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पैरामिलेट्री भर्ती मामला: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब
इलाहाबाद: सभी पांचों फ़ोर्स की भर्ती रद्द करने की मांग को लेकर दायर अभ्यर्थियों की याचिका पर सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भारत सरकार व कर्मचारी चयन आयोग से छह सप्ताह में जवाब मांगा है। यह भर्तियां पैरामिलेट्री फोर्स, सीआरपीएफ, बीएसएफ, सीआईएसएफ, एसएसबी व आईटीबीपीएफ में 5 फरवरी 2011 व 21 फरवरी 2011 को विज्ञापन जारी कर की गयी है।
न्यायमूर्ति अमित बीस्थालेकर ने सुनाया है यह आदेश
-यह आदेश न्यायमूर्ति अमित बीस्थालेकर ने सुनाया है।
-राजीव कुमार व कई दर्जन अन्य असफल अभ्यर्थियों ने दायर की है याचिका।
-भर्ती रद्द करने के अलावा शेष बचे 28044 पदों पर याचियों को नियुक्ति दी जाए।
क्या कहना है याचिकाकर्ताओं के वकील विजय गौतम का
-सभी याचिकाकर्ता मेडिकल परीक्षा व अन्य परीक्षाओं में सफल घोषित पाए गए थे।
-28 नवम्बर 2011 को घोषित हुए अंतिम परिणाम में 72 हजार 309 पदों में केवल 44 हजार 152 जवानों को ही चयनित किया गया।
-विज्ञापन के मुताबिक, जिन आवेदकों का ओएमआर सीट के पहले पेज में डिटेल भरने में त्रुटि पाई जाएगी उनको शून्य नंबर देकर उनका आवेदन निरस्त कर दिया जायेगा।
-इस बड़ी भर्ती में व्यापक घपला हुआ है।
-ओएमआर शीट में गलती करने वालों को भी चयनित कर लिया गया है।
-याचिकाकर्ता से कम अंक पाए अभ्यर्थी भी चयनित हो गए हैं।
और क्या लगाया है आरोप
-याचिका में कहा गया है कि इस समूचे भर्ती प्रक्रिया में मनपसंद लोगों को चयनित किया गया है।
-इस भर्ती के खिलाफ अन्य राज्यों के हाईकोर्ट में भी याचिकाएं असफल अभ्यर्थियों द्वारा की गयी।
-जिन्होंने याचिका दायर की उन्हें चयनित कर लिया गया।