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दंगाई पोस्टर पर तकरार: हाईकोर्ट कल सुनाएगा योगी सरकार पर फैसला

नागरिकता संशोधन कानून को लेकर उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में हुई हिंसा के (CAA Violence) बाद योगी सरकार ने उपद्रवियों पर कड़ा एक्शन लेते हुए उनका पोस्टर जारी कर दिया था, लेकिन सरकार की ये कार्रवाई बेकफायर होती नजर आ रही है।

Shivani Awasthi
Published on: 8 March 2020 5:53 AM GMT
दंगाई पोस्टर पर तकरार: हाईकोर्ट कल सुनाएगा योगी सरकार पर फैसला
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लखनऊ: नागरिकता संशोधन कानून को लेकर उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में हुई हिंसा के (CAA Violence) बाद योगी सरकार ने उपद्रवियों पर कड़ा एक्शन लेते हुए उनका पोस्टर जारी कर दिया था, लेकिन सरकार की ये कार्रवाई बैकफायर होती नजर आ रही है। दरअसल इस मामले में आज इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) में सुनवाई हुई है। कोर्ट ने मामले में स्वतः संज्ञान लेने का फैसला लिया। उनका कहना है कि यह सरकार की यह कार्रवाई निजी स्वतंत्रता का हनन है। मामले में सुनवाई हो गयी है और कोर्ट कल फैसला सुनाएगा।

हिंसा आरोपियों का पोस्टर लगाने पर HC ने सरकार से माँगा स्पष्टीकरण:

इलाहाबाद हाईकोर्ट छुट्टी वाले दिन यानी रविवार को योगी सरकार की एक कार्रवाई के खिलाफ एक्शन में हैं। कोर्ट लखनऊ मे हुई सीएए हिंसा के बाद आरोपियों के पोस्टर लगाने के मामले में आज 3 बजे सुनवाई करेगी। इस बाबत चीफ जस्टिस गोविन्द माथुर ने लखनऊ के पुलिस कमिश्नर सुजीत पांडे और डीएम अभिषेक प्रकाश को तलब किया है। इसके साथ ही कोर्ट ने यूपी सरकार से भी मामले में स्पष्टीकरण माँगा है। बता दें कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मामले पर स्वतः संज्ञान लेते हुए सुनवाई का फैसला किया है।

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क्या है मामला

गौरतलब है कि सीएए के विरोध में लखनऊ में 19 दिसम्बर को हुई हिंसा में शहर को काफी नुक्सान हुआ था। जिसके बाद आरोपियों के खिलाफ कोर्ट से वसूली आदेश जारी हुआ है। हालाँकि इस बाबत डीएम लखनऊ अभिषेक प्रकाश ने निर्देशानुसार हिंसा फैलाने वाले सभी जिम्‍मेदार लोगों के लखनऊ में पोस्टर व बैनर लगाए गए। इन लोगों की संपत्ति कुर्की की भी बात कही गयी। लखनऊ के सभी चौराहों पर उनके पोस्टर लगाये गये।

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इस कार्रवाई के बाद कोर्ट ने मामले का संज्ञान लेते हुए सवाल किया, कानून के किस प्रावधान के तहत इस प्रकार का पोस्टर लगाया जा रहा है। कोर्ट ने कहा है कि पोस्टर्स में इस बात का कहीं जिक्र नहीं है कि किस कानून के तहत पोस्टर्स लगाए गए हैं। कोर्ट का मानना है कि सार्वजनिक क्षेत्रों में किसी व्यक्ति की अनुमति के बिना उसका फोटो या पोस्टर लगाना गलत है। यह राइट टू प्राइवेसी का उल्लंघन है।

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Shivani Awasthi

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