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डिग्री कॉलेजों के मानदेय शिक्षकों को दूर भेजने के आदेश पर हाईकोर्ट ने लगाई रोक
इलाहाबाद: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश के डिग्री कॉलेजों में मानदेय पर पढ़ा रहे अध्यापकों को समायोजित करने के बाद उन्हें दूर के कॉलेजों में भेजने के आदेश पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने राज्य सरकार से जवाब मांगा है तथा याचिका पर अगली सुनवाई के लिए 17 जुलाई की तिथि तय की है।
यह आदेश न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी तथा न्यायमूर्ति एसके अग्रवाल की खण्डपीठ ने दयानंद महिला प्रशिक्षण कॉलेज कानपुर के बीएड विभाग में 30 जुलाई 1998 से कार्यरत अध्यापिका संध्या श्रीवास्तव व अन्य की याचिकाओं पर दिया है।
क्या है शिक्षकों का कहना?
इन शिक्षकों का कहना था कि वो 18 साल से डिग्री कॉलेजों में पढ़ा रही हैं। बीएड विभाग ने मानदेय प्रवक्ता पद पर उनकी नियुक्ति की थी। राज्य सरकार ने 471 पदों को भरने का विज्ञापन निकाला था। जिसे निरस्त कर दिया गया। हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट के आदेशों से इन शिक्षकों का समायोजन किया गया।
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ये था आदेश
गौरतलब है, कि उच्च शिक्षा निदेशक ने 18 मई 2017 को एक आदेश जारी कर सभी अध्यापकों को नए आंवटित कॉलेजों में कार्यभार ग्रहण करने का आदेश दिया था। इसी की वैधता को चुनौती दी गई है।
ये कहना है याचियों का
इन याची शिक्षकों का कहना है कि जिन कॉलेजों में वे कार्यरत हैं, वहां पद खाली पड़े हैं। वे रिक्त पदों पर ही काम कर रहे हैं। बहुत से पद रिटायरमेंट और मृत आदि के चलते खाली हुए हैं। ऐसे में याचियों को अनावश्यक रूप से परेशान कर उन्हें दूर के आवंटित कॉलेजों में भेजा जा रहा है।