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UP: 'रबर स्टाम्प की तरह पत्नियों का इस्तेमाल कर रहे प्रधान पति', HC की तल्ख टिप्पणी
UP News: न्यायाधीश सौरभ श्याम श्मशेरी ने प्रधान पति पर पत्नी के कामकाज में अनाधिकृत हस्तक्षेप करने और अधिकारियों की जांच में दखल देने पर 50 हजार रुपये का जुर्माना लगाया।
UP News: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नवनिर्वाचित महिला प्रधानों के कामकाज में उनके पतियों के हस्तक्षेप पर तल्ख टिप्पणी की है। हाईकोर्ट के न्यायाधीश ने कहा कि, प्रधानपति महिला सशक्तिकरण के उद्देश्य को विफल करने में लगे हुए हैं। प्रधानपति अपनी पत्नियों का इस्तेमाल रबर स्टाम्प की तरह कर रहे हैं। जबकि उन्हे प्रधान के कार्यों में हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार नहीं है।
ये है पूरा मामला?
न्यायाधीश सौरभ श्याम श्मशेरी ने इस तल्ख टिप्पणी के साथ प्रयागराज शकंरगढ़ के पहाड़ी कला गांव की प्रधान पति पर पत्नी के कामकाज में अनाधिकृत हस्तक्षेप करने और अधिकारियों की जांच में दखल देने पर 50 हजार रुपये का जुर्माना लगाया। दरअसल, गांव के ही अधिवक्ता प्रवीण कुमार सिंह ने प्रधान द्वारा मनरेगा के तहत कराए गए कार्यों की जिलाधिकारी से शिकायत की थी। नोडल अधिकारी की जांच के दौरान प्रधान पति धर्मेंद्र सिंह और शिकायतकर्ता प्रवीण सिंह दोनों मौजूद थे। इसको लेकर दोनों पक्षों में विवाद और मारपीट हो गई। प्रवीण सिंह ने प्रधान पति धर्मेद्र सिंह के खिलाफ प्राथमिक दर्ज कराई, तो धर्मेंद्र सिंह ने भी प्रवीण सिंह के खिलाफ क्रास एफआईआर दर्ज कर दी। पुलिस ने दोनों मामलों में जांच करने के बाद चार्जशीट कोर्ट में दाखिल कर दी। इसी याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया।
चुनाव आयोग प्रत्याशियों से ले हलफनामा: हाईकोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि प्रधानपति शब्द उत्तर प्रदेश में बहुत व्यापक रूप में इस्तेमाल किया जाता है। एक अनाधिकृत प्राधिकारी होने के बावजूद प्रधानपति महिला प्रधान यानी अपनी पत्नी का काम संभालता है। इस कार्य संस्कृति पर लगाम लगाने के लिए चुनाव आयोग भविष्य में सभी प्रत्याशियों से इस आशय का हलफनामा ले कि वह अपने कर्तव्यों का निर्वहन स्वयं करेंगी।