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विकास से छुटकारा: योगी सरकार को बड़ी राहत, कोर्ट ने सुनाया ये फैसला

कानपुर गोलीकांड के मुख्य आरोपी विकास दुबे के एनकाउंटर को लेकर अब योगी सरकार को बड़ी राहत मिली हैं। दरअसल, विकास दुबे के एनकाउंटर पर इलाहाबाद हाईकोर्ट में दाखिल जनहित याचिका को खारिज कर दिया गया।

Shivani
Published on: 13 July 2020 9:10 PM IST
विकास से छुटकारा: योगी सरकार को बड़ी राहत, कोर्ट ने सुनाया ये फैसला
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लखनऊ: कानपुर गोलीकांड के मुख्य आरोपी विकास दुबे के एनकाउंटर को लेकर अब योगी सरकार को बड़ी राहत मिली हैं। दरअसल, विकास दुबे के एनकाउंटर पर इलाहाबाद हाईकोर्ट में दाखिल जनहित याचिका को खारिज कर दिया गया। याचिका में मांग की गयी थी कि गैंगेस्टर विकास दुबे के एनकाउंटर की न्यायिक जाँच हाईकोर्ट के सिटिंग या रिटायर्ड जज से कराई जाएं।

विकास दुबे एनकाउंटर पर याचिका हाईकोर्ट ने की खारिज

उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले के चौबेपुर थाना क्षेत्र में 2 जुलाई को आठ पुलिस कर्मियों की हत्या कर फरार हुए गैंगेस्टर विकास दुबे को उज्जैन से गरफ्तार कर लिया गया था, वहीं यूपी लाये जाने के दौरान रास्ते में उसकी मौत पुलिस एनकाउंटर में हो गयी। इस एनकाउंटर को लेकर सवाल उठने लगे।

हाईकोर्ट के सिटिंग या रिटायर्ड जज से जांच की मांग

मामले में जांच की मांग उठी तो हाईकोर्ट की वकील नंदिता भारती ने एक याचिका दाखिल की, जिसमें उन्होंने विकास दुबे एनकाउंटर की न्यायिक आयोग बनाकर हाईकोर्ट के सिटिंग या रिटायर्ड जज से जांच की मांग की। नंदिता भारती की याचिका पर कोर्ट ने आज वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए सुनवाई हुई।

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रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में जांच आयोग का गठन

इस दौरान कोर्ट ने सरकार के खिलाफ दायर नंदिता की याचिका को खारिज कर दिया। कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि याचिका में दायर मांग को सरकार ने पहले ही मान लिया है। दरअसल योगी सरकार की ओर से वकील ने कोर्ट को बताया कि विकास दुबे के एनकाउंटर प्रकरण में रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में जांच आयोग का गठन कर दिया गया है।वहीं सीनियर आईएएस की अध्यक्षता में एसआईटी टीम बना दी गई है और पूरे मामले की जांच शुरू हो हो चुकी है।

बता दें कि इस याचिका पर सुनवाई हाईकोर्ट की दो सदस्यीय पीठ ने की, जिसमें जस्टिस पंकज जायसवाल और जस्टिस करुणेश पवार शामिल हैं। उन्होंने अपने फैसले में कहा, एसआईटी और आयोग कानपुर मामले जांच कर रहा है। ऐसे में नंदिता भारती की मांगें मानी जा चुकी हैं। इसलिए याचिका खारिज की जाती है।

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