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इलाहाबाद HC ने सांसद को जारी किया नोटिस, महंगा पड़ा सफाईकर्मी का तबादला

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सलेमपुर के सांसद रवींद्र कुशवाहा को नोटिस जारी की है। कोर्ट ने राज्य सरकार और सांसद से याचिका पर जवाब मांगा है।

tiwarishalini
Published on: 12 Jun 2017 6:21 PM IST
इलाहाबाद HC ने सांसद को जारी किया नोटिस, महंगा पड़ा सफाईकर्मी का तबादला
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इलाहाबाद: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सलेमपुर के सांसद रवींद्र कुशवाहा को नोटिस जारी की है। इन पर ग्राम पंचायत चकप्रेमा उर्फ भटवाचक के सफाईकर्मी संजय कुमार का ग्राम पंचायत अहिरौली तबादला करने का दबाव डालने का आरोप है। कोर्ट ने राज्य सरकार और सांसद से याचिका पर जवाब मांगा है।

यह आदेश जस्टिस पंकज नकवी ने सफाई कर्मी संजय कुमार की याचिका पर दिया है। याचिका पर वकील परवेज इकबाल अंसारी ने बहस की। 22 मई 17 को जिला पंचायत अधिकारी बलिया के आदेश में कहा गया है कि फोन पर सांसद की शिकायत मिली जिस पर सफाई कर्मी का तबादला किया जा रहा है।

याची का कहना है कि तबादला राजनीतिक हस्तक्षेप पर किया गया है जो तबादला नीति के विरूद्ध है। कोर्ट ने तबादले पर रोक लगाते हुए स्थायी अधिवक्ता से जानकारी मांगी है।

कोर्ट का कहना था कि तबादला करने से पहले अधिकारी ने स्वतंत्र रूप से अपने मस्तिष्क का प्रयोग नहीं किया बल्कि राजनीतिक दबाव में सफाई कर्मी का तबादला किया।

NRI राजकुमार पर साढ़े तीन करोड़ का IT नोटिस , 3 महीने में पुनरीक्षण तय करने का निर्देश

इलाहाबाद: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने थाईलैंड के एनआरआई राजकुमार के खिलाफ साढ़े तीन करोड़ रुपए के बकाया आयकर नोटिस के खिलाफ लंबित पुनरीक्षण अर्जी 3 महीने में निर्णीत करने का आदेश दिया है।

कोर्ट ने कहा है कि याची सुनवाई में पूरा सहयोग करेगा और मांगे गए दस्तावेज पेश करेगा। यह आदेश जस्टिस पंकज मित्तल और जस्टिस वी.के.मिश्र की खंडपीठ ने राजकुमार सिंह की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है।

याची के वकील अमित महाजन का कहना था कि याची ने 2009-10 में साढ़े तेरह लाख रुपए का रिटर्न भरा था जो विगत चार सालों से काफी कम आय थी। क्योंकि 2007 में याची का पेट्रोल पंप बंद हो गया था।

इसके बावजूद आयकर आयुक्त ने साढ़े तीन करोड़ रुपए की आयकर की कमी की नोटिस भेज दी। याची ने नोटिस को पुनरीक्षण अर्जी में चुनौती दी तो यह कहते हुए अर्जी खारिज कर दी गई कि पुनरीक्षण ग्राहय नहीं है।

याची अपील कर सकता है जिसे हाईकोर्ट ने रद्द करते हुए पुनरीक्षण तय करने का आदेश दिया। इसके बावजूद बिना कारण बताए पुनरीक्षण खारिज कर दी। अर्जी में मांगे गए दस्तावेज दाखिल होने के बावजूद तय नहीं किया गया।

हाईकोर्ट ने दोबारा अर्जी निरस्त करने का आदेश रद्द कर आदेश पारित करने को कहा है।

नक्सल एरिया में सीआरपीएफ कमांडेंट को भेजने के आदेश पर रोक

इलाहाबाद: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सीआरपीएफ 148 बटालियन साहूपुरी चंदौली में तैनात कमांडेंट वेदप्रकाश त्रिपाठी का सुकमा, छत्तीसगढ़ तबादला करने के आदेश पर रोक लगा दी है।

इससे पहले याची चरारे शरीफ, बड़गाम, कश्मीर घाटी से चंदौली स्थानान्तरित होकर आया था। तबादला नीति के खिलाफ सुकमा भेजने के आदेश को याची ने चुनौती दी है। कोर्ट ने भारत सरकार से याचिका पर छह हफ्ते में जवाब मांगा है।

यह आदेश जस्टिस कृष्ण मुरारी और जस्टिस एस.के.अग्रवाल की खंडपीठ ने कमांडेंट वेदप्रकाश त्रिपाठी की याचिका पर दिया है। याचिका पर वरिष्ठ अधिवक्ता अनिल भूषण और भारत सरकार के अपर साॅलिसिटर जनरल अशोक मेहता और सीनियर पैनल अधिवक्ता एस.के.राय ने पक्ष रखा।

याची का कहना है कि सीआरपीएफ निदेशालय से 24 नवंबर 2014 को तबादला नीति जारी करते हुए उसका कड़ाई से पालन करने का निर्देश दिया है। पाॅलिसी के तहत एक स्थान पर कम से कम तीन साल की तैनाती के बाद ही तबादला किया जाए।

याची की तैनाती को दो साल भी नहीं हुए हैं। कोर्ट ने कहा कि तबादला आदेश में कोई कारण स्पष्ट नहीं किया गया है। 20 मई 2017 को याची का सुकमा तबादला कर दिया गया।

चोला मंडलम इन्वेस्टमेंट एंड फाइनेंस कंपनी के अधिकारियों की गिरफ्तारी पर रोक

इलाहाबाद: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सिकंदरा आगरा स्थित चोला मंडलम इन्वेस्टमेंट एंड फाइनेंस कंपनी के वित्त अधिकारी आशीष कुमार शर्मा और एरिया मैनेजर प्रतीक मिश्र की आपराधिक मामले में गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है और राज्य सरकार से छह हफ्ते में जवाब मांगा है।

याची कंपनी पर टाटा मार्काेपोलो के लोन की अदायगी में व्यवधान आने पर बस पकड़ कर बेच देने और धोखाधड़ी करने के आरोप में देवेश कुमार ने सिंकदरा थाने में प्राथमिकी दर्ज की है।

कोर्ट ने देवेश कुमार को भी नोटिस जारी की है। यह आदेश जस्टिस वी.के.नारायण और जस्टिस सिद्धार्थ वर्मा की खंडपीठ ने कंपनी की याचिका पर दिया है।

याचिका पर वकील प्रांजल मेहरोत्रा ने बहस की। याची का कहना था कि लोन की शर्तों में यह शामिल है कि यदि लोन की ईएमआई समय से जमा नहीं होती तो कंपनी बस को अपने कब्जे में ले लेगी।

देवेश द्वारा ईएमआई का भुगतान नहीं किया गया तो याची कंपनी ने गाड़ी कब्जे में ली और 30 सितंबर 2013 को बेच दी है। याचिका में 27 अप्रैल 2017 को सिकंदरा थाने में दर्ज प्राथमिकी को रद्द किए जाने की मांग की गई है।

याची कंपनी का कहना है कि उसने नियमानुसार कार्य किया है। उस पर कोई अपराध नहीं बनता।



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