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हाईकोर्ट ने योगी सरकार पर फिर लगाई जोरदार फटकार, दिए ये सख्त निर्देश

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य के छोटे शहरों, गांवों, कस्बों, ग्रामीण क्षेत्रों में कोरोना संक्रमण बहुत तेजी से फैल रहा लोगों को समय पर इलाज न मिलने को लेकर जोरदार फटकार लगाई है।

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Newstrack Network NetworkPublished By Vidushi Mishra
Published on: 18 May 2021 6:56 AM IST (Updated on: 18 May 2021 6:57 AM IST)
कोरोना की स्थिति पर सख्त हाईकोर्ट, सरकार से कहा- छोड़ दें हठधर्मी रवैया
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इलाहाबाद हाईकोर्ट (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

प्रयागराज: यूपी के गांवों की हालत दिन-प्रति-दिन बिगड़ती जा रही है। ऐसे में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य के छोटे शहरों, गांवों, कस्बों, ग्रामीण क्षेत्रों में कोरोना संक्रमण बहुत तेजी से फैल रहा लोगों को समय पर इलाज न मिलने को लेकर जोरदार फटकार लगाई है।

जनता की परेशानी को अनदेखा करने को लेकर हाईकोर्ट ने कहा कि सूबे की स्वास्थ्य व्यवस्था राम भरोसे चल रही है। इसमें तत्काल सुधार की आवश्यकता है। कोर्ट ने मेरठ मेडिकल कॉलेज में भर्ती कोविड मरीज संतोष कुमार के लापता होने में डाक्टरों और मेडिकल स्टॉफ की लापरवाही को गंभीर मानते हुए अपर मुख्य सचिव चिकित्सा व स्वास्थ्य को जिम्मेदारी तय करने का निर्देश दिया है।

चिकित्सा सुविधा बेहद नाजुक और कमजोर

ऐेसे में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार को चार माह में प्रदेश के अस्पतालों में चिकित्सकीय ढांचा सुधारने और पांच मेडिकल कॉलेजों को एसजीपीजीआई स्तर का संस्थान बनाने के लिए कदम उठाने का निर्देश जारी किए है।

इस मामले में न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा और न्यायमूर्ति अजीत कुमार की पीठ ने कहा कि वर्तमान में प्रदेश में चिकित्सा सुविधा बेहद नाजुक और कमजोर है। यह आम दिनों में भी जनता की जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं है। महामारी के दौर में इसका चरमरा जाना स्वाभाविक है।

हाईकोर्ट ने कहा है कि प्रदेश के 20 बेड वाले सभी नर्सिंग होम मेें कम से कम 40 प्रतिशत बेड आईसीयू हों और इसमें 25 प्रतिशत वेंटिलेटर हों। बाकी 25 प्रतिशत हाईफ्लो नसल बाइपाइप का इंतजाम होना चाहिए। 30 बेड वाले नर्सिंग होम में अनिवार्य रूप से ऑक्सीजन प्लांट होना चाहिए।

आगे कहते हुए प्रयागराज, आगरा, कानपुर, गोरखपुर और मेरठ मेडिकल कॉलेजों को उच्चीकृत कर एसजीपीजीआई स्तर का संस्थान बनाया जाए। इसके लिए सरकार भूमि अर्जन के आपातकालीन कानून का सहारा ले और धन उपलब्ध कराए। इन संस्थानों कोकुछ हद तक स्वायत्तता भी दी जाए।

आगे कोर्ट ने कहा कि गांवों और कस्बों में सभी प्रकार की पैथालॉजी सुविधा और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में लेवल टू स्तर की चकित्सा सुविधाएं मुहैया कराई जाएं। बी और सी ग्रेड के शहरों को कम से कम 20 आईसीयू सुविधा वाली एंबुलेंस दी जाए। हर गांव में दो एंबुलेंस होनी चाहिए जिससे गंभीर मरीजों को अस्पताल पहुंचाया जा सके। कोर्ट ने यह सुविधा एक माह में उपलब्ध कराने का निर्देश दिया।

स्वास्थ्य सुविधाएं बढ़ाने का निर्देश

इसके साथ ही पिछली सुनवाई पर हाईकोर्ट ने पांच छोटे जिलों में स्वास्थ्य सुविधाओं पर रिपोर्ट मांगी थी। जबकि प्रदेश सरकार द्वारा पेश रिपोर्ट में से कोर्ट ने उदाहरण के तौर पर बिजनौर की रिपोर्ट लेते हुए कहा कि यहां की जनसंख्या के लिहाज से स्वास्थ्य सुविधाएं मात्र 0.01 प्रतिशत लोगों के लिए हैं। बिजनौर में लेवल थ्री और जीवन रक्षक उपकरणों की सुविधा नहीं है। सरकारी अस्पताल में सिर्फ 150 बेड हैं।

गांवों में 1200 टेस्टिंग को लेकर कोर्ट ने कहा कि हर दिन कम से कम चार से पांच हजार आरटीपीसीआर जांच होनी चाहिए। कोर्ट ने कहा कि अगर हम कोविड संक्रमितों की पहचान करने में चूक गए तो कोरोना की तीसरी लहर को न्योता दे देंगे। अगर 30 प्रतिशत जांच करनी है तो हर दिन 10 हजार जांचें करनी होंगी। कोर्ट ने 24 अप्रैल को दिए आदेश के क्रम में छोटे शहरों और कस्बों, गांवों में स्वास्थ्य सुविधाएं बढ़ाने का निर्देश दिया है।

कोर्ट ने इसे घोर लापरवाही मानते हुए कहा कि इसके लिए जिम्मेदार डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टॉफ का सिर्फ इंक्रीमेंट रोकना आश्वर्यजनक है। इससे स्पष्ट है कि मासूम लोगों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ हो रहा है। कोर्ट ने कहा कि पीड़ित परिवार मुआवजा पाने का हकदार है। अगली सुनवाई पर अपर मुख्य सचिव चिकित्सा स्वास्थ्य से इस लापरवाही के लिए जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई कर हलफनमा प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है।

आगे कोर्ट ने कहा कि मौजूदा हालात से दो चीजें स्पष्ट होती हैं, एक यह कि हमें देश में हर व्यक्ति को वैक्सीन लगानी है और दूसरा बेहतरीन स्वास्थ्य ढांचा खड़ा करना है। पीठ ने सुझाव दिया कि जो लोग गरीबों के लिए वैक्सीन खरीदना चाहते हैं उनको सरकार ऐसा करने की अनुमति दे तथा उनको आयकर में कुछ छूट दी जाए। एएसजीआई एसपी सिंह ने पूर्व के निर्देशों के तहत कोर्ट में वैक्सीन पर अपनी रिपोर्ट पेश की।

साथ ही कोर्ट ने कहा कि सरकार विश्व की वैक्सीन निर्माता कंपनियां से बात कर जहां भी वैक्सीन उपलब्ध हो वहां से खरीदें। साथ ही बड़े व्यावसायिक घराने जो धर्मार्थ चंदा देकर टैक्स बचाते रहे हैं, वे अपनो फंड का उपयोग वैक्सीन खरीद के लिए करें।

इसके अलावा कोर्ट ने यह भी सुझाव दिया है है कि जो वैक्सीन निर्माता देश वैक्सीन निर्माण का दायरा बढ़ाने की वकालत कर रहे हैं उनके लिए सरकार बौद्धिक संपदा कानून में छूट दे और जिन कंपनियां के पास वैक्सीन निर्माण की क्षमता है वे वैक्सीन बना सकें।

वहीं अब इसकी जांच के बाद ही उपयोग की इजाजत दी जाए। जिसके चलते हाई कोर्ट ने सरकार को इन सुझावों पर विचार कर अगली सुनवाई पर रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है। इसमें कोर्ट ने बिजनौर, बहराइच, श्रावस्ती, जौनपुर मैनपुरी्, मऊ, अलीगढ़, एटा, इटावा, फिरोजाबाद , देवरिया के जिला जजों को अपने यहां नोडल अफसरों की नियुक्ति करने का निर्देश दिया है। बता दें, याचिका पर अगली सुनवाई 22 मई को होगी ।



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Vidushi Mishra

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