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अवैध खनन मामलाः CBI जांच में फंस सकते हैं गायत्री प्रसाद प्रजापति!
Suyash Mishra
लखनऊ: यूपी में हर महीने अवैध खनन का तकरीबन 100 करोड़ रुपए का कारोबार है। इसमें भू माफियाओं, अफसरों से लेकर नेताओं तक की भागेदारी है। यही कारण है कि यह अवैध व्यापार अब तक फल फूल रहा है। हर ट्रक पर हजारों रुपए की काली कमाई होती हैं। खुलेआम ट्रकों से ओवरलोडिंग कर राजस्व, वैट और इनकम टैक्स की चोरी की जाती है।
गुरुवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि यूपी सरकार द्वारा अवैध बालू खनन के काम को बंद कराए जाने के काम में दिलचस्पी नहीं लिए जाने के बाद इस मामले में सीबीआई जांच के अलावा और कोई रास्ता नहीं बचता है। कोर्ट ने यह भी कहा है कि सरकारी अफसरों की जानकारी और उनकी मिलीभगत के बिना अवैध खनन मुमकिन ही नहीं है।
हाईकोर्ट ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि प्रमुख सचिव का यह कहना कि उन्हें किसी भी जिले में अवैध खनन की सूचना नहीं है। यह आंख में धूल झोंकने जैसा है। कोर्ट ने कहा कि प्रमुख सचिव ने हलफनामा दाखिल कर कहा था कि अवैध खनन पर रोक के लिए प्रत्येक जिले में अधिकारियों की टीम गठित कर दी गई है। टीम के मुताबिक यूपी में कहीं भी अवैध खनन नहीं हो रहा।
सेटेलाइट मैपिंग के लिए प्रमुख सचिव ने जताई असमर्थता
कोर्ट ने प्रमुख सचिव से कहा था कि सेटेलाइट मैपिंग कराई जाए ताकि अवैध खनन का पता चल सके। इसके जवाब में प्रमुख सचिव ने प्रदेश में ऐसी तकनीक न होने के कारण सेटेलाइट मैपिंग कराने में असमर्थता प्रकट की थी।
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बुंदेलखंड, सोनभद्र, बिजनौर, मिर्जापुर, शाहजहांपुर जैसे शहरों में जमकर अवैध खनन होता है। अब सवाल यह उठता है कि कोर्ट के आदेश के बाद क्या सीबीआई उन नेताओं और अफसरों से भी सवाल-जवाब करेगी जो पर्दे के पीछे से इस व्यापार को सह दे रहे हैं। जिसके एवज में वह हर साल अरबों रुपए की काली कमाई करते हैं? फिलहाल कोर्ट ने सीबीआई को जांच के आदेश देते हुए 6 वीक का समय दिया है और कोर्ट के सामने रिपोर्ट सौंपने को कहा है।
सीबीआई जांच में फंस सकते हैं कई नेता और अधिकारी
अवैध खनन मामले में सीबीअाई अगर पूछताछ करती है तो कर्मचारियों से लेकर कई बड़े अफसर और नेता फंस सकते हैं। इसमें ज्यादातर नेता सपा और बीएसपी के हो सकते हैं। इसमें अवैध खनन में सर्वाध्ािक बदनाम मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति पर भी शिकंजा कस सकता है। कैग ने 2013 में एक रिपोर्ट में कहा था कि सात साल में 1400 करोड़ रुपए का राजस्व का नुकसान हुआ है।
ऐसे होती है कमाई
एक ट्रक में सिर्फ 25 घन मीटर वैध माल आता है। इस पर 32 रुपए के हिसाब से 800 रुपए रायल्टी कटती है। कुल रायल्टी के तीन गुने का 10 फीसदी यानी 225 रुपए वैट लगता है। ट्रक में लदान और ढुलाई में कुल 1000 रुपए का खर्च आता है। इस हिसाब से एक वैध ट्रक की कीमत सिर्फ 2025 रुपए है। लेकिन यह ट्रक 45-50 घन मीटर लादा जाता है। और 20-25 घनमीटर के राजस्व और इनकम टैक्स की चोरी की जाती है। इतना ही नहीं कोर्ट के आदेश के बाद जांच के दौरान पता चला था कि सिर्फ 33 फीसदी पट्टे ही वैध हैं।
गुरुवार को अवैध खनन पर इलाहाबाद हाईकोर्ट की तल्ख टिप्पणी के बाद सरकारी मशीनरी में लगी जंग छूटे या न छूटे पर कुछ लोगों को जेल की हवा जरूर खानी पड़ सकती है। कभी गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले यूपी के बदनाम खनन मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति आज अरबपति बन गए हैं। चंद सालों में काली कमाई से गायत्री के पास कई बंगले, गाडिय़ां और बेहिसाब दौलत कमा ली।
यूपी सरकार को कई बार कर चुके हैं शर्मसार
अखिलेश के बेहद करीबी कहे जाने वाले भ्रष्ट खनन मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति अपने कारनामों से यूपी सरकार को अक्सर शर्मसार करते रहे हैं। चाहें वो अवैध खनन हो या फिर ग्राम समाज की जमीन पर अवैध कब्जाजेदारी हो। मंत्री जी काबिलियत किसी भी क्षेत्र में कम नहीं रहीं। सरकार को शर्मसार करने का कोई भी मौका मंत्री जी ने जाने नहीं दिया।
गायत्री प्रसाद प्रजापति से जुड़े विवाद
-ओमशंकर द्विवेदी ने साल 2012 में गायत्री प्रसाद प्रजापति पर आय से अधिक संपत्ति जमा करने का आरोप लगाया था।
-इसमें कहा गया था कि 2012 विधानसभा चुनाव के लिए नामांकन में गायत्री ने अपनी कुल संपत्ति 1.81 करोड़ रुपए बताई थी जो अब बढक़र 942.57 करोड़ रुपए हो गई है।
-गायत्री प्रसाद प्रजापति पर लखनऊ में ग्राम समाज की जमीन पर अवैध कब्जा कर प्लॉट बेचने का आरोप लगा था।
-गायत्री के बेटे पर अमेठी में तहसील की सरकारी जमीन पर कब्जा करने का आरोप भी लग चुका है।
-पूर्व में अमेठी की एक विधवा ने गायत्री प्रसाद प्रजापति पर अपनी जमीन पर कब्जा करने का आरोप भी लगाया था।
-अपनी गुहार लेकर पीडि़त विधवा अपने परिवार के साथ लखनऊ में धरने पर बैठ गई थी।
-गायत्री के बेटे अनुराग पर एक महिला का अपहरण करने का भी आरोप है।
इन अफसरों को अवैध खनन के खिलाफ चुकानी पड़ी है कीमत
अवैध खनन के खिलाफ मोर्चा खोलने वाले मुरैना के आइपीएस अफसर नरेन्द्र कुमार को जान गवानी पड़ी थी। वहीं आईएस आॅफिसर दुर्गाशक्ति नागपाल को निलंबित कर दिया गया था। अब सवाल यह है कि क्या भवन निर्माण के बढ़ते कारोबार और उसके लिए मची रेत की लूट के इस पर सीबीआई नकेल कस पाएगी? जनहित याचिकाओं , अदालती फैसलों और अब सीबीआई जांच क्या खनन माफियाओं के फावड़े रोक पायेगी?