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कुम्भ में गंगा पंडाल में आयोजित हुआ सर्व समावेशी संस्कृति कुम्भ,संतो ने किया प्रतिभाग
बुधवार को कुंभ नगर के परेड क्षेत्र स्थित गंगा पंडाल में राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय प्रयागराज के संयोजन में भारत सरकार एवं उ.प्र. संस्कृति विभाग के संयुक्त तत्वावधान में सर्व समावेशी संस्कृति कुम्भ का भव्य आयोजन किया गया। विभिन्न मत पन्थ, सम्प्रदाय के विभिन्न प्रांतों से पधारे हजारों भारत के पूज्य साधू, संत एकं सद्रविप्रा बहुधा वदन्ति ध्येय वाक्य पर पूज्य संतों ने अपने विचार रखे। कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्जवलन, गणेश वन्दना, हरिभजन से प्रारंभ हुआ।
आशीष पाण्डेय
कुम्भ नगर: बुधवार को कुंभ नगर के परेड क्षेत्र स्थित गंगा पंडाल में राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय प्रयागराज के संयोजन में भारत सरकार एवं उ.प्र. संस्कृति विभाग के संयुक्त तत्वावधान में सर्व समावेशी संस्कृति कुम्भ का भव्य आयोजन किया गया। विभिन्न मत पन्थ, सम्प्रदाय के विभिन्न प्रांतों से पधारे हजारों भारत के पूज्य साधू, संत एकं सद्रविप्रा बहुधा वदन्ति ध्येय वाक्य पर पूज्य संतों ने अपने विचार रखे। कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्जवलन, गणेश वन्दना, हरिभजन से प्रारंभ हुआ।
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प्रदेश के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने भी इस कार्यक्रम में सहभागिता करते हुए कहा कि सर्व समावेशी संस्कृति कुम्भ में देश के कोने-कोने से आये विद्वान साधु-संत आज समाज को एकता के सूत्र में पिरोये रखने के लिए इकटठा हुए हैं। हमारे देश में विविध धर्म एवं संस्कृतियों के लोग रहते हैं, उनमें सामाजिक एकता बनी रहे और देश को मजबूती मिले, यही हम सबका ध्येय है।
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राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय के कुलपति कामेश्वर सिंह ने सभी अतिथियों व संतों का स्वागत करते हुए कहा कि सर्व समावेशी संस्कृति कुम्भ से जीवन जीने की विधा का ज्ञान मिल रहा है। हिमालय से हिन्द महासागर तक विभिन्न भौगोलिक स्थितियां एवं मत पन्थ सम्प्रदाय हैं, किन्तु भारत एक है। संस्कृति कुम्भ की अध्यक्षता करते हुए जगत गुरू स्वामी हंसदेवाचार्य ने कहा कि इस कुम्भ के आयोजन से एक नए युग का निर्माण होगा और एक नया इतिहास लिखा जाएगा। यह एक ऐसा ऐतिहासिक आयोजन है, जिससे समाज में भाईचारे का संदेश जाएगा और संतों के उद्गार व उनके अनुभवों से लोग सीख लेंगे। विद्वान वक्ता भैया जी जोशी ने इस आयोजन में अपेक्षित सहयोग के लिए उत्तर प्रदेश सरकार के मा. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के प्रति धन्यवाद ज्ञापित करते हुए बताया कि यह संतों का पांचवा वैचारिक कुम्भ हो रहा है। उन्होंने कहा कि यहां पर महापुरुषों के जीवन संदेशों की प्रदर्शनी लगाई गई है। जो लोगों के लिए बहुत ही प्रेरणादायक है।
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योग गुरु स्वामी रामदेव ने धूम्रपान रोकने की पुरजोर अपील की तथा महिला सशक्तिकरण के बारे में भी अपने प्रेरक विचार रखे। उन्होंने कहा कि हमें अपने आत्म गौरव के बल पर ऐसे चरित्र का निर्माण करना है कि सारा विश्व हमारा अनुसरण करें। गोविन्द गिरि जी ने कहा कि भारत की आत्मा वेदों में बसती है। नदियॉ, संस्कृति पूरी दुनिया को आकर्षित करती है। महामंडलेश्वर अवधेशानंद ने कहा कि सत्य पर सबसे अधिक विचार भारत में हुआ है। पूरी दुनिया विश्व को बाजार मानती है। भारत दुनिया को परिवार मानता है। श्री स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि सर्वसमावेशी संस्कृति कुम्भ ने इस कुम्भ को नई दिशा दी है।
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केन्द्रीय तिब्बत विश्वविद्यालय के कुलपति रिव कोन्चे ने कहा कि भारतीय संस्कृति को अंहिसा और संतोष की है। इसी देश ने सभी धर्मो, सम्प्रदाय को जन्म दिया है। जगतगुरू वासुदेवानन्द सरस्वती ने कहा कि पूजा पद्वति, साहित्य अनेक हैं किन्तु सम्पूर्ण दुनिया के सुख की कामना केवल भारतीय संस्कृति में है। कमलमुनि जैन, जितेन्द्र जी महाराज, साध्वी प्राची, सत्यपाल जी महाराज, प्रियवंदा, उमेश नाथ बाल्मीकि, डा. विजय राम सहित अनेक महान अखाड़ों के संतों ने अपने प्रेरक, अर्थपूर्ण व सारगर्भित विचारों से वैचारिक एकता का संदेश दिया। कार्यक्रम का संचालन श्री जीवेश्वर ने किया। संचालन समिति के संयोजक डॉ सुरेंद्र जैन ने संतो के प्रति कृतज्ञता व जनता के प्रति आभार जताया तथा केंद्र व राज्य सरकार को इस आयोजन में सहयोग के लिए धन्यवाद दिया। इस अवसर पर भारी संख्या में साधू संत एवं आम जनमानस उपस्थित रहा।