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हाईकोर्ट ने UP सरकार से पूछा- क्यों न PWD का खाता सीज कर दिया जाए?
इलाहाबाद: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश की योगी सरकार से पूछा है कि आपके पीडब्ल्यूडी विभाग का अकाउंट क्यों ना सीज कर दिया जाए। सरकार से कोर्ट ने इस बावत दो सप्ताह में स्पष्टीकरण मांगा है। राज्य सरकार को आगामी 6 अक्टूबर तक इस संबंध में कोर्ट के समक्ष अपना कारण स्पष्ट करना है।
यह आदेश जस्टिस तरुण अग्रवाल व जस्टिस सिद्धार्थ वर्मा की खंडपीठ ने आजमगढ़ के एक ठेकेदार प्रवीण सिंह की याचिका पर दिया है। याची पीडब्ल्यूडी, आजमगढ़ में सी क्लास रजिस्टर्ड ठेकेदार है।
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क्या है मामला?
साल 2005 में याची को सरदहा से भीमभर तक सड़क बनाने का ठेका मिला था। उसने निर्धारित समय सीमा में अपना काम भी पूरा कर लिया तथा बिल भुगतान के लिए लोक निर्माण विभाग में पत्र प्रस्तुत किए। विभाग ने काम के आधे पैसों का भुगतान भी कर दिया। लेकिन आधा पैसा यानि 45 हजार 273 रुपए का भुगतान रोक दिया। नाराज ठेकेदार ने अधिवक्ता राजीव सिंह के मार्फत हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की तथा बकाया पैसों के भुगतान की मांग की।
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पीडब्ल्यूडी ने ये कहा था
हाईकोर्ट के दो जजों की खंडपीठ ने याचिका को यह कहते हुए निस्तारित कर दिया कि अधीक्षण अभियंता पीडब्ल्यूडी 6 सप्ताह में ठेकेदार के बकाया पैसों को लेकर सकारण आदेश पारित करें। हाईकोर्ट के इस आदेश के पालन में अधीक्षण अभियंता आजमगढ़ ने आदेश पारित कर कहा, कि बिल भुगतान को लेकर याची ठेकेदार का दावा स्वीकार है। परंतु इसका भुगतान पीडब्ल्यूडी अनुभाग- 13 के ज्वाइन्ट सेक्रेटरी का निर्देश प्राप्ति के बिना नहीं हो सकता।
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ठेकेदार ने लगाया है अपना पैसा
अधीक्षण अभियंता के इस आदेश को दोबारा याचिका दायर कर ठेकेदार ने चुनौती दी थी। ठेकेदार के अधिवक्ता राजीव सिंह का कहना था कि 'जब बिल का पैसा व उसका भुगतान होना स्वीकार है, तो विभाग के बड़े अधिकारी इस भुगतान को नहीं रोक सकते। याची ने अपना पैसा लगाकर ठेके का काम पूरा किया है। इस नाते उसे उसके पैसों का भुगतान पाने का अधिकार है। 6 अक्टूबर को हाईकोर्ट इस मामले पर सुनवाई करेगा।