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Aligarh News: पुलिस ने बड़े बड़े जज कर दिए ठीक, एक रिपोर्ट लिखा देंगे! दिमाग ठिकाने आ जाएंगे- जज से बोला दरोगा!

Aligarh News: इस पर विवेचक उपनिरीक्षक सचिन कुमार ने न्यायालय में अभद्र भाषा का प्रयोग करते हुये कहा कि रिमाण्ड मजिस्ट्रेट का कार्य रिमाण्ड करना है और पुलिस के द्वारा जो भी अभियुक्त लाया जायेगा उसके कागजों की बारीकी न देखते हुए रिमाण्ड किया जाना मजबूरी है।

Lakshman Singh Raghav
Published on: 18 Sept 2024 8:37 PM IST
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Aligarh News: रिमांड मजिस्ट्रेट पर अपमानित कर आत्महत्या को विवश करने का आरोप लगाकर दरोगा द्वारा रेलवे ट्रैक पर आत्महत्या की कोशिश किए जाने के मामले में रिमांड मजिस्ट्रेट और दरोगा आमने-सामने आ गए हैं। रिमांड मजिस्ट्रेट ने दरोगा पर न्यायालय में उनके साथ अभद्र व्यवहार कर धमकी दिए जाने का गंभीर आरोप लगाया है, जिसके बाद सीजेएम ने रिमांड मजिस्ट्रेट के साथ न्यायालय में दारोगा द्वारा अभद्र व्यवहार कर धमकी दिए जाने के मामले में अलीगढ वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को लिखित शिकायत भेजी गई।

प्राप्त जानकारी के अनुसार एसएसपी को भेजी गई शिकायत में आरोप लगाया है कि बन्नादेवी थाने पर पंजीकृत मुकदमा अपराध संख्या 684/2024 की धारा -(684/23,317(2),317/4,317/5) BNS एक्ट के तहत अभियुक्तगुण अदीब, अरमान,आमिर शारिक सहित फैज को गिरफ्तार कर दरोगा सचिन कुमार के द्वारा उनके न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करते हुए। सभी अभियुक्तगणों को 14 दिन की रिमांड दिए जाने की प्रार्थना की गई थी। रिमांड मजिस्ट्रेट का आरोप है कि दरोगा के द्वारा उनके सामने प्रस्तुत किए गए रिमांड प्रपत्रों और प्रथम सूचना रिपोर्ट का अवलोकन किया गया तो अभियुक्तगणों के विरुद्ध मोटरसाइकिल चोरी करने और उनके पास से चोरी की संपत्ति के रूप में मोटरसाइकिल बरामद होने का आरोप लगाया गया है जो कि बीएनएस कानून की धारा- 317/(2), 317(4),317(5) के अंतर्गत अपराध है।

तो वही प्रथम दृष्टया अभियुक्तगण को अभिरक्षा में प्रतिप्रेषित किये जाने का आधार पर्याप्त है, लेकिन इस स्तर पर अभियुक्तगण के चिकित्सीय परीक्षण के अवलोकन से प्रकट हुआ कि उनके शरीर पर चोटें हैं और गिरफतारी प्रपत्र पर अभियुक्तगण की गिरफतारी की सूचना सभी अभियुक्तगण के परिवारीजनों को भेजा जाने का उल्लेख नहीं है। इस प्रकार माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा विधिक व्यवस्था डी०के० बसु बनाम बंगाल राज्य में प्रतिपादित सिद्धान्तों का पालन गिरफतारी करने वाले वादी मुकदमा के द्वारा नहीं किया गया था।

इस स्तर पर विवेचक सचिन कुमार के समक्ष यह आदेश आशुलिपिक को बोले। जाते हुए विवेचक द्वारा आदेश को सुनकर यह टिप्पणी की गयी कि पुलिस के पास इतना समय नहीं है कि ऐसे फालतू की सूचनाएं अभियुक्तगण के परिवारीजनों को देते फिरें। यह टिप्पणी सुनकर उनके द्वारा विवेचक से यह कहा गया कि न्यायालय के रूप में कार्य करते हुए यह देखा जाना आवश्यक है कि अभियुक्तगण के अधिकार विपरीत रूप से प्रभावित तो नहीं हो रहे हैं।

इस पर विवेचक उपनिरीक्षक सचिन कुमार ने न्यायालय में अभद्र भाषा का प्रयोग करते हुये कहा कि रिमाण्ड मजिस्ट्रेट का कार्य रिमाण्ड करना है और पुलिस के द्वारा जो भी अभियुक्त लाया जायेगा उसके कागजों की बारीकी न देखते हुए रिमाण्ड किया जाना मजबूरी है। इस पर उनके द्वारा पुलिसकर्मी उपनिरीक्षक सचिन कुमार को अभद्र भाषा का प्रयोग न करने के लिये कहा गया तो दरोगा द्वारा उनसे यह कहा कि पुलिस ने बड़े बड़े जज ठीक कर दिये हैं, अभी एक रिपोर्ट लिखा देंगे, तो दिमाग ठिकाने आ जायेंगे। फिर दरोगा ने रिमाण्ड प्रपत्र और केस डायरी न्यायालय के समक्ष फेंकते हुये यह कहा कि यह कागज आप ही रख लें। हम मुल्जिमानों को ले जा रहे हैं और आपके विरूद्ध यह मुकदमा लिखायेंगे कि तुमने हमें अपमानित करके आत्महत्या करने के लिये मजबूर किया है और यह कहते हुए उपनिरीक्षक सचिन कुमार उनके न्यायालय से चले गये।

विवेचक उपनिरीक्षक सचिन कुमार के द्वारा जान बूझकर न्यायालय के पीठासीन अधिकारी के रूप में रिमाण्ड मजिस्ट्रेट को इस आशय से धमकी दी गयी कि मैं रिमाण्ड प्रपत्र की जांच करे बिना ही रिमाण्ड देने के लिये! दबाव में आ जाऊँ जो कि न्यायिक कार्य में बाधा पहुँचाने का कृत्य है और न्यायालय की अवमानना की श्रेणी में आता है क्योंकि यह न्यायिक अधिकारी को डरा धमका कर अपने पक्ष में न्यायिक आदेश प्राप्त करने का प्रयास है। चूँकि विवेचक अभियुक्तगण को अपने साथ ले गये हैं, इस लिये उन्हें अभिरक्षा में प्रेषित करने का आदेश अब पारित नहीं किया जा सकता। रिमाण्ड प्रपत्र जो विवेचक द्वारा छोडे गये हैं। तथा केस डायरी कोर्टमोहर्रिर अपने पास रखें और विवेचक को वापस करें। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि गिरफ्तारी की इस अनियमितता की सूचना वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को प्रेषित की जाय ताकि भविष्य में गिरफतारी करते समय विधिक बाध्यताओं का पालन सुनिश्चित किया जा सके। विवेचक द्वारा किये गये उक्त दुराचार की सूचना आदेश की प्रति के साथ वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक एवं मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अलीगढ़ को उनकी तरफ से प्रेषित की गई है।



Shalini singh

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