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आउट ऑफ टर्न प्रमोशन देने का अधिकार डीजीपी को है : इलाहाबाद हाईकोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक आदेश में कहा है कि पुलिसकर्मियों को आउट ऑफ टर्न प्रमोशन देना पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) के क्षेत्राधिकार में है इसलिए कोर्ट उन्हें इस मुद्दे पर सकारात्मक रूप से विचार करने का आदेश नहीं दे सकी।
इलाहाबाद : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक आदेश में कहा है कि पुलिसकर्मियों को आउट ऑफ टर्न प्रमोशन देना पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) के क्षेत्राधिकार में है इसलिए कोर्ट उन्हें इस मुद्दे पर सकारात्मक रूप से विचार करने का आदेश नहीं दे सकी। कोर्ट ने कहा कि आउट ऑफ टर्न प्रमोशन पर अंतिम निर्णय का अधिकार डीजीपी को ही है। इसके लिए की गई संस्तुति को वही मंजूर या नामंजूर कर सकता है।
यह आदेश जस्टिस अरुण टंडन एवं जस्टिस सिद्धार्थ वर्मा की खंडपीठ ने प्रदेश सरकार की विशेष अपील को स्वीकार करते हुए दिया। खंडपीठ ने एकल पीठ के आदेश को संशोधित भी कर दिया है। साथ ही डीजीपी से कहा कि याची के मामले में नए सिरे से विचार कर आठ सप्ताह में कारण सहित आदेश जारी करें।
मामले के तथ्यों के अनुसार, रविंद्र कुमार सैनी जब मुजफ्फरनगर में बतौर कांस्टेबल थे तो 19 फरवरी 2004 को पुलिस ने एके 47 से लैस दो आतंकवादियों को घेरकर मुठभेड़ की। मुठभेड़ में एक आतंकवादी मारा गया और दूसरा भागने में कामयाब रहा।
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एसएसपी ने मुठभेड़ में शामिल पुलिसकर्मियों के आउट ऑफ टर्न प्रमोशन की संस्तुति डीजीपी को भेजी। डीजीपी ने राजकुमार यादव, प्रवीन कुमार यादव व नसीम को आउट ऑफ टर्न प्रमोशन देने की संस्तुति स्वीकार कर ली। लेकिन, रविंद्र कुमार सैनी को इसके योग्य नहीं माना।
सैनी ने याचिका दाकिल करके कहा कि मुठभेड़ में उसकी भी भूमिका अन्य तीन पुलिसवालों की तरह थी। एकल पीठ ने याचिका पर सुनवाई के बाद याची को आउट ऑफ टर्न प्रमोशन देने का निर्देश डीजीपी को दिया। राज्य सरकार ने एकल पीठ के इसी आदेश को विशेष अपील में चुनौती दी थी।