संशोधन बिल को पारित न होने देने की अपील, चेयरमैन ने केंद्र सरकार को लिखा पत्र

इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल-2020 पर केंद्रीय विद्युत मंत्री द्वारा जारी स्पष्टीकरण से असंतुष्ट बिजली इंजीनियरों ने बिल को संसद में रखे जाने के पहले विस्तृत विचार विमर्श के लिए ऊर्जा मामलों की स्टैंडिंग कमेटी को भेजे जाने की मांग की है।

Roshni Khan
Published on: 26 Jun 2020 10:01 AM GMT
संशोधन बिल को पारित न होने देने की अपील, चेयरमैन ने केंद्र सरकार को लिखा पत्र
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लखनऊ: इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल-2020 पर केंद्रीय विद्युत मंत्री द्वारा जारी स्पष्टीकरण से असंतुष्ट बिजली इंजीनियरों ने बिल को संसद में रखे जाने के पहले विस्तृत विचार विमर्श के लिए ऊर्जा मामलों की स्टैंडिंग कमेटी को भेजे जाने की मांग की है।

ऑल इण्डिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन के चेयरमैन शैलेन्द्र दुबे ने सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों को भी पत्र भेजकर मांग की है कि वे केंद्र सरकार की संसद के आगामी मानसून सत्र में इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल-2020 को पारित करने की एकतरफा कोशिश को रोकने के लिए सार्थक पहल करे जिससे बिजली उपभोक्ताओं विशेष रूप से किसानों और बिजली कर्मियों के हितों की रक्षा की जा सकें।

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ऑल इण्डिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन ने बताया

ऑल इण्डिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन ने शुक्रवार को इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2020 पर केंद्रीय विद्युत मंत्री आर के सिंह द्वारा जारी स्पष्टीकरण को अस्पष्ट और भ्रामक बताते हुए मांग की है कि संशोधन बिल को संसद में रखे जाने के पहले विस्तृत विचार विमर्श के लिए ऊर्जा मामलों की स्टैंडिंग कमेटी को भेजा जाए जिसके समक्ष बिजली उपभोक्ता, कर्मचारी, इंजीनियर और राज्य सरकारों समेत सभी स्टेक होल्डरों को अपना पक्ष रखने का पूरा अवसर मिल सकें।

फेडरेशन ने केंद्र सरकार से सवाल किया

फेडरेशन ने केंद्र सरकार से सवाल किया कि बिल में केंद्र शासित चंडीगढ़ और पुडुचेरी के निजीकरण का कोई उल्लेख नहीं है फिर भी केंद्रीय विद्युत् मंत्रालय ने इनके निजीकरण के लिए आदेश जारी कर साफ कर दिया है कि केंद्र सरकार मुनाफे वाले क्षेत्र निजी घरानों सौंपना चाहती है। केंद्रीय विद्युत मंत्री द्वारा जारी बयान पर फेडरेशन ने कहा है कि 17 अप्रैल को जारी इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2020 के ड्राफ्ट में अगर केंद्र सरकार कोई परिवर्तन कर रही है तो पहले उसे सार्वजानिक किया जाना चाहिए। फेडरेशन का कहना है कि केंद्रीय विद्युत मंत्री ने बीते गुरुवार को जारी बयान में कहा है कि बिल को संसद के मानसून सत्र में पारित कराया जायेगा।

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ऑल इण्डिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन के चेयरमैन शैलेन्द्र दुबे ने केंद्र सरकार को भेजा

ऑल इण्डिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन के चेयरमैन शैलेन्द्र दुबे ने केंद्र सरकार को पत्र भेजकर मांग की है कि कोविड-19 संक्रमण के दौर में इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल-2020 को जल्दबाजी में संसद के मानसून सत्र में पारित कराना किसी भी प्रकार उचित नहीं होगा। इसलिए पूर्व की तरह पहले इस बिल को संसद की ऊर्जा मामलों की स्टैंडिंग कमेटी को भेजा जाये। केंद्रीय विद्युत मंत्री द्वारा जारी स्पष्टीकरण को खारिज करते हुए उन्होंने कहा कि विद्युत वितरण के निजीकरण के लिए वितरण सब लाइसेंसी और फ्रेंचाइजी नियुक्त करने, किसानों और गरीब उपभोक्ताओं के लिए बिजली बिल में मिलने वाली सब्सिडी समाप्त करने, निजी बिजली उत्पादन कंपनियों से बिजली खरीद का वितरण कंपनियों द्वारा एलसी खोलकर अग्रिम भुगतान सुनिश्चित करने के लिए इलेक्ट्रिसिटी कान्ट्रैक्ट इन्फोर्स्मेंट अथारिटी को अधिकार सौंपने, निजी बिजली उत्पादन कंपनियों का अग्रिम भुगतान सुनिश्चित न होने पर केंद्रीय लोड डिस्पैच केंद्र को प्रदेश की बिजली आपूर्ति रोकने का अधिकार और पालन न करने पर भारी पेनाल्टी लगाना जैसे मामलों पर केंद्रीय विद्युत मंत्री के बयान में 17 अप्रैल को जारी ड्राफ्ट बिल से अलग कुछ भी नही कहा गया है।

वितरण कंपनियों की अरबो-खरबो रुपये का नेटवर्क पैसा कमाने के लिए वितरण सब लाइसेंसी और फ्रेंचाइजी को मुफ्त में दे दिया जाएगा तो इससे कौन सुधार होने जा रहा है। दुबे ने कहा कि निजी कम्पनियां केवल मुनाफे वाले क्षेत्र में कार्य करने आएंगी जिसके परिणामस्वरूप सरकारी वितरण कंपनियों का घाटा और बढ़ेगा। उन्होंने कहा कि केंद्रीय विद्युत मंत्री द्वारा जारी बयान खासकर बिजली उपभोक्ताओं और बिजली कर्मचारियों के लिए पूरी तरह निराशाजनक है।

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