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Mukhtar Ansari : पहली बार हाईकोर्ट ने मुख़्तार अंसारी को सुनाई 7 साल की सजा, 19 वर्ष पुराना है मामला
Mukhtar Ansari: उत्तर प्रदेश के सबसे बड़े माफिया सरग़ना मुख़्तार अंसारी को पहली बार उच्च न्यायालय इलाहाबादद्वारा 7 साल की सजा दी गई।
Mukhtar Ansari: उत्तर प्रदेश के सबसे बड़े माफिया सरग़ना मुख़्तार अंसारी (Mukhtar Ansari) को पहली बार उच्च न्यायालय इलाहाबाद (High Court Allahabad) द्वारा 7 साल की सजा दी गई। यह मामला 19 वर्ष पुराना 23-4-2003 का है। मुख़्तार लखनऊ जेल में बंद था, उसके बहुत से गुर्गे जेल में बिना तलाशी दिये उससे मिलना चाहते थे। तेजतर्रार जेलर एसके अवस्थी (Jailor SK Awasthi) ने जेल मैनुएल के अनुसार ही तलाशी देने के बाद ही मिलने का आदेश दिया। मुख़्तार का पारा चढ़ गया, उसने एक गुर्गे का रिवाल्वर लेकर जेलर अवस्थी पर तान दिया और धमकी दिया कि अपने को बड़ा ऊंचा समझने लगे हो, जेल से बाहर निकलो, जान से मरवा दूंगा। इसी का मुकदमा जेलर द्वारा लिखवाया गया था। यह मुक़दमा ज़िला स्तरीय न्यायालय से छूट गया।
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार (Yogi Government) द्वारा उच्च न्यायालय में अपील की गई, जिस पर मुख़्तार को 21-9-2022 को 7 साल की सजा दे दी गयी। मुख़्तार की यह धमकी पहली नही थी। इससे पहले भी कई बार दे चुके हैं धमकी..
1999 में दी थी जेल अधीक्षक को जान से मारने की धमकी
1999 में भी यह इसी लखनऊ जेल में बंद था। जेल अधीक्षक रमाकान्त तिवारी (Jail Superintendent Ramakant Tiwari) इसकी मनमानी नहीं चलने दे रहे थे। एक दिन वह इसी प्रकार की धमकी रमाकान्त तिवारी को दे दिया, जेल अधीक्षक ने इसे मुंहतोड़ जवाब दिया। मुख़्तार ने उन्हें भी जान से मारने की धमकी दिया कि जेल से बाहर निकलो, गोली मरवा दूंगा। 4-2-1999 को जेल अधीक्षक रमाकान्त तिवारी अपनी जीप से राजभवन लखनऊ के सामने से गुज़रे। मुख़्तार के शूटर उनकी जीप का पीछा कर रहे थे। वे राजभवन के 200 मीटर दूर डीएसओ चौराहे पर पहुंचे ही थे, क़ि मुख़्तार के एक दर्जन गुर्गों ने उन्हें गोली मारकर छलनी कर दिया। उनका ड्राइवर राकेश कुमार सिंह भी मारा गया।
आपराधिक छवि का है मुख़्तार का पूरा कुनबा
8 दिसंबर 2003 को मुख़्तार इस सनसनी खेज दोहरे हत्याकांड से भी बरी हो गया। इसके आतंक के कारण गवाह टूट गये और मुख़्तार के साथ सभी गुर्गे भी बरी हो गये। मुख़्तार का पूरा कुनबा ही आपराधिक छवि का है। मुख़्तार पर कुल 60 हत्या, अपहरण, लूट, डकैती, TADA, गैंगस्टर एक्ट आदि के मामले कायम है, जिसमें 19 मामले अभी भी न्यायालय में चल रहे हैं। इसके बड़े भाई सांसद अफ़जाल अंसारी (MP Afzal Ansari) पर 8, पत्नी अफ़सा अंसारी पर 6, पुत्र अब्बास अंसारी पर 7,और छोटे पुत्र उमर अंसारी पर 5 मुकदमे कायम है।
जब योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) 2017 में मुख्यमंत्री बने, तो मुख़्तार के लिए जेल आशियाना नहीं रह गया। उसने पंजाब में अपने ऊपर एक फ़र्ज़ी मुकदमा लिखवाकर पंजाब के जेल में पहुंच गया। कांग्रेस पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के सहयोग से, पंजाब जेल उसका आशियाना बन गया। उत्तर प्रदेश की न्यायालयों से कई बार उसे यूपी के मुक़दमों के लिए पेश होने के लिए लिखा गया, परंतु पंजाब सरकार उसे यूपी न भेजने के लिए सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई। योगी सरकार (Yogi Government) सुप्रीम कोर्ट में मुकदमा जीत कर उसे यूपी वापस लाई और वह बाँदा जेल में बंद है।
500 करोड़ से अधिक सम्पत्तियों को किया कुर्क
योगी राज में गवाह टूटने वाले नहीं है और उसके ऊपर चल रहे मुकदमों में सजा होना अब स्वाभाविक है। उसके परिजनों का भी वही हाल होना है। उसकी अपराध से कमाई गयी 500 करोड़ से अधिक सम्पत्तियों को या तो कुर्क कर लिया गया या बुलडोजर चला दिया गया।