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UP: 'बच्चों-महिलाओं को कुपोषण से बचाने के लिए क्या कर रही है सरकार?', हाईकोर्ट ने मांगा जवाब
Up News: उत्तर प्रदेश में महिलाओं और बच्चों में कुपोषण के बढ़ते मामलों पर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने सख्त रुख अपनाया।
UP News: उत्तर प्रदेश में महिलाओं और बच्चों में कुपोषण मामलों पर इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) अब सख्त नजर आ रही है। दरअसल, इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने कुपोषित बच्चों (Malnourished Children) और महिलाओं की स्थिति को लेकर दायर एक जनहित याचिका पर मंगलवार (21 फरवरी) को सुनवाई की। हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यूपी की योगी सरकार से 6 हफ्ते में योजनाओं का ब्यौरा मांगा है।
हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने प्रदेश सरकार से ये भी पूछा कि, बच्चों और महिलाओं को कुपोषण से बचाने के लिए सरकार क्या-क्या कर रही है? इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ बेंच ने योगी सरकार से 6 हफ़्तों में उन सभी योजनाओं का ब्यौरा मांगा है, जो महिलाओं और बच्चों को कुपोषण से बचाने के लिए सरकार द्वारा चलाई जा रही है।
'बच्चों-महिलाओं के स्वास्थ्य का जिम्मा सरकार का'
इलाहाबाद उच्च न्यायालय (Allahabad High Court) की लखनऊ बेंच ने सरकार से ये भी पूछा कि, 'क्या सरकार महिलाओं और बच्चों को कुपोषण से बचाने के लिए चलाई जा रही योजनाओं को प्रभावी तरीके से लागू कर पा रही है?' अदालत ने ये भी कहा, कि मानव संसाधन (Human Resource) की कमी सहित कई वजहें भी हैं। कोर्ट ने इसे लेकर सख्त रुख अपनाते हुए कहा, कि 'बच्चों और महिलाओं के स्वास्थ्य का जिम्मा सरकार का है।'
अपर मुख्य सचिव जवाब दाखिल करें
हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार के महिला कल्याण और बाल विकास विभाग (Women and Child Development Department, UP) के अपर मुख्य सचिव को जनहित याचिका (Plea) पर जवाब दाखिल करने का आदेश दिया। उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ ने वकील मोतीलाल यादव (Advocate Motilal Yadav) की ओर से दाखिल जनहित याचिका पर सुनवाई की। लखनऊ बेंच के जस्टिस देवेंद्र कुमार उपाध्याय (Justice Devendra Kumar Upadhyay) और जस्टिस सुभाष विद्यार्थी (Justice Subhash Vidyarthi) की बेंचने जनहित याचिका पर सुनवाई की।
याचिका में क्या?
याचिकाकर्ता मोतीलाल यादव (Petitioner Motilal Yadav) की ओर से दाखिल जनहित याचिका में प्रदेश सरकार की ओर से कुपोषित बच्चों और महिलाओं पर सही तरीके से ध्यान नहीं दिए जाने का दावा किया गया है। जिस पर कोर्ट ने गंभीर चिंता जाहिर की है। इस याचिका में ये भी कहा गया है कि, यूपी में कुपोषित महिलाओं (Malnourished Women) और बच्चों की संख्या तेजी से बढ़ रही है।