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इलाहाबाद HC150 साल: जानें कब और कैसे बना?

2 नवंबर 1925 को अवध न्यायिक आयुक्त ने सिविल जूडिस्यरी एक्ट के तहत इसको अवध चीफ कोर्ट के नाम से लखनऊ में बनाया गया। 25 फरवरी 1948 को यूपी विधानसभा ने एक प्रस्ताव के द्वारा गवर्नर जनरल को ये अनुरोध किया गया कि अवध चीफ कोर्ट लखनऊ और इलाहाबाद हाई कोर्ट को मिलाकर एक कर दिया जाए...

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Published on: 11 March 2016 6:12 PM IST
इलाहाबाद HC150 साल: जानें कब और कैसे बना?
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इलाहाबाद: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने 150 साल पूरे कर लिए हैं। इस अवसर पर रविवार को समारोह भी होने जा रहा है। पूरे परिसर को दुल्हन की तरह सजाया गया गया है। इस हाईकोर्ट के इतने लंबे सफर पर डालते हैं एक नजर।

कब और कैसे बना

-1861 में पारित भारतीय उच्च न्यायालय अधिनियम में प्रावधान हुआ था।

-इस एक्ट के तहत मुंबई,मद्रास और कोलकता प्रेसीडेंसियों में हाईकोर्ट का गठन किया गया था।

-इसी आधार पर फोर्ट विलियम की प्रेसीडेंसी 1866 में आगरा में हाईकोर्ट बनाया गया था।

-इसके पहले चीफ जस्टिस सर वाल्टर मोर्गन और अन्य 5 न्यायाधीशों के नाम चार्टर में था।

आगरा से इलाहाबाद ट्रांसफर

-हाईकोर्ट 1869 में आगरा से इलाहाबाद स्थानान्तरित कर दिया गया।

-11 मार्च 1919 को इसका नाम बदलकर इलाहाबाद हाईकोर्ट कर दिया गया।

-एक्ट के तहत जस्टिस की संख्या 16 से बढ़ाकर 20 कर दिया गया, इसमें चीफ जस्टिस भी शामिल थे।

-और भारत के राजस्व से इनके वेतन का भी प्रावधान किया गया।

कैसे हाईकोर्ट के बने दो बेंच

2 नवंबर 1925 को अवध न्यायिक आयुक्त ने सिविल जूडिस्यरी एक्ट के तहत इसको अवध चीफ कोर्ट के नाम से लखनऊ में बनाया गया। 25 फरवरी 1948 को यूपी विधानसभा ने एक प्रस्ताव के द्वारा गवर्नर जनरल को ये अनुरोध किया गया कि अवध चीफ कोर्ट लखनऊ और इलाहाबाद हाई कोर्ट को मिलाकर एक कर दिया जाए। इसके बाद लखनऊ और इलाहाबाद दोनों को इलाहाबाद हाईकोर्ट के नाम से जाना जाने लगा और सारा कामकाज इलाहाबाद से होने लगा।लेकिन हाईकोर्ट की एक स्थाई बेंच लखनऊ में रहने दी गयी।

हाईकोर्ट के जस्टिस का कार्य

-दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 491 के तहत बंदी प्रत्यक्षीकरण का समादेश नहीं जारी कर सकता था।

-पहले कोलकता, मद्रास और बंबई के उच्च न्यायालयों को ये अधिकार था।

-बाद में नये संविधान द्वारा दूसरे हाईकोर्ट को समान अधिकार मिले।

-भारत के संविधान ने सभी हाईकोर्ट को प्रभावशाली शक्तियां दी हैं।

-चीफ जस्टिस हाईकोर्ट के प्रशासनिक कार्य का प्रभारी होता है।

-वो अन्य न्यायाधीशों में न्यायिक कार्य का वितरण करता है।

-इस समय इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायाधीशों की संख्या 160 हैं।

-इस तरह आधुनिक न्याय व्यवस्था में सम्मानपूर्ण गरिमामय एवं अधिकारितायुक्त उच्च स्थिति प्राप्त है।



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