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हाईकोर्ट: शिक्षा सत्र बदलने से वेतन रोकना गलत, 6 हफ्तों में लें निर्णय बीएसए
इलाहाबाद: इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी जौनपुर को प्राथमिक स्कूलों में शिक्षा सत्र जुलाई के बजाय अप्रैल से शुरू करने के फैसले से प्रभावित अध्यापकों सत्रान्त तक कार्य करने वाले अध्यापकों को बकाया वेतन भुगतान पर छह हफ्ते में निर्णय लेने का निर्देश दिया है।
यह आदेश न्यायमूर्ति सुनीत कुमार ने जितेन्द्र कुमार त्रिपाठी व तीन अन्य की याचिका को निस्तारित करते हुए दिया है। याचिका पर अधिवक्ता अनुराग शुक्ल ने बहस की। इनका कहना था कि याची बेसिक शिक्षा परिषद इलाहाबाद द्वारा संचालित जूनियर व सीनियर बेसिक स्कूल के प्रधानाचार्य व सहायक अध्यापक है। शिक्षा सत्र 2015 में बदलाव के बाद याचियों को तीस जून 15 को सेवानिवृत्त कर दिया गया।
कोर्ट ने अप्रैल से सत्र शुरू होने के आधार पर सत्र के बीच में सेवानिवृत्त को सही नहीं माना और अध्यापकों को बहाल कर सत्रान्त तक कार्य करने की अनुमति देने का आदेश दिया। इसके चलते बाद में सभी को ज्वाइन कराया गया। किन्तु जुलाई से ज्वाइन करने तक के माह का वेतन नो वर्क नो पे के सिद्धान्त पर नहीं दिया गया।
हाईकोर्ट ने अंगद यादव केस में वेतन न देने के दो मई 17 के शासनादेश को रद्द करते हुए बकाया वेतन मय ब्याज भुगतान करने का निर्देश दिया। कोर्ट ने इस याचिका को भी अंगद यादव केस के अनुसार छह हफ्ते में वेतन भुगतान का निर्णय लेने का आदेश दिया है। बकाया वेतन भुगतान की मांग में दाखिल याचिका कोर्ट ने निस्तारित कर दिया है।