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विकास प्राधिकरणों में भ्रष्टाचार को लेकर हाईकोर्ट की तल्ख टिप्पणी
सरकारी दफ्तरों में भ्रष्टाचार को लेकर खफा इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि भ्रष्टाचार में लिप्त लोगों के लिए यह काम उनके रोजमर्रा के जीवन का भाग हो गया है। उनका यह कृत्य समाज को निगल रहा है। आज के समय में बड़े मुश्किल से ईमानदार लोग मिल रहे हैं। यद्यपि कि कोर्ट ने कहा कि यह सत्य है कि ईमानदार लोगों की समाज में कमी हो रही है पर अभी भी विश्वास है कि समाज में
इलाहाबाद :सरकारी दफ्तरों में भ्रष्टाचार को लेकर खफा इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि भ्रष्टाचार में लिप्त लोगों के लिए यह काम उनके रोजमर्रा के जीवन का भाग हो गया है। उनका यह कृत्य समाज को निगल रहा है। आज के समय में बड़े मुश्किल से ईमानदार लोग मिल रहे हैं। यद्यपि कि कोर्ट ने कहा कि यह सत्य है कि ईमानदार लोगों की समाज में कमी हो रही है पर अभी भी विश्वास है कि समाज में ईमानदार लोग पर्याप्त संख्या में है।
अब समय आ गया है कि ईमानदार लोगों की पहचान कर उन्हें उत्साहित किया जाए ताकि समाज में इनकी संख्या बढ़ सके। इसके लिए यह जरूरी है कि भ्रष्ट लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो और उनका पता कर उन्हें बाहर का रास्ता दिखाया जाए। हाईकोर्ट की यह टिप्पणी उ.प्र. के विकास प्राधिकरणों में भ्रष्टाचार को लेकर आयी है।
कोर्ट ने कहा कि अब समय आ गया है कि ऐसी योजना तैयार हो जो ईमानदार लोगों को सुरक्षित करने के लिए प्रयोग में लायी जाए। यह आदेश न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल व न्यायमूर्ति अजीत कुुमार की खण्डपीठ ने मेरठ के नरेन्द्र कुमार त्यागी की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है।
याचिका दायर कर मेरठ के विकास प्राधिकरण द्वारा कंकड़खेड़ा के डिफेंस इन्क्लेव योजना में 200 स्क्वायर मीटर के एक प्लाट नंबर 20-399 के आवंटन को चुनौती दी गयी थी। याचिका में कहा गया था कि जिसको प्लाट आवंटित किया गया उसकी मांग वीसी ने 22 जुलाई 14 को ही स्वीकार कर ली थी। जबकि अगले दिन 23 जुलाई को उस प्लाट की नीलामी हुई थी और उसके बाद में नीलामी टीम ने रिपोर्ट प्रस्तुत की थी। कहा गया था कि प्लाट आवंटन की सारी प्रक्रिया केवल औपचारिकता मात्र थी। हाईकोर्ट ने सारे पत्रजातों को देखने के बाद कहा कि साफ परलक्षित हो रहा है कि एमडीए ने धोखाधड़ी कर प्लाट का आवंटन किया है।