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ब्राह्मण महासभा ने 'राम' को बताया लड़वाने वाला, 'रावण' ब्राह्मणों के इष्ट देव
मुरादाबाद: अखिल भारतीय ब्राह्मण महासभा के प्रदेश अध्यक्ष ने सोमवार (28 मई) को हिन्दू धर्म की आस्था के प्रतीक भगवान श्री राम और बुराई के प्रतीक कहे जाने वाले रावण पर अनोखा बयान दिया है। आने वाले दिनों में अखिल भारतीय ब्राह्मण महासभा के प्रदेश अध्यक्ष पंडित सतेंद्र शर्मा के हालिया बयान से बवाल खड़ा होना तय है।
अपने बयान में पंडित सतेंद्र शर्मा ने जहां भगवान राम को केवल एक क्षत्रिय राजा बताया, वहीं रावण को प्रकांड विद्वान। साथ ही उन्होंने रावण दहन पर ब्राह्मण समाज के लोगों को दुख होने की भी बात कही।
रावण का किया महिमामंडन
अखिल भारतीय ब्राह्मण महासभा के प्रदेश अध्यक्ष ने कहा, प्रदेश के ब्राह्मण समाज के लोगों को रावण दहन का दुख है। उन्होंने कहा, संस्कार केवल एक बार होता है, बार बार नहीं। रावण इस सृष्टि का सबसे प्रकांड विद्वान था। उसने मात्र तेरह साल की आयु में रावण संहिता लिखी थी। पंडित सतेंद्र शर्मा ने कहा, जो भगवान शंकर का परम भक्त हो, इतने वरदान मिले हों, ऐसे व्यक्ति का हर वर्ष पुतला दहन होना ब्राह्मण समुदाय को टीस पहुंचाती है। उन्हें बुराई का प्रतीक बना दिया, जबकि रावण ने कोई भी ऐसा घिनौना काम नहीं किया। अगर सीता का हरण भी किया तो अशोक वाटिका में रखा गया। उन्होंने नारी के सम्मान का पूरा ध्यान रखा।' उन्होंने कहा, ब्राह्मण महासभा रावण के हर वर्ष होने वाले पुतला दहन का विरोध करेगी। यह पुतला दहन परंपरा बिल्कुल गलत है।
रामचंद्रजी ने भाई को भाई से लड़वाया
पंडित सतेंद्र शर्मा ने श्री राम को मात्र एक एक राजा बताया। कहा, 'उन्हें भगवान की उपाधि दी गई, ठीक है। उनका महिमामंडन किया गया। लेकिन ये ठीक नहीं की रावण को बुराई का प्रतीक बना दिया जाए, जबकि उन्होंने कहीं भी अनीति का काम नहीं किया। जबकि रामचंद्र ने बहुत सारे ऐसे काम किए हैं जैसे भाई को भाई से लड़वाया, छुपकर बाली को मारा।'
अगर राजाओं के मंदिर बनने लगे तो...
ब्राह्मण महासभा के अनुसार, 'रामचंद्र जी का कहीं भी कोई मंदिर अस्तित्व में नही है। उन्हीं के घर अयोध्या में मंदिर बनने को लेकर सालों से विवाद चल रहा है। जबकि हिन्दू समाज के भगवानों के हजारों मंदिर हैं।' उन्होंने कहा, अगर राजाओं के मंदिर बनने लगे, तो हर शहर और हर प्रदेश में मंदिरों की बाढ़ आ जाएगी। मर्यादा परुषोत्तम राम सिर्फ एक राजा थे। वो शक्तिशाली राजा थे।' इस दौरान उन्होंने सीता की अग्निपरीक्षा और वनवास की भी चर्चा की। इसे नारी जाति का अपमान बताया।
रावण ब्राह्मणों के इष्ट देव
पंडित सतेंद्र शर्मा ने एक तरफ जहां रावण के पुतला दहन का विरोध किया, वहीं लंकेश को ब्राह्मणों का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा, हर वर्ष दशहरे पर लगने वाले मेले से ब्राह्मणों की तौहीन की जाती है। उससे उनका समाज आहत है। ऐसे कृत्य को उनका समाज जघन्य अपराध मानता है।