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UP में अस्थायी खनन परमिट देने का रास्ता साफ, ई-टेंडरिंग से 6 महीने के लिए जारी होंगे खनन पट्टे
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बुधवार (19 अप्रैल) को देश सरकार को राहत देते हुए ई-टेंडरिंग के जरिए 06 महीने के लिए अस्थाई खनन परमिट देने का रास्ता साफ कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार ई-टेंडरिंग की परमिट को 01 मई तक अंतिम रूप न दे। उस दिन कोर्ट इस पर सुनवाई कर आगे की कार्यवाही पर निर्णय देगी।
इलाहाबाद: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बुधवार (19 अप्रैल) को प्रदेश सरकार को राहत देते हुए ई-टेंडरिंग के जरिए 06 महीने के लिए अस्थाई खनन परमिट देने का रास्ता साफ कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार ई-टेंडरिंग की परमिट को 01 मई तक अंतिम रूप न दे। उस दिन कोर्ट इस पर सुनवाई कर आगे की कार्यवाही पर निर्णय देगी।
कोर्ट ने खनन पट्टे को लेकर सरकार से इस बीच एक विस्तृत हलफनामा मांगा है। प्रदेश के महाधिवक्ता राघवेंद्र सिंह ने कोर्ट को बताया कि राज्य सरकार ने खनन पट्टे ई-टेंडरिंग के जरिए दिए जाने का नीतिगत फैसला लिया है, लेकिन इस कार्यवाही में 06 महीने तक का समय लग सकता है।
इस दौरान अस्थाई खनन परमिट दी जाएगी, जो 06 महीने से अधिक नहीं होगी। खनन पट्टे की कार्यवाही के लिए केंद्र सरकार से अनापत्ति सहित एरिया घोषित करने की घोषणा जरूरी है।
सरकार नियमों में जरूरी बदलाव भी करेगी। नियम 9ए के तहत खनन पट्टे में वरीयता देने के नियम को राज्य सरकार लागू नहीं करेगी। कोर्ट ने महाधिवक्ता के बयान को हलफनामे के मार्फत दो हफ्ते में दाखिल करने का समय दिया और सुनवाई की अगली तारीख 01 मई नियत की है।
यह आदेश चीफ जस्टिस डी.बी.भोसले और जस्टिस यशवंत वर्मा की खंडपीठ ने गुलाब चंद्र और दर्जनों अन्य की याचिकाओं की सुनवाई करते हुए दिया है। याचिकाओं में नियम 9ए की वैधता को चुनौती दी गई है। कोर्ट का कहना था कि यदि सरकार इस नियम को लागू नहीं करना चाहती तो वैधता पर सुनवाई का औचित्य नहीं है।
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महाधिवक्ता राघवेंद्र सिंह ने कहा- मुकदमों के निस्तारण में होगा तेजी लाने का प्रयास
इलाहाबाद: महाधिवक्ता राघवेंद्र सिंह ने कहा है कि हाईकोर्ट में विचाराधीन मुकदमों के निस्तारण में तेजी लाने का प्रयास होगा। इसके साथ ही बिना कानूनी उपबंध के प्रत्यावेदन निस्तारण को लेकर दाखिल होने वाली याचिकाओं का कड़ा प्रतिवाद किया जाएगा। इसके लिए योग्य वकीलों की आबद्धता की जाएगी।
राघवेंद्र सिंह ने कहा कि प्रशासनिक अधिकारियों को कोर्ट के आदेशों का समय से अनुपालन करने को कहा जाएगा और प्रयास होगा कि याचिकाओं में समय से सरकार का जवाब दाखिल हो और अधिकारी अपने समक्ष अर्जियों को समयबद्ध तरीके से निर्णीत करें।
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विदेश में रह रहे पति के प्रत्यर्पण पर सीएमएम को निर्देश
इलाहाबाद: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पति-पत्नी के बीच विवाद मंे सुलह कराने के लिए न्यूयार्क (अमेरिका) में रह रहे पति वरूण तलवार का प्रत्यर्पण कराने के लिए चीफ मेट्रोपाॅलिटन मजिस्ट्रेट (सीएमएम) कानपुर नगर को एक महीने में जरूरी आदेश पारित करने का निर्देश दिया है। इसके साथ ही मजिस्ट्रेट अगले 02 महीने के अंदर विदेश मंत्रालय और केंद्रीय गृह मंत्रालय के मार्फत याची को भारत में लाने का प्रयास करे।
कोर्ट ने कहा कि चीफ मेट्रोपालिटिन मजिस्ट्रेट भारत एवं यूएसए म्यूच्यूअल लीगल असिस्टेंस ट्रीटी के तहत याची वरूण तलवार की देश में प्रत्यर्पण के लिए आदेश जारी करें।
यह आदेश जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस के.पी.सिंह की खंडपीठ ने वरूण तलवार की याचिका को निस्तारित करते हुए दिया है। याचिका में कानपुर के गोविन्द नगर थाने में दहेज उत्पीड़न के आरोप में दर्ज प्राथमिकी की वैधता को चुनौती दी गई थी।
पत्नी युक्ति तलवार की तरफ से वकील विष्णु बिहारी तिवारी का कहना था कि कोर्ट ने विदेश मंत्रालय और गृह मंत्रालय के मार्फत याची को कोर्ट में हाजिर होने का निर्देश दिया था। जिसका पालन नहीं किया गया इसलिए कार्यवाही की जाए।