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HC का सख्त निर्देश , कोर्ट फीस जमा नहीं तो खारिज होंगी अपीलें
कोर्ट ने कहा है कि यदि कोर्ट फीस बकाया है तो अपीलार्थी फीस जमा करने के लिए समय बढ़ाने की अर्जी देगा। कोर्ट अपील पर सुनवाई से पहले इस अर्जी का निस्तारण करेगी।
इलाहाबाद : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कोर्ट फीस के संबंध में कई स्पष्ट निर्देश जारी किए हैं। कोर्ट ने कहा है कि हाईकोर्ट रूल्स व कोर्ट फीस एक्ट के तहत बिना पूरी कोर्ट फीस अदा किए कोर्ट को भूमि अधिग्रहण अधिनियम के तहत अपीलों की सुनवाई का अधिकार नहीं है।
कोर्ट ने कहा है कि यदि कोर्ट फीस बकाया है तो अपीलार्थी फीस जमा करने के लिए समय बढ़ाने की अर्जी देगा। कोर्ट अपील पर सुनवाई से पहले इस अर्जी का निस्तारण करेगी।
बिना पूरी कोर्ट फीस जमा हुए विलम्ब माफी अर्जी पर भी कोर्ट नोटिस जारी नहीं करेगी। कोर्ट ने आश्चर्य व्यक्त किया कि यूपीएसआईडीसी जैसी तमाम वैधानिक संस्थाएं फण्ड होने के बावजूद आधी अधूरी कोर्ट फीस देकर प्रथम अपीलें दाखिल कर रही हैं और सालों तक कोर्ट फीस जमा नहीं करती। कोर्ट ने कहा है कि कोर्ट फीस जमा करने का समय बढ़ाते समय कोर्ट का विवेकाधिकर होगा कि वह अतिरिक्त धनराशि या ब्याज लगा सकती है। यह कोर्ट का विवेकाधिकार है। अर्जी पर सकारण निर्णय लेना होगा।
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यह आदेश जस्टिस अरूण टंडन तथा जस्टिस राजीव जोशी की खंडपीठ ने भागवत सहित अन्य तीन की अपीलों की सुनवाई करते हुए दिया है। कोर्ट ने कहा कि बिना पूरी कोर्ट फीस जमा किए यदि अपील दाखिल होती है तो कोर्ट ऑफिस रिपोर्ट लगाएगी कि अपील कोर्ट फीस जमा करने की दशा में ही पोषणीय है और रिपोर्ट व अपीलार्थी की अर्जी की सुनवाई करते हुए कोर्ट फीस जमा करने का समय दे सकती है।
यदि फीस जमा नहीं की जाती तो अपील खारिज कर दी जाएगी। अपील पर तेरह साल बाद कोर्ट फीस जमा की गई। दोषपूर्ण अपीलों में कोर्ट फीस समय से
जमा न करने व विलम्ब माफी अर्जी पर नोटिस जारी करने के कारण कई सालों तक लाखों की फीस जमा नहीं की जाती। अपीलों की सुनवाई 13 नवंबर को होगी।