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इलाहाबाद : हाईकोर्ट में वकीलों की हड़ताल, नहीं हुआ कोई भी काम
इलाहाबाद : बार कौंसिल ऑफ इंडिया के आह्वान पर आज हाई कोर्ट, ज़िला अदालत, बोर्ड ऑफ़ रेवेन्यू समेत अन्य अदालतों में वकीलों ने न्यायिक काम का बहिष्कार किया। काम बहिष्कार केंद्रीय विधि आयोग के उस प्रस्तावित कानून को लेकर है , जिसमे यह कहा गया है कि अदालतें वकीलो के खिलाफ उनके लाइसेंस को लेकर कार्रवाई को स्वतंत्र होगी। वादकारी को अधिकार होगा कि वह अपने वकील के खिलाफ उपभोक्ता फोरम में वाद दायर कर मुआवजा ले सके।
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विधि आयोग के इस प्रस्तावित कानून के विरोध में हाईकोर्ट के वकीलो ने सुबह से ही मोर्चा संभाल लिया था। किसी भी वादकारी को वकीलो ने हाई कोर्ट परिसर में नहीं घुसने दिया। यहाँ तक की वकील भी अपने चैंबरों में नहीं जा सके। हाईकोर्ट के सभी प्रवेश द्वारो पर जूनियर वकीलो का पहरा था।
इस हड़ताल के चलते हाईकोर्ट के जज अपने-अपने न्यायालयों में तो गए। परंतु वकीलों की गैरहाजिरी के चलते वे भी अपने चैम्बर्स में चले गए गए। वकीलो की इस हड़ताल के चलते प्रदेश के सुदूरवर्ती इलाको से आये वादकारियों को काफी परेशानी उठानी पड़ी। विधि आयोग के चेयरमैन जस्टिस बी एस चौहान के खिलाफ वकीलो में काफी रोष दिखा।
वकीलों का कहना था कि आयोग की सिफारिश उसके अधिकार क्षेत्र से बाहर है, तथा दुर्भाग्यपूर्ण है। विधि आयोग का प्रस्तावित बिल बार की स्वायत्तता पर कुठाराघात है। विधि जानकारों का कहना था कि वादकारी व वकील का संबंध उपभोक्ता का नहीं है। यह संविदा पर आधारित है। यदि किसी प्रकार का संविदा उल्लंघन होता है, तो वादकारी को हक़ है कि वह दीवानी वाद दायर करे। वकील के खिलाफ अनुशासनिक कार्रवाई का अधिकार बार कॉउंसिल को है, न कि जज अथवा मजिस्ट्रेट को है।