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इलाहाबाद HC का निजी स्कूलों पर फैसला, अब हर साल 30 अप्रैल से पहले देनी होगी फीस प्रतिपूर्ति की धनराशि
इलाहाबाद HC का निजी स्कूलों के पक्ष में फैसला दिया। HC ने कहा कि अब हर साल 30 अप्रैल से पहले फीस प्रतिपूर्ति की धनराशि देनी होगी
UP News Today: शिक्षा के अधिकार अधिनियम 2009 की धारा 12(2) के अन्तर्गत निजी स्कूलों को दी जा रही फीस प्रतिपूर्ति की धनराशि, अब उत्तर प्रदेश आरटीई यूपी निःशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार नियमावली, 2011 के नियम 8(2) में दी गई व्यवस्था के अनुसार ही गणना करके देनी होगी। यह आदेश 26 अगस्त को उच्च न्यायालय इलाहाबाद (Allahabad High Court ) की लखनऊ खण्डपीठ द्वारा लखनऊ एजुकेशनल एंड एसथेटिक्स डेवलपमेंट सोसाइटी (Lucknow Education And Aesthetics Development Society) बनाम उत्तर प्रदेश सरकार (UP Government) के वाद संख्या- 15790/2019 में दिया गया है।
हर साल 30 अप्रैल से पहले करनी होगी गणना
इसके साथ ही न्यायालय ने अपने आदेश में यह भी कहा है कि इसकी गणना प्रत्येक वर्ष 30 अप्रैल से पूर्व ही सरकार द्वारा करके, निर्धारित की गई इस धनराशि की घोषणा भी अनिवार्य रूप से की जाये। इसके लिए सरकार को 31 मार्च तक सरकारी एवं सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों पर उस वर्ष व्यय की गई कुल धनराशि और 30 सितम्बर को इन स्कूलों में नामांकित कुल बच्चों की संख्या को आधार बनाकर होगा। यहां उल्लेखनीय है कि 2013 से लेकर अभी तक सरकार द्वारा यह धनराशि 450 रूपये ही निर्धारित है और अभी तक इस धनराशि में कोई बदलाव नहीं किया गया है, जबकि नियमावली में दी गई व्यवस्था के तहत इस धनराशि की गणना प्रत्येक वर्ष की जानी थी।
साल 2019 में दायर हुई थी रिट
बता दें कि उत्तर प्रदेश सरकार (UP Government) ने वर्ष 2013 में शासनादेश 20 जून, 2013 के माध्यम से प्रतिपूर्ति की अधिकतम धनराशि 450 रुपये प्रति माह निर्धारित की थी, जिसकी गणना न तो आर.टी.ई. यूपी निःशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार नियमावाली, 2011 के नियम 8(2) में दी गई व्यवस्था के तहत ही की गई थी और न ही इस धनराशि को अभी तक पुनरीक्षित ही किया गया था। ऐसे में सरकार से बार-बार अनुरोध करने के बाद भी जब कोई निर्णय सरकार द्वारा नहीं लिया गया, तो वर्ष 2019 में लखनऊ एजुकेशनल एंड एसथेटिक्स डेवलपमेंट सोसाइटी (Lucknow Education And Aesthetics Development Society) नाम की संस्था ने उच्च न्यायालय लखनऊ खण्डपीठ (High Court Lucknow Bench) में फीस प्रतिपूर्ति धनराशि की गणना अधिनियम के तहत करके देने के लिए एक वाद दायर कर दिया गया था।