभ उपलब्धि है। क्योंकि यह एक नई पहल के रूप में अपना पहला मौसम गुब्बारा लॉन्च करके अपने शताब्दी वर्ष का जश्न मना रहा है। यह हमारे शोधकर्ताओं को जीपीएस-सहायता प्राप्त रेडियोसॉन्ड का उपयोग करके तापमान, सापेक्ष आर्द्रता और हवा की रफ्तार को मापने की सुविधा प्रदान करेगा।

कुलपति ने कहा कि विभिन्न सेंसर से लैस ये छोटे उपकरण उच्च-रिजॉल्यूशन वाले वायुमंडलीय डेटा एकत्र करने के लिए महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने कहा कि यह हमें उष्णकटिबंधीय चक्रवातों, नॉरवेस्टर, धूल के तूफान, भारी बारिश और हिमपात, ठंड और गर्मी की लहरों आदि जैसी गंभीर मौसम संबंधी घटनाओं के बारे में चेतावनी उपलब्ध कराता हैं। जो जीवन और संपत्ति के विनाश का कारण बनते हैं।

उपकरणों के महत्व पर जोर

मुख्य अतिथि डॉ. जगवीर सिंह, वैज्ञानिक और पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सलाहकार ने इन उन्नत उपकरणों के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि यह उपकरण तापमान, दबाव, सापेक्ष आर्द्रता और हवाओं के ऊर्ध्वाधर प्रोफाइल को मापेंगे, जो जलवायु अनुसंधान के लिए महत्वपूर्ण डेटा प्रदान करेंगे। उन्होंने जलवायु अनुसंधान क्षमताओं को आगे बढ़ाने में अपनी पहल के लिए एएमयू की एक संस्था के रूप में भी सराहना की।

मुख्य अतिथि डॉ. गजेंद्र सिंह, वैज्ञानिक एफ और केंद्रीय विमानन मौसम विज्ञान प्रभाग, आईएमडी, भारत सरकार के प्रमुख ने जीपीएस-सहायता प्राप्त रेडियोसॉन्ड के व्यावहारिक अनुप्रयोगों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि जीपीएस मॉड्यूल के साथ एकीकृत, सोंडे सटीक नेविगेशन पैरामीटर और मौसम संबंधी अवलोकन प्रदान करता है। जो कृषि, सिंचाई, शिपिंग, विमानन और अपतटीय तेल अन्वेषण जैसी मौसम-संवेदनशील गतिविधियों के लिए आवश्यक हैं।

जीपीएस रेडियोसॉन्ड का प्रक्षेपण एक सहयोगात्मक प्रयास

हैदराबाद स्थित एनआरएससी-इसरो के वैज्ञानिक एसएफ डॉ. हरीफ बाबा साहेब के उक्त परियोजना का संक्षिप्त परिचय देते हुए बताया कि आज का प्रक्षेपण एएमयू और एनआरएससी के बीच एनआईसीईएस कार्यक्रम के तहत हुए करार का हिस्सा है। उन्होंने बताया कि जीपीएस रेडियोसॉन्ड का प्रक्षेपण एक सहयोगात्मक प्रयास है। जिसका उद्देश्य मौसम संबंधी शोध को बढ़ावा देना है।विज्ञान संकाय के डीन, प्रो. कमरुल एच. अंसारी ने इस पहल की प्रशंसा करते हुए कहा कि यह जलवायु डेटा संग्रह और विश्लेषण में सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

विभागाध्यक्ष प्रो. निजामुद्दीन खान ने स्वागत भाषण दिया। परियोजना समन्वयक प्रो. अतीक अहमद ने कार्यक्रम का संचालन किया और प्रो. शहाब फजल ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया। प्रो. राशिद अजीज फरीदी ने भी कार्यक्रम के आयोजन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

Monika

Monika

Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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