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दरोगा भर्ती 2011 में यूपी सरकार को झटका,बोर्ड पर 2 लाख 80 हजार का फाइन
इलाहाबाद: हाईकोर्ट ने दरोगा व प्लाटून कमांडर भर्ती-2011 में क्षैतिज आरक्षण का लाभ नियमों के विपरीत मानते हुए सामान्य श्रेणी में देने को बुधवार को गलत करार दिया और भर्ती बोर्ड पर दो लाख 80 हजार रूपए का जुर्माना भी ठोंक दिया।
हाईकोर्ट ने कहा कि..
क्षैतिज आरक्षण का लाभ वर्टिकल आरक्षण नहीं होता। ऐसे में इस विशेष आरक्षित कोटे के अभ्यर्थियों को केवल सामान्य वर्ग में चयनित कर रखना अवैध है। कोर्ट ने पुलिस भर्ती बोर्ड व राज्य सरकार को विशेष कोटे की महिला, पूर्व सैनिक व स्वतंत्रता संग्राम सेनानी आश्रितों को सामान्य व आरक्षित वर्ग में श्रेणीवार समायोजित करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने इसी के साथ क्षैतिज आरक्षण का लाभ सामान्य श्रेणी में देने तक दरोगाओं के चयन को निरस्त कर दिया है।
कोर्ट ने आरक्षण नियमों का पालन न करने पर राज्य सरकार व पुलिस भर्ती बोर्ड पर दस हजार प्रति याचिकाकर्ता कुल लगभग 2 लाख 80 हजार रूपए का हर्जाना लगाया है और प्रमुख सचिव गृह को हर्जाना राशि चार हफ्ते में महानिबंधक के समक्ष जमा करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने नए सिरे से श्रेणीवार समायोजन मेरिट सूची के आधार पर नीचे से करने का निर्देश देते हुए कहा है कि समायोजन से जो पद खाली रह जाएंगे वे अगली भर्ती में भरे जाएंगे। कोर्ट ने हर्जाना राशि को जवाबदेह भर्ती बोर्ड के अधिकारियों के वेतन से वसूली करने का भी आदेश दिया है।
यह आदेश न्यायमूर्ति सुनीत कुमार ने आशीष कुमार पाण्डेय व कई अन्य याचिकाओं के 28 याचियों की याचिकाओं को स्वीकार करते हुए दिया। 19 मई 2011 को 3698 दरोगा व 312 प्लाटून कमांडर की भर्ती का विज्ञापन निकाला गया था। जब परिणाम घोषित हुआ तो विशेष कोटे के अभ्यर्थियों को सामान्य वर्ग के कोटे में लाभ दे दिया गया। इस प्रकार 77 फीसदी सीटों का आरक्षण दे दिया गया। कोर्ट ने इसे शासनादेश व सुप्रीम कोर्ट के इन्द्रा साहनी केस के खिलाफ माना।
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