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टीईटी की अनिवार्यता कानून बनने से पहले नियुक्त अध्यापकों पर लागू नहींः हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि जूनियर, सीनियर, बेसिक स्कूलों में अध्यापकों की नियुक्ति में टीईटी की अनिवार्यता कानून बनने से पहले कार्यरत अध्यापकों पर लागू नहीं होगा। 2010 से पहले से कार्यरत अध्यापक के प्रधानाचार्य नियुक्ति मामले में 5 वर्ष का अध्यापन अनुभव रखने वाले अध्यापक की नियुक्ति अवैध नहीं मानी जा सकती।

Rishi
Published on: 25 Feb 2019 2:58 PM GMT
टीईटी की अनिवार्यता कानून बनने से पहले नियुक्त अध्यापकों पर लागू नहींः हाईकोर्ट
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प्रतीकात्मक फोटो

प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि जूनियर, सीनियर, बेसिक स्कूलों में अध्यापकों की नियुक्ति में टीईटी की अनिवार्यता कानून बनने से पहले कार्यरत अध्यापकों पर लागू नहीं होगा। 2010 से पहले से कार्यरत अध्यापक के प्रधानाचार्य नियुक्ति मामले में 5 वर्ष का अध्यापन अनुभव रखने वाले अध्यापक की नियुक्ति अवैध नहीं मानी जा सकती।

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टीईटी अनिवार्यता इस कानून के लागू होने से पहले के अध्यापकों पर लागू नहीं होगी। ऐसे में बिना टीईटी पास किये अध्यापन अनुभव के आधार पर प्रधानाचार्य पद पर नियुक्ति की जा सकती है। कोर्ट ने बीएसए प्रतापगढ़ के नियुक्ति को वैध न मानने के आदेश को रद्द कर दिया है और नए सिरे से 2 माह में आदेश पारित करने का निर्देश दिया है।

यह आदेश न्यायमूर्ति इरशाद अली ने ओम प्रकाश त्रिपाठी की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है। याची अधिवक्ता का कहना था कि याची 2007 में सहायक अध्यापक नियुक्त हुआ । उस समय अध्यापक नियुक्ति में टीईटी अनिवार्य नहीं थी। याची की नियुक्ति पूर्णतया वैध थी। जूनियर हाईस्कूल के प्रधानाचार्य की नियुक्ति का 2018 में विज्ञापन निकाला गया। याची व अन्य लोग शामिल हुए। याची का चयन कर अनुमोदन के लिए बीएसए को भेजा गया।

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बीएसए प्रतापगढ़ ने नियुक्ति को यह कहते हुए वैध नहीं माना कि याची टीईटी पास नहीं है, जिसे चुनौती दी गयी। तर्क दिया गया कि टीईटी की अनिवार्यता का कानून 2010 में लागू हुआ। राज्य सरकार ने 2012 में प्रभावी किया। याची इसके लागू होने के पहले से अध्यापक है।

प्रधानाचार्य के लिए 5 वर्ष के अनुभव सहित कानून के तहत निर्धारित योग्यता रखता है। उस पर बाद में लागू हुआ कानून लागू नहीं होगा। प्रधानचार्य के लिए नियमावली में निर्धारित योग्यता रखने के कारण उसकी नियुक्ति नियमानुसार होने के नाते वैध है। जिसे कोर्ट ने न्यायिक निर्णयों व कानूनी प्रावधानों पर विचार करते हुए सही माना और बीएसए को सकारण आदेश पारित करने का निर्देश देते हुए याचिका स्वीकार कर ली है।

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आशीष शर्मा ऋषि वेब और न्यूज चैनल के मंझे हुए पत्रकार हैं। आशीष को 13 साल का अनुभव है। ऋषि ने टोटल टीवी से अपनी पत्रकारीय पारी की शुरुआत की। इसके बाद वे साधना टीवी, टीवी 100 जैसे टीवी संस्थानों में रहे। इसके बाद वे न्यूज़ पोर्टल पर्दाफाश, द न्यूज़ में स्टेट हेड के पद पर कार्यरत थे। निर्मल बाबा, राधे मां और गोपाल कांडा पर की गई इनकी स्टोरीज ने काफी चर्चा बटोरी। यूपी में बसपा सरकार के दौरान हुए पैकफेड, ओटी घोटाला को ब्रेक कर चुके हैं। अफ़्रीकी खूनी हीरों से जुडी बड़ी खबर भी आम आदमी के सामने लाए हैं। यूपी की जेलों में चलने वाले माफिया गिरोहों पर की गयी उनकी ख़बर को काफी सराहा गया। कापी एडिटिंग और रिपोर्टिंग में दक्ष ऋषि अपनी विशेष शैली के लिए जाने जाते हैं।

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