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Live in Relation में रह रही शादीशुदा महिला को संरक्षण देने से हाईकोर्ट ने किया इनकार, लगाया जुर्माना

इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने पति से अलग होकर प्रेमी के साथ लिव इन रिलेशन (Live in relation) में रह रही महिला को संरक्षण का आदेश देने से इनकार कर दिया है।

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Newstrack NetworkPublished By Ashiki
Published on: 18 Jun 2021 1:45 AM GMT
Allahabad High Court
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इलाहाबाद हाईकोर्ट (फाइल फोटो -सोशल मीडिया)

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने पति से अलग होकर प्रेमी के साथ लिव इन रिलेशन (Live in relation) में रह रही महिला को संरक्षण का आदेश देने से इनकार कर दिया है। महिला और उसके प्रेमी ने महिला के पति और उसके परिवार से खतरा बताते हुए सुरक्षा की मांग की थी।

अदालत ने याचिका खारिज करते हुए उस पर पांच हजार रुपये का हर्जाना भी लगाया है। साथ ही हाईकोर्ट ने कहा कि महिला पहले से विवाहित है और दूसरे व्यक्ति के साथ लिव-इन संबंध में रह रही है जो हिन्दू विवाह अधिनियम के 'शासनादेश' के विरूद्ध है। अदालत ने कहा, 'हमें यह समझ में नहीं आता कि समाज में अवैधता की अनुमति देने वाली इस तरह की याचिका को कैसे स्वीकार किया जा सकता है।'

महिला ने कोर्ट से की थी ये अपील

अलीगढ़ (Aligarh) की महिला ने हाईकोर्ट (High Court) में याचिका दाखिल कर कहा कि वह अपनी मर्जी से पति को छोड़ कर दूसरे व्यक्ति के साथ रह रही है। पति और उसके परिवार के लोग उसके शांतिपूर्ण जीवन में हस्तक्षेप कर रहे हैं। इसलिए उनको ऐसा करने से रोका जाए। साथ ही सुरक्षा की मांग भी की थी। कोर्ट ने कहा कि याची वैधानिक रूप से विवाहित महिला है।

हिंदू विवाह कानून के शासनादेश के खिलाफ है ये काम

महिला की याचिका खारिज करते हुए न्यायमूर्ति कौशल जयेंद्र ठाकर और न्यायमूर्ति दिनेश पाठक की खंडपीठ ने कहा कि क्या हम ऐसे लोगों को सुरक्षा दे सकते हैं जो ऐसा कृत्य करते हैं जिसे हिंदू विवाह कानून के शासनादेश के खिलाफ कहा जा सकता है। भारत के संविधान का अनुच्छेद 21 एक व्यक्ति को स्वयं की स्वतंत्रता की अनुमति दे सकता है, लेकिन यह स्वतंत्रता उस व्यक्ति पर लागू कानून के दायरे में होना चाहिए।

महिला के पति के लिए कोर्ट ने कही ये बात

कोर्ट ने ये भी कहा कि आरोप है कि महिला के पति ने अप्राकृतिक अपराध किया है (आईपीसी की धारा 377 के तहत) लेकिन महिला ने इसके खिलाफ कभी प्राथमिकी दर्ज नहीं कराई। साथ ही अदालत ने निर्देश दिया कि इन याचिकाकर्ताओं पर लगाया गया हर्जाना इनके द्वारा उत्तर प्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण में जमा किया जाएगा।

Ashiki

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