×

महिला आरक्षण में प्रदेश का मूल निवासी होने का क्लाज असंवैधानिक घोषित

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने महिलाओं को आरक्षण मामले में प्रदेश का मूल निवासी होना अनिवार्य करने के 9 जनवरी 07 के शासनादेश के क्लाज 4 को असंवैधानिक घोषित कर दिया है। कोर्ट ने कहा है कि यह जन्म स्थान के आधार पर विभेद करने पर रोक लगाने वाले संविधान के अनुच्छेद 16 (3) व 16 (3) के विपरीत है।

Anoop Ojha
Published on: 18 Jan 2019 2:08 PM GMT
महिला आरक्षण में प्रदेश का मूल निवासी होने का क्लाज असंवैधानिक घोषित
X

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने महिलाओं को आरक्षण मामले में प्रदेश का मूल निवासी होना अनिवार्य करने के 9 जनवरी 07 के शासनादेश के क्लाज 4 को असंवैधानिक घोषित कर दिया है। कोर्ट ने कहा है कि यह जन्म स्थान के आधार पर विभेद करने पर रोक लगाने वाले संविधान के अनुच्छेद 16 (3) व 16 (3) के विपरीत है। कोर्ट ने 2015 की अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की 1377 जूनियर इंजीनियरों की भर्ती की पुनरीक्षित चयन सूची 24 अगस्त 18 को वैध करार दिया है और कहा है कि इस सूची से बाहर पूर्व में चयनित 107 अभ्यर्थियों में से जिन्हें नियुक्ति दे दी गयी थी, उन्हें सेवा से बाहर न किया जाए। भर्ती पूरी करने के बाद इन्हें वरिष्ठता क्रम में नीचे रखते हुए भविष्य में खाली पदोें पर समायोजित किया जाए।

यह भी पढ़ें.....इलाहाबाद हाईकोर्ट: आवारा पशुओं के बाड़े में खाने-पीने की व्यवस्था का निर्देश

यह आदेश न्यायमूर्ति अश्विनी कुमार मिश्र ने उत्तराखण्ड की वर्षा सैनी व अन्य सहित कई अन्य याचिकाओं को निस्तारित करते हुए दिया है। कोर्ट ने कहा है कि पुनरीक्षित चयन सूची से बाहर हुए अभ्यर्थियों की कोई गलती नहीं है। इसलिए उन्हें सेवा से नहीं हटाया जायेगा और पुनरीक्षित चयन सूची के आधार पर भर्ती प्रक्रिया नियमानुसार पूरी की जाए। कोर्ट के इस फैसले से प्रदेश के बाहर दूसरे प्रदेशों की चयनित महिला अभ्यर्थियों की नियुक्ति का रास्ता साफ हो गया है।

यह भी पढ़ें.....हाईकोर्ट ने पूछा- न्यायालयों के फुल प्रूफ सुरक्षा के इंतजाम कब तक होंगे?

याचिका पर वरिष्ठ अधिवक्ता ए.एन.त्रिपाठी, ए.के.मिश्र, राघवेन्द्र मिश्र आदि वकीलों ने बहस की। मालूम हो कि 2015 में 1377 जूनियर इंजीनियरों की भर्ती की गयी जिसमें महिला अभ्यर्थियों को 20 फीसदी क्षैतिज आरक्षण दिया जाना है। महिलाओं के 151 पदों पर केवल 75 का ही चयन किया गया। 79 पद खाली रह गए। चयन में क्षैतिज आरक्षण के नियम का पालन न करने की शिकायत की गयी। 25 मई 2016 को घोषित परिणाम पर पुनर्विचार करते हुए पुनरीक्षित चयन सूची 28 अप्रैल 18 को जारी की गयी। इसमें पहले चयनित 107 बाहर हो गए जिसमें से अधिकांश नियुक्त हो चुके थे। उन्होंने चुनौती दी।

यह भी पढ़ें.....झारखंड हाईकोर्ट ने आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव की जमानत याचिका खारिज की

महिला आरक्षण में प्रदेश के मूल निवासी न होने के आधार पर चयनित याची को नियुक्ति देने से इंकार कर दिया गया इसे भी चुनौती दी गयी। याची के वरिष्ठ अधिवक्ता का कहना था कि अनुच्छेद 16 (2) व 16 (3) में जन्म स्थान के आधार पर विभेद करने की मनाही है। राज्य सरकार के शासनादेश से महिला आरक्षण में प्रदेश का मूल निवासी होना अनिवार्य किया जाना संविधान के विपरीत है। राज्य सरकार को संविधान के विपरीत नियम बनाने का अधिकार नहीं है। कोर्ट ने महिला आरक्षण में प्रदेश का मूल निवासी होने की अनिवार्यता को असंवैधानिक करार दिया है। आयोग की तरफ से अधिवक्ता के.एस.कुशवाहा ने बहस की।

Anoop Ojha

Anoop Ojha

Excellent communication and writing skills on various topics. Presently working as Sub-editor at newstrack.com. Ability to work in team and as well as individual.

Next Story