TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

हाईकोर्ट: सरकारी वकीलों की सूची में गड़बड़ियों के आरोपों पर नियुक्तियों से जुड़े रिकॉर्ड तलब

aman
By aman
Published on: 20 July 2017 7:18 PM IST
हाईकोर्ट: सरकारी वकीलों की सूची में गड़बड़ियों के आरोपों पर नियुक्तियों से जुड़े रिकॉर्ड तलब
X

लखनऊ: प्रदेश की योगी सरकार द्वारा हाईकोर्ट में मुकदमों की पैरवी के लिए गत 7 जुलाई को जारी सरकारी वकीलों की नई सूची में विचारधारा से जुड़े वकीलों की उपेक्षा पर संघ व बीजेपी में मचे घमासान के बीच गुरुवार (20 जुलाई) को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने गंभीर सवाल खड़ा करते हुए सभी नियुक्तियों से जुड़े दस्तावेज शुक्रवार (21 जुलाई) को तलब किए हैं।

कोर्ट ने कहा, कि ये सारी नियुक्तियां अब उसके अग्रिम आदेशों के आधीन रहेंगी। सूची में हुए कथित गड़बड़ियों को संज्ञान में लेते हुए कोर्ट ने कहा, कि सूची के बावत कोई अंतरिम या अंतिम आदेश पारित करने से पहले वह नियुक्तियों से जुड़े सभी दस्तावेजों को परखना चाहता है। हालांकि, कोर्ट ने राज्य सरकार से भी कहा है, कि यदि उसे स्वयं लगता है कि सूची में गड़बड़ियां हुई हैं तो वह सूची को खारिज करने को स्वतंत्र है।

यह आदेश जस्टिस एपी साही व जस्टिस डीएस त्रिपाठी की बेंच ने स्थानीय वकील महेंद्र सिंह पवार की ओर से दायर एक जनहित याचिका पर पारित किया।

सूची को चुनौती दी गयी है

याचिका में 7 जुलाई को एक शासनादेश के जरिए जारी सूची को चुनौती दी गयी है। इस सूची में मुख्य स्थायी अधिवक्ता के चार पदों, अपर मुख्य स्थायी अधिवक्ता के 21 पदों, स्टैंडिग कौंसिल के 49 पदों, वाद धारक सिविल के 80 पदों व वाद धारक क्रिमिनल के 47 पदों पर नियुक्तियां हुई थीं।

आगे की स्लाइड में पढ़ें पूरी खबर ...

याची के वकील ने दिया ये तर्क

याची की ओर से बहस करते हुए वरिष्ठ वकील बुलबुल गोदियाल का तर्क था, कि 'सरकार ने नई नियुक्तियां करते समय सारे नियम-कानून को ताख पर रख दिया। बिना एलआर मैनुअल में विहित प्रकिया तथा सुप्रीम कोर्ट व उच्च न्यायालयों के फैसलों का संज्ञान लिए उक्त सूची जारी कर दी, जो कि पूरी तरह अवैध है।' उनका आरोप था कि जब कानून मंत्री व महाधिवक्ता द्वारा सूची को अप्रूव न करने की बात सामने आ रही है तो ऐसे में सूची अपने आप अवैध हो जाती है।

वहीं, मुख्य स्थायी अधिवक्ता रमेश पांडे का कहना था, कि सूची जारी करते समय सारे नियमों को ध्यान में रखा गया है।

नियुक्तियों से जुड़े रिकार्ड देखना आवश्यक है

कोर्ट ने एलआर मैनुअल सहित तमाम नजीरों को देखने के बाद पाया, कि ऐसी सूची को महाधिवक्ता को अप्रूव करना जरूरी होता है। साथ ही इन नियुक्तियों में पारदर्शिता व स्वच्छता होनी चाहिए। सारे तथ्यों पर गौर करने के बाद कोर्ट ने कहा, कि 'चूंकि यह सवाल उठ रहा है कि सूची में तमाम नियुक्तियों को करने में नियमों का पालन नहीं किया गया, लिहाजा नियुक्तियों से जुड़े रिकार्ड देखना आवश्यक है।'

कोर्ट ने पूछा- क्या आप ये चाहते हैं...

मुख्य स्थायी अधिवक्ता रमेश पांडे ने महाधिवक्ता की अनुपस्थिति में मुकदमे को बढ़वाने की कोशिश की, तो कोर्ट ने कहा, कि क्या वह चाहते हैं कि अंतरिम आदेश पारित कर सूची को स्टे कर दिया जाए। इस पर पांडे ने शुक्रवार को सारे रिकार्ड पेश करने की बात मान ली।

जिनका नाम एडवोकेट ऑन रोल में नहीं, वो भी बने

राज्य सरकार ने 7 जुलाई 2017 को सपा सरकार के दौरान कार्यरत करीब साढ़े तीन सौ सरकारी वकीलों को हटा दिया था। साथ ही उसी आदेश से 201 नए सरकारी वकीलों की सूची जारी कर दी थी। नई सूची में योगी सरकार ने सपा सरकार के 44 सरकारी वकीलों पर फिर से भरोसा जताते हुए नई सूची में भी उन्हें जगह दे दी थी। तमाम ऐसे लोगों को सरकारी वकील बना दिया गया, जिन्होंने कभी हाईकोर्ट में वकालत नहीं की और जिनका नाम एडवोकेट ऑन रोल में नहीं था जो हाईकोर्ट में वकालत करने का प्रथमदृष्टया सबूत होता है।

सरकार कशमकश में

सूची में बड़े पैमाने पर संघ व बीजेपी से जुड़े वरिष्ठ वकीलों की भी उपेक्षा की बात सामने आई है। जिस पर प्रदेश बीजेपी व संघ में काफी रोष है। इस सारे प्रकरण में सरकार की बदनामी होने की बात आती रहीं। परंतु, सूची जारी के काफी समय बाद न तो सूची निरस्त की गई और न ही नई सूची जारी की गई। इस बीच दायर पीआईएल ने सरकार को कशमकश में डाल दिया है।



\
aman

aman

Content Writer

अमन कुमार - बिहार से हूं। दिल्ली में पत्रकारिता की पढ़ाई और आकशवाणी से शुरू हुआ सफर जारी है। राजनीति, अर्थव्यवस्था और कोर्ट की ख़बरों में बेहद रुचि। दिल्ली के रास्ते लखनऊ में कदम आज भी बढ़ रहे। बिहार, यूपी, दिल्ली, हरियाणा सहित कई राज्यों के लिए डेस्क का अनुभव। प्रिंट, रेडियो, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया चारों प्लेटफॉर्म पर काम। फिल्म और फीचर लेखन के साथ फोटोग्राफी का शौक।

Next Story