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मुस्लिम ठठेरा, शेख कहे जाने से नहीं हो जाता ऊंची जाति का ,सभी पहलुओं पर विचार कर नये सिरे से निर्णय का निर्देश
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि शेख कहे जाने से मुस्लिम, ठठेरा ऊंची जाति का नहीं हो जाता। जाति, वर्ग का निर्धारण व्यक्ति की पारिवारिक पृष्ठभूमि व सामाजिक स्थिति के आधार पर तय किया जा सकता है।
प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि शेख कहे जाने से मुस्लिम, ठठेरा ऊंची जाति का नहीं हो जाता। जाति, वर्ग का निर्धारण व्यक्ति की पारिवारिक पृष्ठभूमि व सामाजिक स्थिति के आधार पर तय किया जा सकता है। कोर्ट ने बिजनौर के सहारनपुर नगर पंचायत अध्यक्ष मैराज अहमद को पिछड़ा वर्ग की जाति के बजाए सामान्य जाति का घोषित करने के मण्डलायुक्त मुरादाबाद के आदेश को रद्द कर दिया है और जिला जाति स्क्रूटनी कमेटी को सभी पहलुओं पर विचार कर चार माह में नये सिरे से निर्णय लेने का निर्देश दिया है।
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यह आदेश मुख्य न्यायाधीश गोविन्द माथुर तथा न्यायमूर्ति सी.डी.सिंह की खण्डपीठ ने मैराज अहमद की याचिका पर दिया है। याची हमीरपुर बिजनौर का रहने वाला है। उसके पिता को ठठेरा पिछड़ी जाति प्रमाण पत्र के आधार पर आरक्षित सीट पर नगर पंचायत अध्यक्ष का चुनाव लड़ा और विजयी घोषित हुआ। याची शेख लिखता है तो इस पर आपत्ति की गयी कि वह पिछड़ा वर्ग जाति का नहीं है। जिला जाति स्क्रूटनी कमेटी ने आपत्ति खारिज कर दी।
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अपील पर मण्डलायुक्त ने कमेटी के आदेश को रद्द कर दिया और कहा कि याची शेख होने के नाते उंची जाति का है। जिसे याचिका में चुनौती दी गयी। कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के फैसला का हवाला देते हुए कहा कि जाति किस वर्ग में है यह पारिवारिक पृष्ठभूमि, उसकी सामाजिक स्थिति पर निर्भर करती है। मात्र शेख लिखने से किसी की मूल जाति बदल नहीं जाती। कोर्ट ने सभी पहलुओं पर विचार कर नये सिरे से निर्णय लेने का आदेश दिया है।