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अतीक के क्रिमिनल केस के लिए गठित मॉनिटरिंग कमेटी, शियाट्स मामले की जांच करेंगे पूर्व SP क्राइम
इलाहाबाद: पूर्व सांसद अतीक अहमद के खिलाफ चल रहे आपराधिक मुकदमों की निगरानी वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों की कमेटी करेगी। यह कमेटी इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गठित की है। दरअसल हाईकोर्ट इलाहाबाद के नैनी में एजुकेशनल इंस्टीट्यूट शियाट्स में अतीक और उनके समर्थकों द्वारा की गई तोड़फोड़ की घटना की मॉनिटरिंग कर रहा है। कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया है कि शियाट्स मामले की जांच पूर्व एसपी क्राइम इरफान अंसारी ही करेंगे।
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इस मामले की सुनवाई कर रही चीफ जस्टिस डी.बी.भोसले और जस्टिस यशवंत वर्मा की बेंच ने बुधवार (01 मार्च) को कहा कि इरफान अंसारी ही इस मामले की जांच करेंगे। कोर्ट उनके काम से संतुष्ट है। इसके पहले चुनाव आयोग के वकील ने पूर्व एसपी के ट्रांसफर से संबंधित प्रपत्र कोर्ट में प्रस्तुत किया।
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आयोग का पत्र देखने के बाद कोर्ट ने कहा कि पत्र में इरफान अंसारी का इलाहाबाद से बाहर ट्रांसफर नहीं किया गया है। अपर महाधिवक्ता इमरानउल्ला ने कहा कि वह जल्द ही इस आशय की अंडर टेकिंग कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत कर देंगे।
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कोर्ट को बताया कि अब तक 6 मामलों में अतीक की जमानत निरस्त करने का प्रार्थना पत्र संबंधित न्यायालयों में दाखिल किया जा चुका है। कोर्ट ने कहा कि अतीक के मुकदमों में कितने गवाह अभियोजन का समर्थन कर रहे हैं और कितने मुकर रहे हैं इसकी लिस्ट अगली सुनवाई पर पेश की जाए। इस मामले की अगली सुनवाई 8 मार्च को होगी।
अगली स्लाइड में पढ़ें मृतक आश्रित को सस्ते गल्ले की दुकान के आवंटन में आरक्षण नीति लागू नहीं
इलाहाबाद: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बुधवार (01 मार्च) कहा है कि सस्ते गल्ले की दुकानों के आवंटन पर आरक्षण नीति तो लागू होगी, लेकिन मृतक आश्रित कोटे में दुकान देने में आरक्षण नीति लागू नहीं होगी। राज्य सरकार ने 17 अगस्त 02 के शासनादेश के तहत आश्रित को दुकान वरीयता से दी जाएगी।
इसी के साथ कोर्ट ने सिद्धार्थनगर के विकास खंड नौग्रह की ग्राम पंचायत चनरगड्डी में आश्रित को दुकान का लाइसेंस देने से इंकार के आदेशों को रद्द कर दिया है और ग्राम पंचायत की सभा में याची के पिता की प्रतिष्ठा के आधार पर दुकान आवंटन को प्रस्ताव लेकर याची को दुकान का लाइसेंस दिए जाने का निर्देश दिया है।
यह आदेश जस्टिस एस.पी.केसरवानी ने शिवशंकर शुक्ला की याचिका पर दिया है। याची के पिता राम बदन शुक्ला की सस्ते गल्ले की दुकान थी। उनकी मौत के बाद याची ने आश्रित के रूप में दुकान का लाइसेंस दिए जाने की मांग की।
इस अर्जी को आरक्षित सीट होने के कारण निरस्त कर दिया गया जिसे चुनौती दी गई। याची का कहना था कि शासनादेश के तहत आश्रित की सस्ते गल्ले का लाइसेंस देने में आरक्षण नीति लागू नहीं होगी।
शासनादेश के अनुसार यदि दुकानदार की अच्छी ख्याति है तो उसकी मृत्यु के बाद आश्रित पत्नी, पुत्र और अविवाहित पुत्री को दुकान आवंटन पर विचार किया जा सकता है। कोर्ट ने कहा है कि याची को वरीयता से दुकान का लाइसेंस दिया जाए।