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Allahabad High Court: सोशल मीडिया पोस्ट को सिर्फ लाइक करना अपराध नहीं, हाईकोर्ट का महत्वपूर्ण फैसला
Allahabad High Court: एक मामले में फैसला सुनाते हुए हाईकोर्ट ने कहा है कि फेसबुक या किसी अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर किसी अश्लील पोस्ट को लाइक करना ही अपराध नहीं है।
Allahabad High Court: फेसबुक या एक्स (पूर्व में ट्विटर) जैसे सोशल मीडिया मंच पर किसी पोस्ट को लाइक करना सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 67 के तहत दंडनीय नहीं हो सकता क्योंकि सिर्फ पोस्ट को लाइक करना "प्रकाशित या प्रसारित" करने के बराबर नहीं है।
यह कहना है इलाहाबाद हाईकोर्ट का। एक मामले में फैसला सुनाते हुए हाईकोर्ट ने कहा है कि फेसबुक या किसी अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर किसी अश्लील पोस्ट को लाइक करना ही अपराध नहीं है। हालाँकि, इस तरह के पोस्ट को शेयर करना या दोबारा पोस्ट करना सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) अधिनियम की धारा 67 के तहत "प्रसारण" माना जाएगा और इसके लिए सज़ा भुगतनी होगी।
न्यायमूर्ति अरुण कुमार सिंह देशवाल की एकल न्यायाधीश पीठ याचिकाकर्ता मोहम्मद इमरान काजी के खिलाफ दायर आरोपों को रद्द करने के लिए एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी। याचिकाकर्ता पर आगरा पुलिस ने 2019 में ऐसे पोस्ट करने का आरोप लगाया था, जिसके कारण बिना इजाजत के जुलूस के लिए 600-700 मुसलमानों की सभा हुई थी। जिससे शांति और सुरक्षा को खतरा उत्पन्न हो गया था।
सुनवाई के दौरान मामले के जांच अधिकारी ने इस तथ्य पर भरोसा किया कि काज़मी ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट को लाइक किया था, जिसमें भीड़ एकत्र होने का आह्वान किया गया था। पुलिस यह सबूत पेश नहीं कर पाई थी कि काज़मी ने खुद वह सामग्री पोस्ट की थी या शेयर की थी।
मोहम्मद इमरान काज़मी द्वारा दायर याचिका को स्वीकार करते हुए हाईकोर्ट ने आईटी अधिनियम की धारा 67 और भारतीय दंड संहिता की अन्य धाराओं के तहत उनके खिलाफ मुख्य अदालत में लंबित आपराधिक कार्यवाही को रद्द कर दिया।
क्या कहा कोर्ट ने
इस मामले में न्यायमूर्ति देशवाल ने कहा : “सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 67 के तहत यह स्पष्ट है कि अश्लील सामग्री प्रकाशित या प्रसारित करना एक अपराध है। किसी पोस्ट या संदेश को तब प्रकाशित कहा जा सकता है जब उसे पोस्ट किया जाता है। और किसी पोस्ट या संदेश को प्रसारित तब कहा जा सकता है जब उसे साझा किया जाता है या दोबारा ट्वीट किया जाता है। वर्तमान मामले में, यह आरोप लगाया गया है कि केस डायरी में ऐसी सामग्री है जो दर्शाती है कि आवेदक ने गैरकानूनी सभा के लिए फरहान उस्मान की पोस्ट को पसंद किया है, लेकिन किसी पोस्ट को पसंद करने का मतलब पोस्ट को प्रकाशित या प्रसारित करना नहीं होगा। इसलिए सिर्फ किसी पोस्ट को लाइक करने पर आईटी एक्ट की धारा 67 लागू नहीं होगी।
आईटी एक्ट की धारा 67
हाईकोर्ट ने आईटी एक्ट की धारा 67 की व्याख्या करते हुए कहा कि वैसे भी आईटी एक्ट की धारा 67 अश्लील सामग्री के लिए है, न कि उत्तेजक सामग्री के लिए। इसलिए, धारा 67 आई.टी. अधिनियम अन्य भड़काऊ सामग्री के लिए कोई सजा निर्धारित नहीं करता है। वर्तमान मामले के संबंध में, अदालत ने 18 अक्टूबर को अपने फैसले में कहा : “अन्यथा भी, रिकॉर्ड पर मौजूद सामग्री से, ऐसा प्रतीत होता है कि याचिकाकर्ता के फेसबुक पर कोई भी संदेश जो प्रकृति में भड़काऊ हो सकता है, रिकॉर्ड पर उपलब्ध नहीं है। चौधरी फरहान उस्मान द्वारा प्रकाशित संदेश को लाइक करने पर आईटी एक्ट की धारा 67 के तहत जुर्माना या कोई अन्य आपराधिक अपराध नहीं लगेगा।
क्या था मामला
मामला ये था कि याचिकाकर्ता मोहम्मद इमरान काज़मी ने फेसबुक पर एक किसी पोस्ट को लाइक किया था। उस पोस्ट की जांच हुई थी और पता चला कि उसकी वजह से मुस्लिम समुदाय से लगभग 600-700 लोग इकट्ठा हुए थे और बिना अनुमति के जुलूस निकाला, जिससे शांति व्यवस्था को गंभीर खतरा पैदा हो गया था। तब काज़मी के खिलाफ एक आपराधिक मामला दर्ज किया गया था और सोशल मीडिया पर एक भड़काऊ संदेश का हिस्सा होने के लिए उनके खिलाफ आरोप पत्र भी दायर किया गया।
सीजेएम, आगरा की अदालत ने आरोप पत्र पर संज्ञान लिया और 30 जून, 2023 को काज़मी के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया। फिर काज़मी ने अपने खिलाफ लंबित पूरी आपराधिक कार्यवाही को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की।