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कोरोना की स्थिति पर सख्त हाईकोर्ट, सरकार से कहा- छोड़ दें हठधर्मी रवैया
हाईकोर्ट ने योगी सरकार को फटकार लगाते हुए कहा सरकार मेरा कायदा मानो वरना कोई कायदा नहीं जैसा हठधर्मी रवैया छोड़ दे।
प्रयागराज: उत्तर प्रदेश में सरकारी मशीनरी के नागरिकों को ऑक्सीजन (Oxygev) मुहैया न करा पाने पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय (Allahabad High Court) ने सरकार को जमकर फटकार लगाई है और योगी आदित्यनाथ सरकार (Yogi Adityanath Government) की कोविड-19 (Covid-19) से निपटने के तौर तरीकों पर फटकार लगाते हुए कहा है कि मेरा कायदा मानो वरना कोई कायदा नहीं जैसा हठधर्मी रवैया छोड़ने की सलाह दी है।
प्रदेश में ऑक्सीजन की कमी (Oxygen Crisis) से हो रही मौतों पर स्वतः संज्ञान लेकर अदालत ने सरकार को 12 बिंदुओं में वे कदम उठाने के निर्देश दिए हैं, जिनसे महामारी की रोकथाम में मदद मिल सके। इसके लिए सरकार को 3 मई की सुबह 11 बजे तक कार्ययोजना बना कर पेश करने के निर्देश दिये हैं। अदालत ने सरकार द्वारा महामारी से निपटने के लिए पेश कार्ययोजना को खारिज कर दिया है।
हाईकोर्ट ने दिया ये आदेश
कोविड महामारी से निपटने में सरकार की विफलता और तेजी से फैलते संक्रमण, उपचार के अभाव में लोगों की लगातार हो रही मौतों पर अदालत ने सख्त रुख अख्तियार किया है। हाईकोर्ट ने कोविड-19 से सर्वाधिक प्रभावित दस जिलों के जिला न्यायाधीशों से आग्रह किया है कि वे सिविल जज या इससे ऊपर के न्यायिक अधिकारी को नामित करें। इनका काम हर जिले के नोडल अधिकारी के रूप में रजिस्ट्रार जनरल को सप्ताह के आखीर में रिपोर्ट देना होगा। इस रिपोर्ट में ये अधिकारी हाईकोर्ट को बताएंगे कि उसके आदेशों के अनुपालन की क्या स्थिति है।
वीकेंड लॉकडाउन को बताया नाकाफी और निर्रथक
अदालत ने सरकार द्वारा लगाए गए शनिवार रविवार के लॉकडाउन को कोविड संक्रमण के मामलों की रफ्तार को देखते हुए नाकाफी और निर्रथक बताया। अदालत ने कहा है कि प्रदेश सरकार बहुत देर से विस्तृत कार्ययोजना बनाकर लाई है। जनता के स्वास्थ्य से किसी भी कीमत पर समझौता नहीं किया जा सकता। अदालत ने कड़े शब्दों में कहा कि जो लोग सत्ता में हैं वे मेरा कायदा मानो वरना कोई कायदा नहीं जैसा रवैया छोड़ दें।
सरकार के उपाय कोरोना से निपटने के लिए नाकाफी
हाईकोर्ट ने कहा कोरोना का भूत गली, सड़क पर दिन रात मार्च कर रहा है। लोगों का जीवन भाग्य भरोसे है। भय से सड़कें गलियां सुनसान पड़ गई हैं। अस्पताल मरीजों की जरूरत पूरी करने में असमर्थ हैं। जीवन रक्षक दवाओं, इंजेक्शन की मारामारी है। कुल मिलाकर सरकार के उपाय नाकाफी हैं।